Ayodhya title suit: आखिर क्या है अयोध्या टाइटल सूट, जानिए विस्तार से
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नई दिल्ली। देश में राम मंदिर निर्माण को लेकर चल रही बहस के बीच सुप्रीम कोर्ट में आज अयोध्या विवाद पर सुनवाई हुई, सोमवार को अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई मात्र 3 मिनट में ही टल गई, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने अब इस मामले के लिए जनवरी, 2019 की तारीख तय की है यानी अब ये मामला करीब 3 महीने बाद ही कोर्ट में उठेगा।
टाइटल सूट (जमीन के मालिकाना हक से जुड़ा केस)
इस सुनवाई से ये तय होगा कि आखिर अयोध्या की विवादित भूमि पर मालिकाना हक किसका है, आज से करीब आठ साल पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था, लेकिन उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जिसके तहत अयोध्या विवाद के टाइटल सूट (जमीन के मालिकाना हक से जुड़ा केस) पर सुनवाई हो रही है, जो कि फिलहाल के लिए टाल दी गई है।
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क्या है अयोध्या का टाइटिल सूट?
साल 1950 में विवादित हिस्से पर हिंदू रीति रिवाज से पूजा की इजाजत मांगने के लिए गोपाल सिंह विशारद ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, इसके बाद यही मांग 1959 में निर्मोही अखाड़ा की याचिका में भी रखी गई गई थी साथ इस याचिका में विवादित भूमि पर नियंत्रण की भी मांग की भी बात थी।
हाईकोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांट दिया
जिसके बाद ये मामला काफी उग्र हो गया और विवादित हिस्से पर मुस्लिम सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी अपना दावा ठोक दिया था, जिसके बाद साल 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांट दिया, जिसमें एक हिस्सा रामलला विराजमान को, एक हिस्सा निर्मोही अखाड़ा और एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को सौंपने को कहा गया। जिस पर तीनों ही पक्ष राजी नहीं हुए।
मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
जिसके बाद 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी, जिस पर आज सुनवाई हुई, सुनवाई से पहले कोर्ट ने साफ कर दिया था कि ये सुनवाई सिर्फ जमीन विवाद को लेकर की जाएगी, किसी और मसले से इसका कोई लेना-देना नहीं है।