ग्वालियर में स्वतंत्रता दिवस पर 44 कैदियों को मिली आजादी
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ग्वालियर सेंट्रल जेल से 44 कैदी किए गए रिहा
ग्वालियर, 15 अगस्त। स्वतंत्रता दिवस मतलब आजादी का दिन। यह आजादी का दिन ग्वालियर के उन 44 कैदियों के लिए भी आया, जिन्हें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ग्वालियर सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया है। इनमें से 32 कैदी आजीवन कारावास वाले थे, जबकि 12 कैदी छोटी मोटे केसों में सजा काट रहे थे।
ग्वालियर सेंट्रल जेल से मिली 44 कैदियों की रिहाई
स्वतंत्रता दिवस के दिन ग्वालियर सेंट्रल जेल से 44 कैदियों को भी स्वतंत्र कर दिया गया। इन 44 कैदियों को ग्वालियर सेंट्रल जेल से स्वतंत्रता दिवस के दिन रिहा किया गया। एक-एक करके सभी कैदियों को ग्वालियर सेंट्रल जेल के बाहर लाया गया और यहां से सभी को विदा कर दिया गया। ग्वालियर सेंट्रल जेल से बाहर आए कैदियों के चेहरे पर मुस्कान नजर आ रही थी।
32 कैदी आजीवन कारावास के और 12 कैदी छोटी मोटी सजा के हुए रिहा
ग्वालियर सेंट्रल जेल से स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कुल 44 कैदियों को रिहा किया गया। इनमें से 32 कैदी आजीवन कारावास की सजा काट चुके थे, जबकि 12 कैदी छोटी मोटी सजा काट रहे थे। इनके अच्छे चाल चलन की वजह से इन्हें रिहाई दी गई। सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद कैदियों को 15 अगस्त के दिन जेल से रिहा कर दिया गया।
शांतिपूर्वक जीवन बिताने का लिया संकल्प
जेल से रिहा हुए कैदियों ने जेल से निकलते वक्त शांतिपूर्वक जीवन बिताने का संकल्प लिया है। जेल से रिहा होने के बाद सभी लोगों ने यह संकल्प लिया कि वह अपनी आगे की जिंदगी वे शांति से काटेंगे और अपने परिवार के साथ अपना समय बिताएंगे। उनका बुरा वक्त बीत चुका है अब वे अपने जीवन को संवारने में अपना समय लगाएंगे।
रामसेवक ने जेल में बिता दिए जिंदगी के 16 साल
जेल से रिहा हुए करैया गांव के रामसेवक ने मीडिया को बातचीत के दौरान बताया कि उनके जिंदगी 16 साल ग्वालियर सेंट्रल जेल में बीत गए। उन्होंने बताया अब जब रिहा हो गए हैं तो अपनों के बीच पहुंचेंगे, अपने पिताजी की सेवा करेंगे और खेती-बाड़ी करेंगे। रामसेवक ने बताया कि 16 साल पहले उनके खेत पर एक लाश मिली थी और इसी लाश की हत्या का इल्जाम उन पर लगा दिया गया था। इस वजह से उन्हें सजा हो गई थी।