हार्दिक पटेल बोले- क्रांतिकारी आवाज को दबाने वाला अंग्रेजों का बनाया राजद्रोह कानून रद्द होना चाहिए
गांधीनगर। गुजरात में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने राजद्रोह कानून (धारा 124 A व IT एक्ट की धारा 66A) को रद्द कराने की मांग की है। हार्दिक पटेल ने आज कहा कि, "राजद्रोह वाला कानून अंग्रेजों ने क्रांतिकारियों की आवाज को दबाने के लिए बनाया था। हमारी पार्टी कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस कानून को रद्द कराने का वादा किया, तो बीजेपी वाले कांग्रेस पर देशद्रोह के आरोप लगाने लगे। हमें देशद्रोहियों का समर्थक बताया गया।"
हार्दिक
ने
कहा,
"सरकार
अब
सुप्रीम
कोर्ट
ने
पूछा
है
कि
अंग्रेजों
का
यह
कानून
अब
तक
रद्द
क्यों
नहीं
हुआ?
तो
क्या
यह
कहने
वाला
सुप्रीम
कोर्ट
देशद्रोहियों
के
साथ
है।
बताइए
भाजपा
सरकार!"
मालूम
हो
कि,
इंडियन
पीनल
कोड
IPC
में
धारा-124
A
में
राजद्रोह
की
परिभाषा
दी
गई
है।
अंग्रेजी
में
इसे
सेडिशन
लॉ
और
हिंदी
में
राजद्रोह
कानून
कहा
जाता
है।
बीते
गुरुवार
को
सुप्रीम
कोर्ट
ने
इसे
अंग्रेजों
के
जमाने
का
कॉलोनियल
कानून
बताते
हुए
केंद्र
सरकार
से
सवाल
किया
कि,
आजादी
के
75
साल
बाद
भी
देश
में
इस
कानून
की
क्या
जरूरत
है।
सुप्रीम
कोर्ट
ने
यह
भी
कहा
कि,
संस्थानों
के
संचालन
के
लिए
ये
कानून
बहुत
गंभीर
खतरा
है।
ये
अधिकारियों
को
कानून
के
गलत
इस्तेमाल
की
बड़ी
ताकत
देता
है
और
इसमें
उनकी
कोई
जवाबदेही
भी
नहीं
होती।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सवाल उठाने पर कांग्रेस समेत कई दलों के नेता राजद्रोह के कानून को लेकर भाजपा सरकार को आड़े हाथों ले रहे हैं। हार्दिक गुजरात में कांग्रेस के फायरब्रांड नेता हैं, तो उन्होंने भी सरकार से यह सवाल किया है। हार्दिक से पहले बीते गुरुवार को जब सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस एनवी रमना की 3 जजों वाली बेंच ने उपरोक्त कानून पर बात की तो जजों द्वारा कहा गया कि, "राजद्रोह की धारा-124A का बहुत ज्यादा गलत इस्तेमाल हो रहा है। जजों ने कहा कि, ये ऐसा है जैसे किसी बढ़ई को लकड़ी काटने के लिए कुल्हाड़ी दी गई हो और वो इसका इस्तेमाल पूरा जंगल काटने के लिए ही कर रहा हो। इस कानून का ऐसा असर पड़ रहा है कि, अगर कोई पुलिसवाला किसी गांव में किसी को फंसाना चाहता है तो वो इस कानून का इस्तेमाल कर रहा है। इससे लोग डरे हुए हैं।"