किसान ने कोरोनाकाल में गांव से घर बेचकर आम का बाग संभाला था, तूफान से सब कुछ बर्बाद हो गया
भावनगर। चक्रवातीय तूफान तौकते ने फसलों और पेड़-पौधों को गुजरात में बहुत नुकसान पहुंचाया। दो लाख से ज्यादा पेड़ धराशायी हो गए और हजारों हेक्टेयर भूमि की फसलें तबाह हो गईं। आम की फसल लगभग 75% बर्बाद हो गई। मूंगफली, बाजरा, मूंग, चीकू, पपीता, शरीफा जैसी फसलों को प्रदेश में बेमौसम बारिश व चक्रवातीय तूफान के ही कारण 50 से 100% तक नुकसान हुआ। वहीं, बिजली ठप होने से प्रदेश के 3850 गांवों में अंधेरा छा गया। राज्यभर के कुल 5958 गांवों में विद्युत आपूर्ति बाधित हुई। मुख्यमंत्री का कहना है कि, सर्वेक्षण के बाद प्रभावित लोगों को आर्थिक मदद दी जाएगी। केंद्र सरकार ने 1 हजार करोड़ का पैकेज देने की बात कही है।
भावनगर के एक किसान के बेरोजगार बेटे ने कोरोनाकाल में गांव छोड़कर चार महीने परिवार के संग आम के बाग में बिताए थे। उसका भी सब बर्बाद हो गया। रूपा प्रदीपभाई वाघेला नामक युवक ने छापराभाठा-सायण रोड पर आम का बाग किराए पर लिया था। प्रदीपभाई ने कहा कि, "हम बुधेल गांव के मूल निवासी हैं। लॉकडाउन में नौकरी जाने के बाद इस सीजन में आम के फल से कमाई करने की योजना बनाई थी। मगर रुपए नहीं थे, तो गांव में एक मकान बेचकर छापराभाठा में बाग किराए पर लिया। मैं 3 साल के बच्चे और परिवार के साथ 4 माह से बाग में रह रहा था। हमें आम के बाग से बहुत उम्मीदें थी, पर तूफान ने कुछ नहीं छोड़ा। आम नन्हे-नन्हे ही झड़ गए।"
प्रदीपभाई ने कहा कि, जिस बाग में आम की फसल के लिए हमने मेहनत की, उन पेड़ों पर हापुस और केसर किस्म के अच्छे आम लगे थे। मगर, तूफान से इतना नुकसान हुआ कि लागत निकालना तो दूर हमारी एक साल की मेहनत भी बेकार हो गई। हमारी तरह ही बहुत से किसानों को तूफान से भारी नुकसान हुआ है। बागों में कच्चे आमों के ढेर लग गए हैं।