Ambaji Temple Prasad विवाद: मोहनथाल को चिक्की से बदलने पर VHP-कांग्रेस-पुजारी आक्रोशित, जानिए पूरा मामला
अंबाजी मंदिर प्रसाद विवाद गुजरात विधानसभा में गूंजा। विश्व हिंदू परिषद् (वीएचपी) और BJP-कांग्रेस जैसे राजनीतिक दल आमने सामने हैं। बनासकांठा का अंबाजी मंदिर देश भर में देवी दुर्गा के भक्तों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है।
गुजरात के एक मंदिर का प्रसाद विवादों में घिरता दिख रहा है। बनासकांठा जिले का अंबाजी मंदिर बेहद लोकप्रिय और लाखों-करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है। अब इस मंदिर के प्रसाद पर विश्व हिंदू परिषद (VHP) और भाजपा-कांग्रेस जैसी राजनीतिक पार्टियों के बीच टकराव देखा जा रहा है। मोहनथाल और चिक्की विवाद की गूंज गुजरात विधानसभा में भी सुनी गई। जानिए पूरा माजरा
मंदिर का प्रसाद बदलने से उपजा विवाद
हिंदू धर्मावलंबियों के बीच खासा लोकप्रिय और मां दुर्गा के भक्तों-श्रद्धालुओं की आस्था के अहम केंद्रों में एक अंबाजी मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने आते हैं। मंदिर प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार, अकेले दिसंबर 2022 में, लगभग छह लाख लोगों ने मां के दरबार में मत्था टेका। इस बार मंदिर एक निगेटिव कारण से सुर्खियों में है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस मंदिर का प्रसाद विवाद का कारण बना है। मंदिर सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में है। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और कांग्रेस एक मुद्दे का मिलकर विरोध कर रही है। इस महीने की शुरुआत से हो रहा विवाद पारंपरिक रूप से मंदिर में प्रसाद के रूप में दी जाने वाली मिठाई- मोहनथाल है। घी, बेसन और चीनी से बना प्रसाद मूंगफली कि चिक्की से बदलने का फैसला लिया गया। इसका विरोध हो रहा है। दी प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार 4 मार्च को बनासकांठा के जिला कलेक्टर आनंद पटेल की अध्यक्षता में श्री अरासुरी अंबाजी माता देवस्थान ट्रस्ट (Shri Arasuri Ambaji Mata Devasthan Trust) ने अंबाजी मंदिर का प्रसाद बदलने का ऐलान किया।
कांग्रेस विधायक मोहनथाल लेकर विधानसभा पहुंचे
मंदिर के 135 पुजारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले दिनेश मेहता के अनुसार चिक्की के खिलाफ सबसे बड़ी आपत्ति यह है कि इसे बनाने में घी की जगह तेल का इस्तेमाल होता है। अब जबकि प्रसाद में बदलाव लागू किया जा चुका है, शहर में इसका विरोध किया जा रहा है। मंदिर या जिला प्रशासन के साथ-साथ राज्य सरकार आलोचना का सामना कर रहे हैं। शनिवार तड़के 'मंदिर के सम्मान में, बजरंग दल मैदान में' और 'हमसे जो टकराएगा, सीधा ऊपर जाएगा' के नारे, मंदिर के बाहर सुने गए। इस मुद्दे पर दी प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार शुक्रवार को, गुजरात विधानसभा में कई कांग्रेस विधायक विरोध जताने के लिए मोहनथाल लेकर विधानसभा में पहुंच गए। उन्हें सत्र से निलंबित कर दिया गया। हंगामे के बाद स्पीकर शंकर चौधरी ने विधायकों द्वारा सदन में बांटी गई मिठाइयों की फॉरेंसिक जांच के आदेश दिए।
विदेश में प्रसाद मांगा गया, इसलिए मूंगफली की चिक्की
इस बीच मंदिर के अधिकारियों ने कहा है कि मोहनथाल के बदले मूंगफली की चिक्की को प्रसाद बनाने का फैसला शेल्फ लाइफ बढ़ाने के मकसद से लिया गया। ऐसा इसलिए क्योंकि अक्सर मंदिर के भक्तों को विदेश में भी प्रसाद भेजे जाते हैं। दिप्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, जिला प्रशासन के एक सदस्य ने बताया कि एक सूखे प्रसाद की जरूरत थी जिसकी शेल्फ लाइफ लंबी हो और लंबी दूरी तक भी ले जाया जा सके। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान, मंदिर का प्रसाद पाने के लिए विदेश में रहने वाले लोगों से कई अनुरोध प्राप्त हुए। इन अनुरोधों के आधार पर ही मूंगफली की चिक्की को प्रसाद बनाने का फैसला लिया गया है।
ऑनलाइन प्रसाद मंगवाने का इंतजाम: मंत्री ने दी दलीलें
विवाद के बीच गुजरात की भूपेंद्र पटेल सरकार में कैबिनेट मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा, जो लोग शारीरिक अक्षमता के कारण मंदिर दर्शन नहीं कर पाते, उन्हें ऑनलाइन दर्शन की सुविधा दी गई है। ऐसे श्रद्धालु ऑनलाइन प्रसाद भी मंगवा सकते हैं ... मोहनथाल की शेल्फ लाइफ केवल सात से आठ दिन होती है। ऐसे में मंदिर प्रशासन ने निर्णय लिया कि मूंगफली चिक्की की शेल्फ लाइफ तीन महीने तक होती है। इसलिए प्रसाद बदला जाए। रविवार को एक बयान में मंत्री पटेल ने कहा, प्रसाद आस्था का विषय है। यह कोई स्वादिष्ट व्यंजन नहीं है... क्योंकि यह लंबे समय तक चलता है, देश के साथ-साथ विदेश में रहने वाले श्रद्धालु भी ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं।
आदेश वापस लेने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम
सरकार और मंदिर प्रशासन की दलीलों से असंतुष्ट लोगों ने मोहनथाल प्रसाद बदलने के फैसले की कड़ी आलोचना की है। राजनीतिक दलों, नेताओं और यहां तक कि मंदिर के पुजारी भी इसकी निंदा कर रहे हैं। बनासकांठा जिले के दांता तालुका निवासियों ने भी पारंपरिक मोहनथाल प्रसाद उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखा है। विहिप ने इस सप्ताह की शुरुआत में चिक्की पर आदेश वापस लेने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम जारी किया था, वहीं गुजरात कांग्रेस ने राज्य सरकार पर हिंदू भक्तों की भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया था। इसने चिक्की बनाने के ठेके देने में भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। दिप्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार शनिवार को मंदिर के बाहर विरोध प्रदर्शन में विहिप की गुजरात इकाई के सचिव अशोक रावल ने बताया कि लाभ कमाने की हड़बड़ी में मंदिर प्रशासन भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहा है।
सरकार पर हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने का आरोप
गौरतलब है कि इस मंदिर में कई बार पीएम मोदी भी पूजा अर्चना करते देखा जा चुके हैं। विहिप के सचिव अशोक रावल ने कहा, "प्रसाद भगवान के दर्शन के बराबर है। यहां जो हो रहा है वह हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहा है। हिंदू समाज ही वह था जिसने इस सरकार को हाल के चुनावों में जिताने में मदद की, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए। हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। जरात कांग्रेस के प्रवक्ता हेमांग रावल ने भी सरकार की आलोचना की। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया। दिप्रिंट के अनुसार कांग्रेस ने कहा, मोहनथाल प्रसाद बदलना हिंदू लोगों के रीति-रिवाजों का बहुत बड़ा अपमान है और बीजेपी गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार कर रही है।
मंदिर के प्रसाद में करप्शन के आरोप
अंबाजी मंदिर प्रसाद विवाद पर दिप्रिंट की विस्तृत रिपोर्ट के अनुसार मंदिर प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि 2022 में, मंदिर प्रशासन ने प्रसाद के साथ दर्शन करने की इच्छा रखने वाले भक्तों के लिए मोहनथाल के विकल्प के रूप में चिक्की की शुरुआत की। प्रसाद 25 रुपये की मामूली कीमत पर बेचा जाता है। एक भक्त को 4 चिक्की मिलती है। पिछले छह महीनों से, चिक्की प्रसाद का निर्माण और आपूर्ति एक निजी कंपनी, नंदिनी गृह उद्योग द्वारा की जा रही थी। इसे पिछले साल मंदिर ट्रस्ट द्वारा जारी निविदा पर ठेका दिया गया था। हालांकि, कांग्रेस के रावल ने आरोप लगाया कि आने वाले महीनों में, मंदिर प्रशासन चिक्की उत्पादन का ठेका इलाके में बनी बनास डेयरी को देने की योजना बना रहा है, जिसका प्रबंधन बीजेपी विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, चौधरी से फोन पर संपर्क का प्रयास किया गया, लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
प्रसाद में घी-तेल का विवाद, चार साल पहले भोग बंद हुआ
अंबाजी मंदिर प्रसाद विवाद के बारे में पुजारियों के प्रतिनिधि दिनेश मेहता ने बताया कि चिक्की बनाने में तेल का इस्तेमाल उनकी आपत्ति के पीछे मुख्य कारण है। दिप्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार मेहता ने कहा, मंदिर में पकाए जाने वाले प्रत्येक खाद्य पदार्थ में घी का उपयोग होता है। यहां तक कि दीपक और मशाल भी घी का उपयोग करते हैं। तेल आधारित प्रसाद लाने से मंदिर के गिरते स्तर का ही पता चलेगा।" मंदिर प्रशासन की मिलीभगत से भ्रष्टाचार की आशंका जाहिर करते हुए उन्होंने कहा, मोहनथाल को प्रसाद के रूप में बरकरार रखा जाना चाहिए। मेहता के मुताबिक, चिक्की की बिक्री से पैसे कमाने के मकसद से मोहनथाल को बदलकर मंदिर प्रशासन चिक्की प्रसाद बांट रहा है। उन्होंने दावा किया, 'जिला प्रशासन पिछले कुछ समय से मनमाना कदम उठा रहा है और धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहा है। चार साल पहले, उन्होंने दोपहर के भोजन के समय अम्बाजी की मूर्ति को भोग लगाना बंद कर दिया गया। हमने उस समय भी अपनी असहमति व्यक्त की, लेकिन कुछ भी नतीजा नहीं निकला।
रोजगार को प्रभावित करने वाला कदम
मंदिर प्रशासन के एक सदस्य ने भ्रष्टाचार सहित सभी आरोपों का खंडन किया और दावा किया कि मोहनथाल के बदले चिक्की का प्रसाद देने का फैसला सोच समझकर लिया गया है। फैसला बदला नहीं जाएगा। विवाद पर विस्तृत रिपोर्ट में दिप्रिंट के अनुसार कई दुकान मालिकों और स्थानीय निवासियों ने भी प्रसाद स्विच निर्णय के पीछे संभावित भ्रष्टाचार की चिंता व्यक्त की है। बनासकांठा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक कांति खराड़ी ने कहा कि इस कदम से कई निवासियों के रोजगार के अवसर प्रभावित होंगे जो अपनी आजीविका के लिए मंदिर पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा, बहुत सम्मानपूर्वक विधानसभा में प्रसाद के बदलाव के मुद्दे पर चर्चा की अपील की, लेकिन अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया। प्रसाद को जहरीला बताकर फेंक दिया गया। लगभग 30 लोग मंदिर में मोहनथाल प्रसाद उपलब्ध कराने से जुड़े हैं। दिप्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश लोग शहर और मंदिर के आसपास इससे जुड़े व्यवसाय से जुड़े हैं।
मोहनथाल प्रसाद बंद करने पर कोई सूचना नहीं
अंबाजी मंदिर में मूंगफली की चिक्की का प्रसाद बांटने के मंदिर प्रशासन के फैसले से नंदिनी गृह उद्योग के मालिक रजनीकांत पटेल भी आश्चर्यचकित हैं। उन्होंने दावा किया कि उन्हें बदलाव के बारे में सूचित नहीं किया गया था। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा, गर्मी के महीनों में डिमांड बढ़ेगी। पटेल ने कहा, "अब तक अंबाजी मंदिर ट्रस्ट ने चिक्की के 60,000 पैकेट के दो ऑर्डर दिए हैं। मोहनथाल को बंद करने के फैसले के बारे में मंदिर द्वारा हमें कोई सूचना नहीं दी गई। इसका मतलब है कि हमें अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ानी होगी। गर्मियों में मूंगफली और बाकी सामग्री का मिक्सचर (concoction) मिलाने के लिए मजदूरों को ढूंढना मुश्किल काम है। बढ़ते तापमान के बीच लोग इस काम से जुड़ना पसंद नहीं करते।
पूर्णिमा पर उमड़ते हैं श्रद्धालु, मोहनथाल रोकना गलत
मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या संबंधी रिपोर्ट्स के अनुसार हर महीने में पूर्णिमा के दिन अंबाजी मंदिर में 14 हवन कुंडों में भारी भीड़ उमड़ती है। दिप्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर परिसर में भक्तों को आरती के लिए घर का बना मोहनथाल लाने से रोकने के लिए मंदिर के कुछ दरवाजे बंद कर दिए गए थे। इससे आक्रोशित मंदिर में मौजूद पुजारी ने कहा, इस मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है और यहां दिया जाने वाला प्रसाद हमेशा घी का बना होता है न कि सस्ते गुणवत्ता वाले तेल का। यह हमारी भावनाओं और इच्छाओं के खिलाफ है।
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