आजादी का अमृत महोत्सव: चौरी-चौरा क्रांति जो अंग्रेजों के भारत छोड़ने की बनी पृष्ठभूमि
गोरखपुर,12अगस्त: आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है।देश के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े स्मारकों एंव क्रांतिकारियों को याद किया जा रहा है।शहीद स्मारकों का जहां सजाने व संवारने का काम किया गया हैं वही वीर सपूतों के परिजनों को सम्मानित भी किया गया है। गोरखपुर में हुई एक ऐसी क्रांति जिसने आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। देश में चल रहे तमाम आंदोलनों को एक नई दिशा दी, जिसने पूरे स्वतंत्रता संग्राम की कहानी बदल दी। जी हां,हम बात कर रहे हैं चौरी-चौरा क्रांति की।पहले इसे चौरी-चौरा कांड के नाम से जाना जाता था।लेकिन योगी सरकार ने इसमें परिवर्तन करते हुए कांड की जगह क्रांति का प्रयोग अनिवार्य किया।इस ऐतिहासिक घटना को फिल्म '1922 प्रतिकार : चौरी चौरा' के माध्यम से भी दिखाया जा चुका है।

चौरी-चौरा क्रांति
चौरीचौरा,
उत्तर
प्रदेश
में
गोरखपुर
के
पास
का
एक
कस्बा
है
जहां
4
फरवरी
1922
को
भारतीयों
ने
ब्रिटिश
सरकार
की
हिंसक
कार्रवाई
के
बदले
में
एक
पुलिस
स्टेशन
में
आग
लगा
दी
थी।
इससे
उसमें
छुपे
हुए
22
पुलिस
कर्मचारी
जिन्दा
जलकर
मर
गए
थे।
इस
घटना
को
इतिहास
के
पन्नों
में
चौरी
चौरा
कांड
से
के
नाम
से
जाना
जाता
है।
बाद
में
योगी
सरकार
ने
नाम
में
संशोधन
करते
हुए
चौरी-चौरा
कांड
की
जगह
चौरी-चौरा
क्रांति
किया।इस
कांड
का
भारतीय
स्वतत्रंता
आंदोलन
पर
बड़ा
असर
पड़ा.
इसी
कांड
के
बाद
महात्मा
गांधी
काफी
परेशान
हो
गए
थे।

असहयोग आंदोलन पर असर
इस घटना का असहयोग आंदोलन पर गहरा प्रभाव पड़ा।गांधी जी इस घटना से व्यथित हो गए और असहयोग आंदोलन वापस लेने का निर्णय लिया। उन्हें लगा कि ये भटक रहा है। कई लोग ये भी कहते हैं कि साल 1922 में ये आंदोलन बहुत तेज था।अगर यह जारी रहा होता तो तभी आजादी मिल गई होती।

शताब्दी वर्ष समारोह में पीएम ने किया था प्रतिभाग
चौरी-चौरा क्रांति के शताब्दी वर्ष समारोह 4 फरवरी 2021 को प्रधानमंत्री ने वर्चुअल प्रतिभाग किया था।जिसमें पीएम ने यहां के महत्व व इतिहास को आमजन से साझा किया था। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चौरी चौरा शताब्दी समारोह की शुरुआत की थी।इसके साथ ही उन्होंने चौरी चौरा पर एक डाक टिकट भी जारी किया था।

फिल्म '1922 प्रतिकार : चौरी चौरा'
इस
क्रांति
के
महत्व
को
देखते
हुए
गोरखपुर
में
इस
पर
फिल्म
1922
प्रतिकार:चौरी
चौरा
का
निर्माण
किया
गया।इस
फिल्म
में
प्रमुख
भूमिका
में
सांसद
रवि
किशन
शुक्ला
रहे।
फिल्म
के
क्रिएटिव
प्रोड्यूसर
गौरव
शंकर
खरे
बताते
हैं
कि
फिल्मकार
अभिक
भानू
निर्देशित
और
रंगमंच
से
जुड़े
रविशंकर
खरे
निर्मित
इस
फिल्म
में
चौरी-चौरा
जन
क्रांति
की
ऐतिहासिक
घटना
और
उसमें
शामिल
अमर
सेनानियों
की
शौर्य
गाथा
को
फिल्माया
गया
है।
इस
फिल्म
में
चौरी-चौरा
जनक्रांति
के
प्रमुख
नायकों
में
से
एक
भगवान
अहीर
के
किरदार
में
सांसद
रवि
किशन
हैं।इस
फिल्म
में
बहुत
सारे
ऐसे
तथ्य
भी
दिखाए
गए
हैं
जिन्हें
इतिहास
में
छुपाने
का
काम
किया
गया
था।

चौरी-चौरा क्रांति जो अंग्रेजों के भारत छोड़ने की बनी पृष्ठभूमि
वरिष्ठ पत्रकार व फिल्म में विल स्मिथ की भूमिका निभाने वाले उपेन्द्र पांडेय बताते हैं कि चौरी-चौरा की घटना जलियांवाला बाग की घटना का प्रतिकार था। अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए पूरा पूर्वांचल गरम था।इस बीच हुई जलियांवाला बाग की घटना ने देश भक्तों को आंदोलित कर दिया।पुलिसवालों ने आमजन पर अंधाधुध फायरिंग की जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे।यह घटना ही अंग्रेजों को भारत से भगाने की पृष्ठभूमि बनी। देश का जन-जन बागी हो गया था।
2024
में
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के
लिए
बिहार
की
पहली
पंसद
मोदी,
CM
के
रूप
में
तेजस्वी
यादव:
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