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1984 Riots: जब खेली गई थी खून की होली, 3000 लोगों का हुआ था कत्लेआम

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नई दिल्ली। वरिष्ठ कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के साथ पूरी कांग्रेस पार्टी के लिए सोमवार का दिन काला साबित हुआ। दिल्ली में 1984 में हुए सिख दंगों के एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट की डबल बेंच ने आज सज्जन कुमार को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। सजा सुजाए जाने के बाद दोषी सज्जन कुमार को 31 दिसंबर तक सरेंडर करना होगा। सोमवार को जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की बेंच ने यह फैसला सुनाया। सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा देने के साथ दोषी पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इससे पहले निचली अदालत ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया था।

अदालत के इस फैसले के बाद एक बार फिर से सन 84 के दंगों के घाव हरे हो गए हैं, उन दंगों को याद करके हर भारतीय आज भी सिहर उठता है, चलिए जानते हैं भारत के इतिहास के उस काले अध्याय को विस्तार से ...

 2000 से ज्यादा लोग दिल्ली में मारे गए थे

2000 से ज्यादा लोग दिल्ली में मारे गए थे

साल 1984 में सिख विरोधी दंगे इंडियन सिखों के खिलाफ थे। इसके पीछे कारण था तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या, जिनकी हत्या उन्हीं के अंगरक्षकों ने की थी जो कि सिख थे। इन दंगों के कारण भारत में खून की होली खेली गई थी। इन दंगों में 3000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी, जिसमें 2000 से ज्यादा लोग दिल्ली में मारे गए थे।

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राजीव गांधी का भी बयान सुर्खियां बना था

राजीव गांधी का भी बयान सुर्खियां बना था

इन दंगों पर काफी सियासत खेली गई थी क्योंकि नरंसहार के बाद सीबीआई ने कहा था कि ये दंगे राजीव गांधी के नेतृ्त्व वाली कांग्रेस सरकार और दिल्ली पुलिस ने मिल कर कराए हैं। उस समय तत्कालीन पीएम राजीव गांधी का एक बयान भी काफी सुर्खियों में था जिसमें उन्होंने कहा था कि जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, तब पृथ्वी भी हिलती है।

क्यों हुए थे सिख इंदिरा गांधी के खिलाफ?

क्यों हुए थे सिख इंदिरा गांधी के खिलाफ?

दरअसल सिखों का गुस्सा इंदिरा गांधी पर इसलिए फूटा क्योंकि उन्होंने साल 1970 में इमरजेंसी के दौरान चुनाव प्रचार के लिए हजारों सिखों को कैद कर लिया था और यही नहीं जून 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान इंदिरा गांधी ने भारतीय सेना को स्वर्ण मंदिर पर कब्ज़ा करने का आदेश दिया था और मंदिर के अंदर घुसे सभी विद्रोहियों को खत्म करने के लिए कहा था क्योंकि स्वर्ण मंदिर पर हथियार लेकर घुसे सिख अलगाववादियों ने कब्जा कर लिया था।

 क्या थी सिख अलगाववादियों की मांग?

क्या थी सिख अलगाववादियों की मांग?

दरअसल सिख समुदाय का एक हिस्सा, जिसे कि इंदिरा सरकार ने अलगाववादी आतंकवादी संगठन कह दिया था, ने मांग की थी वो एक 'खालिस्तान' नाम का एक अलग देश चाहते थे, जहां केवल सिख और सरदार की कौम ही रहने वाली थी। जिस पर सरकार ने कड़ा विरोध किया और उन्हें खत्म करने का आदेश दिया था। इंदिरा गांधी के इस आप्रेशन को 'आप्रेशन ब्लू स्टार' नाम दिया था। जिसके दौरान ही सिख अलगावादी संगठन गोल्डेन टेंपल में घुसे थे जिन्हें बाहर निकालने के लिए इंदिरा ने अर्धसैनिक बलों को मंदिर के अंदर घुसने का आदेश दे दिया था।

'ऑपरेशन ब्लू स्टार'

'ऑपरेशन ब्लू स्टार'

इंदिरा गांधी ने भारतीय सेना के तत्कालीन वाइस चीफ लेफ्टनेंट जनरल एसके सिन्हा को लालच देते हुए कहा था कि वो अपने जवानों के साथ अमृतसर में मौजूद सिखों पर हमला करेंगे तो उन्हें वो आर्मी चीफ बना देंगी। इस पर एसके सिन्हा ने इंकार कर दिया और प्रधानमंत्री का अमृतसर में कथ‍ि‍त सिख अलगाववादियों पर हमला करने के आदेश को भी नहीं माना। इस पर इंदिरा गांधी ने एसके सिन्हा को हटा कर उनकी जगह जनरल सुंदरजी को वाइस-चीफ और जनरल अरुन श्रीधर वैद्य को आर्मी चीफ बना दिया था। जनरल वैद्य और लेफ्टनेंट जनरल सुंदरजी ने मिलकर 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' को अंजाम दिया।

 तोपें चलाने के दिए थे निर्देश

तोपें चलाने के दिए थे निर्देश

ऑपरेशन ब्लू स्टार में जरनैल सिंह भि‍न्डरानवाला और उनके समर्थकों को खत्म करने के लिये इंदिरा गांधी ने भारतीय सेना को तोपों के साथ चढ़ाई करने का आदेश दिया था। उस दौरान भारतीय सेना ने सात विजयंता टैंकों का इस्तेमाल करते हुए सिखों के हर मंदिर परिसर पर आक्रमण किया था।

इंदिरा गांधी की हत्या दंगों की वजह

इंदिरा गांधी की हत्या दंगों की वजह

इसी कारण इंदिरा गांधी के दो अंगरक्षक, जो कि सिख थे, नाराज थे और इस कारण उन्होंने इंदिरा गांधी की हत्या कर दी थी। जिसके बाद देश में दंगे भड़क गए थे। इन दंगों के दौरान लाखों की संख्या में सिख विस्थापित हुए। लाखों सिखों को अपना घर छोड़ना पड़ा और तो और हजारों सिखों को अपनी जान बचाने के लिये बाल कटवाने पड़े थे। हजारों की संख्या में सिखों को दिल्ली, पंजाब और हरियाणा से निकल कर यूपी, बिहार समेत कई अन्य प्रदेशों के छोटे-छोटे गांवों में जाकर बसना पड़ा था।

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English summary
The 1984 Anti-Sikh Riots was a series of pogroms directed against Sikhs in India, by anti-Sikh mobs in response to the assassination of Indira Gandhi by her Sikh bodyguards. There were about 3000 deaths across India, including 2100 in Delhi.
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