जाबांज ऑफिसर चेतन चीता ने दूसरी बार मौत को दी मात, कोरोना से जंग जीत लौटे घर
नई दिल्ली, जून 23: केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जाबांज ऑफिसर चेतन चीता ने एक बार फिर से मौत को मात दी है। करीब दो महीनों तक कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने के बाद चेतन चीता अब ठीक हो गए हैं। हाल में उन्हें एम्स से डिस्चार्ज करके घर भेज दिया गया है। चेतन चीता का हरियाणा के झज्जर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में इलाज चल रहा था। चेतन चीता कोरोना से ठीक होने के बाद ब्लैक फंगस के शिकार हो गए थे।
9 दिनों तक चेतन चीता को वेंटिलेटर रखा गया
चेतन चीता को यहां 9 मई को इलाज के लिए लाया गया था। जिसके बाद उनकी हालत गंभीर हो गई, उन्हें 31 मई से वेंटिलेटर पर रखा गया था। लेकिन 9 दिन बाद चेतन चीता को वेंटिलेटर से हटा कर ऑक्सीजन स्पोर्ट पर रखा गया। इसी दौरान के ब्लैक फंगस के भी शिकार हो गए। जिसके चलते चेतन चीता का ब्लैक फंगस का ऑपरेशन भी किया है। जोकि सफल रहा। करीब दो महीने तक कोरोना से जंग लड़ने के बाद चेतन चीता ठीक हो गए हैं।
आज उन्हें डिस्चार्ज कर घर भेज दिया गया
आज उन्हें डिस्चार्ज कर घर भेज दिया गया। चेतन चीता को डॉक्टरों की टीम ने गिफ्ट देकर हॉस्पिटल से विदा किया। इस दौरान हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने चेतन चीता के साथ फोटो भी खिंचवाए। गौरतलब है कि तीन साल पहले कश्मीर के बांधी पीर में आतंकियों का सामना करते हुए चेतन चीता ने 9 गोलियां खाई थी। सीआरपीएफ के कमांडेंट चेतन चीता को बहादुरी के लिए कीर्ति चक्र से सम्मानित किया जा चुका है।
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मौत को मात देकर 2018 में ड्यूटी पर लौटे थे चेतन
चेतन चीता फरवरी 2017 में कश्मीर घाटी में सीआरपीएफ की 45वीं बटालियन के कमांडिंग अफसर के रूप में तैनात थे। एक आतंकी हमले में उनके सिर, दाईं आंख, पेट, दोनों बांहें, बाएं हाथ और कमर के निचले हिस्से में कई गोलियां लगी थीं। एम्स ट्रामा सेंटर में कई सर्जरी कर उनकी जान बचाई गई थी। वह अप्रैल 2017 में डिस्चार्ज हुए थे और 2018 में वापस ड्यूटी पर लौट आए थे। उन्हें शांतिकाल में बहादुरी के दूसरे सबसे बड़े सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था।