गुजरात न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

गुजरात में मुसलमानों का वोट किधर जाएगा ? मुस्लिम बहुल सीटों का रुझान देखिए

गुजरात चुनाव में मुस्लिम-बहुल सीटों पर अभी भी पहली पसंद कांग्रेस है। अहमदाबाद की दरियापुर और जमालपुर खड़िया में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम तीनों ने मुसलमानों को टिकट दिया है। लेकिन,समर्थन कांग्रेस का मजबूत है।

Google Oneindia News

गुजरात में 1 दिसंबर को पहले चरण का मतदान होना है। 5 दिसंबर को होने वाली दूसरे दौर की वोटिंग के लिए प्रचार चरम पर है। काफी सारी सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है तो एआईएमआईएम की मौजूदगी के चलते मुस्लिम-बहुल कुछ सीटों पर लड़ाई बहुकोणीय भी नजर आ रही है। सवाल है कि इस बार गुजरात का मुसलमान किस पार्टी को वोट करेगा। क्योंकि, राज्य में उनके वोटों की दावेदारों में आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम भी बढ़ गई है। मुसलमान मतदाताओं के बीच भाजपा का समर्थन अभी भी सीमित ही नजर आता है। हम अहमदाबाद के दो मुस्लिम बहुल सीटों पर मुसलमान वोटरों के नजरिए के आधार पर देख सकते हैं कि गुजरात में इस बार क्या हो सकता है।

गुजरात में मुसलमानों का वोट किधर जाएगा ?

गुजरात में मुसलमानों का वोट किधर जाएगा ?

गुजरात के कई मुस्लिम-बहुल सीटों पर इस बार बहुकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के अलावा, आम आदमी पार्टी और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन भी चुनाव मैदान में है। राज्य में मुसलमान वोटर किस आधार पर पार्टियों का चुनाव कर सकते हैं, उसका अंदाजा दो मुस्लिम-बहुल सीटों के मतदाताओं की मंशा से लगाया जा सकता है। यह सीटे हैं- अहमदाबाद की दरियापुर और जमालपुर-खड़िया। यहां के मुस्लिम वोटर अपने जिस रुख का इजहार कर रहे हैं, वह इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके वोटों की दावेदार तीनों ही पार्टियों- कांग्रेस, AAP और AIMIM ने वहां मुस्लिम उम्मीदवारों पर ही दांव लगाया है।

'AAP या AIMIM को वोट देने का कोई मतलब नहीं'

'AAP या AIMIM को वोट देने का कोई मतलब नहीं'

न्यूज18 ने दरियापुर और जमालपुर-खड़िया विधानसभा क्षेत्रों के लोगों से बात के आधार पर एक रिपोर्ट दी है। इसमें यह पता लगाने की कोशिश की गई कि मुसलमान पहले की तरह कांग्रेस के साथ ही हैं या फिर वे दिल्ली की आम आदमी पार्टी और हैदराबाद वाली एआईएमआईएम को चांस देने की सोच रहे हैं? तो जमालपुर-खड़िया के काफी सारे मुसलमानों ने कहा कि वह कांग्रेस के साथ ही रहेंगे। जमालपुर मस्जिद के पास मोहम्मद असलम और ताला शरीफ ने न्यूज चैनल से कहा, 'हम जानते हैं कांग्रेस गुजरात में भारतीय जनता पार्टी को हराने की स्थिति में नहीं है। 2017 में उसके पास बेहतरीन मौका था, लेकिन फेल हो गई। एएपी या एआईएमआईएम को वोट देने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि वे सिर्फ वोट काटने के लिए यहां पर हैं।'

2012 वाली 'गलती' नहीं करना चाहते मुसलमान

2012 वाली 'गलती' नहीं करना चाहते मुसलमान

उन्होंने कहा कि 2012 वाली 'गलती' बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। क्योंकि, तब मुस्लिम वोट बंटने की वजह से पहली बार बीजेपी जमालपुर-खड़िया सीट जीतने में सफल रही थी। उधर अहमदाबाद शहर की दरियापुर सीट से दो बार के कांग्रेस एमएलए और पार्टी उम्मीदवार गयासुद्दीन शेख ने आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम दोनों की ही लीडरशिप को लपेटने की कोशिश की है। उन्होंने आम आदमी पार्टी नेतृत्व पर बिलकिस बानो के मुद्दे पर चुप रहने का आरोप लगाया है और एआईएमआईएम के बारे में दावा किया है कि वह मुसलमान वोट काटकर 'हमेशा बीजेपी की मदद' करती है। उन्होंने कहा, 'गुजरात के वोटरों को पता चल चुका है कि असदुद्दीन ओवैसी कौन हैं। वो एकतरफा बोलकर ध्रुवीकरण की राजनीति करते हैं, जिससे बीजेपी को फायदा मिलता है। हमने लोगों को समझाया है कि इस तरह की एकतरफा बातें हमारे लिए आर्थिक या सामाजिक रूप से आगे बढ़ने के लिए अच्छी नहीं है।'

कांग्रेस ने केजरीवाल की पार्टी पर लगाया गंभीर आरोप

कांग्रेस ने केजरीवाल की पार्टी पर लगाया गंभीर आरोप

शेख को पूरा यकीन है कि मुस्लिम वोटर केजरीवाल की पार्टी या ओवैसी की पार्टी को वोट नहीं देंगे। उन्होंने गुजरात में दो पार्टी वाली राजनीति पर बात करते हुए कहा कि 'आम आदमी पार्टी हाइप पैदा करती है, लेकिन इसके गुब्बारे की हवा निकल चुकी है। लोगों ने देखा है कि AAP ने दिल्ली में कोरोना फैलने के लिए किस तरह से निजामुद्दीन मरकज पर आरोप लगाया, शाहीन बाग की प्रदर्शनकारियों से नहीं मिले और दिल्ली दंगों या जहांगीरपुरी डिमॉलिशन के पीड़ितों के साथ खड़ी नहीं हुई। गुजरात में बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई पर उन्होंने एक शब्द नहीं कहा।' शेख ने यहां तक दावा किया है कि AAP मुसलमानों का वोट तो चाहती है, लेकिन उनसे दूरी भी बनाए रखना चाहती है।

'हम गुजरात में बिहार नहीं दोहराने देंगे'

'हम गुजरात में बिहार नहीं दोहराने देंगे'

वैसे दरियापुर और जमालपुर-खड़िया के मुसलमान यह तो महसूस कर रहे हैं कि 2017 की तुलना में कांग्रेस का चुनाव प्रचार इस बार बहुत ही फीका है। लेकिन, उन्हें लगता है कि फिर भी उनके पास कांग्रेस के अलावा विकल्प नहीं है। जमालपुर में बुजुर्ग मुसलमानों के एक ग्रुप ने कहा कि उनका भरोसा कांग्रेस उम्मीदवार इमरान खेड़ावाल पर है। उन्होंने कहा, 'हमारे लिए एआईएमआईएम विकल्प नहीं है। हम जानते हैं कि बिहार इलेक्शन में ओवैसी ने क्या नुकसान किया था, जिससे बीजेपी सत्ता में आ गई थी। हम गुजरात में वह नहीं दोहराना चाहते हैं।'

इसे भी पढ़ें- महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी के 'इस्तीफे पर विचार' का सच क्या है ?इसे भी पढ़ें- महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी के 'इस्तीफे पर विचार' का सच क्या है ?

गुजरात के मुसलमानों की पहली पसंद कांग्रेस ?

गुजरात के मुसलमानों की पहली पसंद कांग्रेस ?

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह देखना जरूरी है कि गुजरात में मुसलमानों के जबर्दस्त समर्थन के दम पर कांग्रेस का वोट शेयर वर्षों से 35 से 40 फीसदी के बीच रहता है। गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के बाद भी इसमें परिवर्तन नहीं हुआ था। एक स्थानीय पत्रकार का कहना है कि एआईएमआईएम या AAP जैसी पार्टियों के लिए मुसलमानों का वोट लेना आसान नहीं होगा।(तस्वीरें- फाइल)

Comments
English summary
Gujarat Election 2022: Congress first choice in Muslim-majority seats. Muslims do not have faith in Owaisi, doubts are being raised on the behavior of Aam Aadmi Party
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X