विश्व मात्स्यिकी दिवस : बायोफ्लॉक विधि से मत्स्य पालन के लिए लोगों को किया गया जागरुक
विश्व मात्स्यिकी दिवस पर के अवसर पर गोरखपुर विकास भवन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान मत्स्य पालन के प्रति लोगों को जागरुक किया गया एंव इसमें आ रही समस्याओं पर भी चर्चा की गयी। इसके साथ ही मत्स्य पालन के फायदो
Gorakhpur News: विश्व मात्स्यिकी दिवस पर के अवसर पर गोरखपुर विकास भवन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान मत्स्य पालन के प्रति लोगों को जागरुक किया गया एंव इसमें आ रही समस्याओं पर भी चर्चा की गयी। इसके साथ ही मत्स्य पालन के फायदों पर भी चर्चा की गयी। पूरा कार्यक्रम मुख्य विकास अधिकारी संजय कुमार मीडा की अध्यक्षता में किया गया।
उपनिदेशक मत्स्य बृजेश कुमार ने बताया कि विश्व की कुल प्रोटीन की मांग का 25% मछली से प्राप्त होता है। मत्स्य उत्पादन हेतु उपलब्ध समस्त समुद्री एवं मीठे जल के संसाधनों के अति दोहन के कारण मत्स्य संपदा में निरंतर कमी आ रही है। प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है जिस कारण से मछलियों के प्रजनन स्थल प्रभावित हो रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा 2015_16 से 2019 -20 तक नीली क्रांति योजना का संचालन किया गया। जिससे मत्स्य उत्पादन में वृद्धि के साथ लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हुए। वर्तमान में प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना का संचालन किया जा रहा है। जिसका मुख्य उद्देश्य वर्ष 2024 तक देश का मत्स्य उत्पादन 22 एमएमटी करना और 55 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करना है।
इस दौरान मत्स्य पालकों को प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा, मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा, केसीसी, मछुआ दुर्घटना बीमा और फिशरीज इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड आदि योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी गई।
कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार के वरिष्ठ वैज्ञानिक एस के तोमर द्वारा समन्वित मत्स्य पालन अपनाने हेतु समस्त विधाओं की जानकारी प्रदान की गई। मत्स्य विभाग के सेवानिवृत्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ सुमन सिन्हा द्वा रा मत्स्य पालन क्यों और कैसे विषय पर विस्तृत जानकारी मत्स्य पालकों को दी गई ।
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पंकज बायोफ्लॉक के निदेशक पंकज सिंह के द्वारा बायोफ्लॉक कल्चर के विषय में किसानों को जानकारी देते हुए बताया कि सामान्य मत्स्य पालन की तुलना में बायोफ्लॉक विधि से मत्स्य पालन करने में पंगास मछली 140 दिनों में तैयार हो जाती है। किसानों को कम समय में ज्यादा मुनाफा मिलता है, उन्होंने बायोफ्लॉक कल्चर करने में आ रही समस्याओं एवं उसकी उपयोगिता पर विस्तृत जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम में जनपद के 70 मत्स्य पालकों, मत्स्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया और इस अवसर पर सीडीओ ने पांच मत्स्य पालकों को मछुआ दुर्घटना बीमा का पंजीकरण प्रमाण पत्र भी वितरित किया गया।