गोरखपुर में आज से पल्स पोलियो अभियान की शुरुआत,7लाख बच्चों को पिलाई जाएगी दवा
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेश के सभी जिलों में रविवार को पल्स पोलियो अभियान की शुरुआत करेगी।इसी क्रम में गोरखपुर में लगभग सात लाख बच्चों बच्चों को पल्स पोलियो की खुराक दी जाएगी।सीएमओ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि चिक
गोरखपुर,18सितंबर: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेश के सभी जिलों में रविवार को पल्स पोलियो अभियान की शुरुआत करेगी।इसी क्रम में गोरखपुर में लगभग सात लाख बच्चों बच्चों को पल्स पोलियो की खुराक दी जाएगी।सीएमओ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय पल्स पोलियो उप अभियान में पांच साल तक के बच्चों को दवा पिलाई जाएगी।ऐसा माना जाता है कि विश्व में अभी भी पोलियो पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। भारत 2012 से पोलियो मुक्त घोषित है लेकिन पाकिस्तान और एक दो देश ऐसे हैं जहां यह वायरस सक्रिय हैं।दोबारा भारत में न हो इसके लिए सावधानी बरती जाती है।
सीएमओ
डॉक्टर
आशुतोष
कुमार
दूबे
ने
बताया
कि
जिले
में
आज
से
पल्स
पोलियो
अभियान
की
शुरुआत
हो
रही
है।पांच
साल
तक
के
बच्चों
को
पोलियो
की
खुराक
दी
जाएगी।
इसके
लिए
2,159
बूथ
बने
हैं।
नजदीकी
बूथ
की
जानकारी
के
लिए
आशा
और
एएनएम
से
संपर्क
कर
सकते
हैं।बूथ
दिवस
के
बाद
19
से
23
सितंबर
तक
स्वास्थ्य
टीम
घर-घर
जाकर
पोलियो
की
दवा
पिलाएगी।
अभियान
के
दौरान
6.75
लाख
बच्चों
को
दवा
पिलाने
का
लक्ष्य
है।
उन्होंने
बताया
कि
बच्चों
को
घर-घर
जाकर
दवा
पिलाने
के
लिए
के
लिए
1,494
टीम
बनाई
गई
हैं।
287
ट्रांजिट
टीम
और
64
मोबाइल
टीम
भी
बनाई
गई
हैं,
जो
ईंट
भट्ठों,
घूमंतू
लोगों
और
प्रमुख
सार्वजनिक
स्थानों
पर
दवा
पिलाएंगी।
कुल
8.78
लाख
घरों
में
दवा
पिलाने
का
लक्ष्य
है।
जिले
में
4,399
मोहल्ले
और
गांव
अभियान
के
लिए
चिह्नित
किए
गए
हैं।
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बच्चों
को
ही
क्यों
पिलाई
जाती
है
पोलियो
की
दवा
पांच
साल
तक
के
बच्चों
को
पोलियो
की
दवा
पिलाई
जाती
है।
लेकिन
क्या
आप
जानते
हैं
कि
ये
दवा
बच्चों
को
ही
क्यों
पिलाई
जाती
है।
ऐसा
माना
जाता
है
कि
अभी
भी
पोलियो
पूरी
तरह
से
खत्म
नहीं
हुआ
है।
भारत
2012
से
पोलियो
मुक्त
घोषित
है
लेकिन
पाकिस्तान
और
एक
दो
देश
ऐसे
हैं
जहां
यह
वायरस
सक्रिय
हैं।
भारत
ने
विश्व
स्वास्थ्य
संगठन
वैश्विक
पोलियो
उन्मूलन
प्रयास
के
परिणामस्वरूप
1995
में
पल्स
पोलियो
टीकाकरण
कार्यक्रम
आरंभ
किया।
पोलियो
एक
संक्रामक
रोग
है
जो
एक
ऐसे
वायरस
से
उत्पन्न
होता
है,
जो
गले
तथा
आंत
में
रहता
है।
यह
आम
तौर
पर
एक
व्यक्ति
से
दूसरे
व्यक्ति
में
संक्रमित
व्यक्ति
के
मल
के
माध्यम
से
फैलता
है।
यह
नाक
और
मुंह
के
स्राव
से
भी
फैलता
है।
यह
मुख्यत
एक
से
पांच
वर्ष
की
आयु
के
बच्चों
को
ही
प्रभावित
करता
है,
क्योंकि
उनमें
रोग
प्रतिरोधक
क्षमता
पूरी
तरह
विकसित
नहीं
हुई
होती
है।