गुजरात में आप की एंट्री से अलर्ट पर भाजपा, इस बार 'वो सब ना हो', बनाई जा रही है खास रणनीति
नई दिल्ली, 12 सितंबर। गुजरात में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में बने रहने के लिए अपनी रणनीति को बनाना शुरू कर दिया है। जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के बाद पंजाब में अपनी सरकार बनाने में सफलता हासिल की और लगातार गुजरात में अपने पैर पसारने की कोशिश कर रही है उसके चलते भाजपा ने अपनी रणनीति को नए सिरे से बनाना शुरू किया है।
बगावत को संभालने की रणनीति
भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में किसी भी तरह की बगावत को रोकने की हर संभव कोशिश कर रही है और इसके लिए शीर्ष स्तर पर योजना भी बनाई जा रही है। जो भी बागी नेता हैं उनको मनाने के लिए पार्टी ने इन नेताओं के करीबी लोगों को यह टास्क दिया है कि वह उन्हें मनाने की कोशिश करें। आम आदमी पार्टी ने पहले ही कई सीटों पर अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है। इस साल दिसंबर माह में गुजरात चुनाव होने हैं, ऐसे में भाजपा ने अपने सांसदों, कई वरिष्ठ नेताओं को यह जिम्मेदारी दी है कि वह संभावित उम्मीदवारों के नाम की लिस्ट दें।
मान-मनौव्वल वाले नेताओं की लिस्ट
पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस संभावित लिस्ट के अलावा पार्टी ने उन नेताओं की भी लिस्ट तैयार करने को कहा है जो उन नेताओं को मनाने में पार्टी की मदद कर सकें, जिन्हें टिकट नहीं दिया जाता हैा। दरअसल पार्टी यह बिल्कुल नहीं चाहती है कि जिन नेताओं को टिकट नहीं मिलता है उनकी बगावत की वजह से पार्टी को नुकसान पहुंचे। यही वजह है कि पार्टी ने ऐसे नेताओं की लिस्ट तैयार करने को कहा है जो इन नाराज नेताओं को मना सकें। पार्टी को इस बात का डर है कि जिन नेताओं को टिकट नहीं मिलेगा वह पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
कैसे रुके बगावत, शुरू कवायद
पार्टी के एक अन्य नेता ने बताया कि हर चुनाव में यह हमेशा से ही बड़ा मुद्दा रहता है और इसमे बहुत समय भी जाता है। जिन लोगों को टिकट नहीं दिया जाता है, वह प्रदर्शन करते हैं, विपक्षी खेमे में जाते हैं। आम आदमी पार्टी, कांग्रेस जैसी पार्टियां ऐसे ही समय का इंतजार करती हैं। ये दल ऐसे नेताओं का इंतजार करती हैं जिन्हें वह लुभा सके और अपने साथ मिला सके। पार्टी के दूसरे नेता ने बताया कि इस बार इन चीजों को देखते हुए ऐसे नेताओं की लिस्ट तैयार की जा रही है जो संभावित नाराज नेताओं को मना सके।
100 सीटें पार करने का लक्ष्य
गौर करने वाली बात है कि गुजरात में विधानसभा की कुल 182 सीटें हैं, माना जा रहा है कि इस साल दिसंबर माह में चुनाव हो सकते हैं। 1995 से भारतीय जनता पार्टी गुजरात में सत्ता में है। पार्टी इस बार 100 के आंकड़ों को पार करना चाहती है। 2017 में भाजपा ने 99 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस ने कड़ी टक्कर देते हुए 77 सीटों पर जीत दर्ज की थी। माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी के मजबूत होने के चलते इस साल गुजरात चुनाव और भी करीबी हो सकते हैं।
बागियों की चुनौती
गौर करने वाली बात है कि भारतीय जनता पार्टी ने 2017 में कई नेताओं को सस्पेंड किया गया था। कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को भी बाहर किया गया था। जिसके बाद इन नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया। टिकट नहीं मिलने की वजह से इन नेताओं ने भाजपा के नेताओं को चुनाव में चुनौती दी, कुछ नेता इस बगावत के चलते चुनाव तक हार गए। लेकिन इस बार बगावत के अलावा आम आदमी पार्टी भी एक चुनौती के तौर पर सामने आई है।
आप की बढ़ती लोकप्रियता
गुजरात में आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। गुजरात में आप ने कुछ जमीन जरूर हासिल की है। पार्टी ने निकाय चुनाव में पिछले साल सूरत में 28 फीसदी वोट हासिल किए, गांधीनगर में 21 फीसदी वोट हासिल किए, राजकोट में 17 फीसदी वोट हासिल किए। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती है और इसी के चलते बागी नेताओं को संभालने के लिए नेताओं की लिस्ट तैयार की जा रही है जो इन नेताओं को टिकट घोषित होने के तुरंत बाद संपर्क कर सके और उन्हें मना सकें।
संगठन को मजबूत करने की कोशिश
संगठन की बात करें तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल वन डे, वन डिस्ट्रिक्ट यानि एक दिन एक जिला पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। वह जमीनी स्तर पर जिलों के कार्यकर्ताओं की समस्या को समझने की कोशिश कर रहे हैं, उनके सुझाव के आधार चुनाव की रणनीति को तैयार किया जा सके। इस अभियान के तहत पार्टी 8-10 वोटर्स के पास जाती है, छोटी सभा की जाती है, जहां सरकार की योजनाओं, केंद्र की योजनाओं की जानकारी दी जाती है, लोगों की समस्या को सुना जाता है।