नर्मदा बांध को 450 फीट तक भरेगी गुजरात सरकार, डूब सकते हैं मध्यप्रदेश के गांव, अनशन शुरू
गांधीनगर। नर्मदा बांध परियोजना को लेकर गुजरात-मध्यप्रदेश के बीच तू-तू, मैं-मैं खत्म नहीं हो रही है। गुजरात सरकार ने सरदार सरोवर डैम में 450 फीट से भी ज्यादा जलस्तर का ऐलान कर दिया, जिससे मध्य प्रदेश के निचले क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। जिसके खिलाफ मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के छोटे बड्डा गाँव में शीर्ष विरोधी संगठन से जुड़ी महिलाओं के साथ नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) की कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने अनशन शुरू कर दिया है। इन लोगों की मांग है कि गुजरात सरकार बांध में 130 मीटर से कम जलस्तर रखे। अनशन कर रही गांव की महिलाओं की संख्या अभी 24 है।
मध्य प्रदेश में मंदिर, भवन, दुकानें जलमग्न होने लगीं
बांध में अतिरिक्त पानी भरे जाने के विरोध में एनबीए ने केंद्र और राज्य सरकार को दोषी ठहराया है। एनबीए ने कहा है कि बांध के जलाशय में पानी का स्तर 133 मीटर तक पहुंच गया है, जिससे सैकड़ों गांव और खेत द्वीपों में बदल गए हैं। 130 मीटर पर मध्य प्रदेश में मंदिर, भवन, दुकानें जलमग्न होने लगी हैं।
बांध का जलस्तर बढ़ने से इन जिलों में खतरा मंडराया
जो गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हैं वे बड़वानी, धार और खरगोन मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले में हैं। वहीं, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को लिखित पत्र में अरुणा रॉय, निखिल डे, डॉ. बिनायक सेन, प्रफुल्ल सामंत, लिंगराज आजाद सहित कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने पुनर्वास के लिए सख्त कदम की मांग की।
गुजरात सरकार नर्मदा जलाशय को 139 मीटर भरने पर आमादा
गांव की महिलाओं के अलावा पर्यावरण कार्यकर्ता मीरा संघमित्रा, कविता श्रीवास्तव, संदीप पांडे आदि लोगों ने खेद व्यक्त किया कि उनके हस्तक्षेप के बावजूद, गुजरात सरकार नर्मदा जलाशय को 139 मीटर तक भरने पर आमादा है।
पुनर्वास स्थलों पर कोई सुविधाएं नहीं
पत्र में यह भी कहा गया है कि मध्यप्रदेश में हजारों परिवारों का पुनर्वास अधूरा है, पुनर्वास स्थलों पर कोई सुविधाएं नहीं हैं। बता दें कि, गुजरात स्थित सरदार सरोवर बांध के डूब क्षेत्र में रहने वाले मध्य प्रदेश के सैकड़ों लोगों ने 13 अगस्त को भी नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) की मेधा पाटकर के विरोध में उचित पुनर्वास की मांग करते हुए धर जिले में एनएच-3 को अवरुद्ध कर दिया था।
76 गांवों निचले इलाकों में, जिनके डूबने का खतरा
यहां तक कि नागरिकों के अपने खेत और घर जलमग्न हो रहे हैं। नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एनसीए) ने बताया था कि 76 गांवों में 6,000 परिवार डूब क्षेत्र में रहते हैं।