गुजरात में भाजपा ‘फिर 26’ के लिए 9 मुश्किल सीटों पर फंसी, चलाया ‘कांग्रेस तोड़ो’ अभियान
Lok sabha elections 2019 News, गांधीनगर। वर्ष 2014 में गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीटें जीतने वाली भाजपा 'फिर 26' का टारगेट लेकर चल रही है। इसके लिए पार्टी बड़े पैमाने प्रचार अभियान चला रही है। हालांकि, इस बार 2014 जैसी जीत को लेकर पार्टी संशय में भी है। खासतौर पर सूबे में 9 सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस की पकड़ भाजपा के मुकाबले अच्छी है। विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस इन इलाकों में जीती थी। ऐसे में इन सीटों पर उसे जीतने के लिए कांग्रेस के विधायक और स्थानीय नेताओं का समर्थन चाहिए होगा। भाजपा के प्रदेश हाईकमान से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, इसके लिए 'कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने' का अभियान चलाया हुआ है।
अब तक एक के बाद एक ऐसे टूटे कांग्रेस से कई विधायक
लोकसभा चुनाव से काफी पहले से सत्ताधारी भाजपा की कोशिश कांग्रेस को तोड़ने में काफी हद तक सफल रही है। यही वजह थी कि, कांग्रेस छोड़ने वाले विधायकों की संख्या बढ़ती चली गई। भाजपा ने विपक्षी पार्टी के पांच विधायकों को अपने से जोड़ लिया। पांच सदस्यों में से 2, कुंवरजी बावरिया और जवाहर चावडा को कैबिनेट में मंत्री बना दिया गया।
अल्पेश समेत 3 विधायकों के भी इस्तीफे, 4 को भाजपा ने पहले ही टिकट दिया
वहीं, भाजपा ने उन चार पूर्व विधायकों को भी टिकट दिया है, जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए थे। वे उपचुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने हाल ही कांग्रेस के 3 विधायकों के इस्तीफे के बाद महेसाणा, पाटन, बनासकांठा और साबरकांठा लोकसभा सीटें जीतने के लिए उत्तर गुजरात में बडा प्लान बनाया है।
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इन तीन विधायकों अल्पेश ठाकोर, भरतजी ठाकोर और धवल सिंह जाला ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी, लेकिन विधायक का पद नहीं छोड़ा। यदि इनकी विधायकी नहीं छिनती है तो इन तीन सदस्यों को स्वतंत्र विधायक कहा जाएगा। स्थानीय कांग्रेसियों को लगता है कि भाजपा इन तीनों का इस्तेमाल कर रही है।
कांग्रेस के पांच और विधायकों पर भाजपा की नजर
वहीं,
राज्य
की
दूसरी
लोकसभा
सीटों
को
मजबूत
बनाने
के
लिये
भाजपा
पाँच
अन्य
विधायकों
के
भी
कांग्रेस
से
इस्तीफे
का
इंतजार
कर
रही
है।
अटकले
हैं
कि
कांग्रेस
से
भी
पांच
विधायक
टूट
सकते
हैं।
यदि
ऐसा
हुआ
तो
कई
मुश्किल
सीटों
पर
भाजपा
की
राह
आसान
हो
जाएगी।
राजनीतिज्ञों
के
अनुसार,
सौराष्ट्र
में
सुरेंद्रनगर,
जूनागढ़,
दाहोद,
छोटापुर
और
अमरेली
भाजपा
के
लिए
जितनी
आसान
नहीं
हैं,
इसलिए
इस
क्षेत्र
के
कांग्रेस
विधायकों
पर
निगाह
रखी
जा
रही
है।
इसके
अलावा,
जामनगर
और
पोरबंदर
सीट
के
लिए
भी
भाजपा
सक्रिय
है।
यहां
लोकसभा
सीटों
के
तहत
विधानसभा
सदस्यों
को
तोड़ने
का
प्रयास
किया
जा
रहा
है।
शहरों में भाजपा तो गांवों में कांग्रेस मजबूत
स्थानीय जानकारों ने बताया कि सूबे में कांग्रेस जहां पटेलों के गुस्से को फिर भुनाना चाहती है, तो भाजपा ने इस बार ओबीसी वोटबैंक को ज्यादा महत्व दिया है। हाल की गतिविधियों पर नजर डाली जाए यहां शहरों में भाजपा मजबूत है, जबकि गांवों में कांग्रेस बेहतर स्थिति में है। शहरी इलाकों में लोकसभा की 8 सीटें हैं। जिनमें 2 अहमदाबाद की और गांधीनगर, भावनगर, वडोदरा, सूरत, राजकोट और जामनगर आदि सीटें शामिल हैं। इनके अलावा बाकी 18 सीटें ग्रामीण इलाकों में हैं। भाजपाई नेतृत्व को लगता है कि ग्रामीण इलाकों से कांग्रेस 8 से 10 सीटें निकाल सकती है। ऐसे में यहां खासकर 9 सीटों पर भाजपा का अघोषित तौर पर 'कांग्रेस तोड़ो' अभियान चल रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि ये अभियान 18 अप्रैल तक चलेगा।