दादी इंदिरा के काफी करीब थे राहुल गांधी, 'रॉल विंसी' बनकर करना पड़ा था काम
नई दिल्ली। लंबे वक्त से जिस चीज का इंतजार कांग्रेस पार्टी कर रही थी, वो लम्हा आज आ गया,आज उनके चहेते युवराज राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भर दिया है। हालांकि ये एकतरफा मुकाबला है और इस कारण राहुल के नाम का बस औपचारिक ऐलान बाकी है। देश में हर जगह कमजोर पड़ी कांग्रेस को पूरी उम्मीद है कि उनके राहुल बाबा पार्टी को मजबूती प्रदान करेंगे और नई ऊंचाईयों पर लेकर जाएंगे लेकिन सब को पता है कि राहुल गांधी के लिए ये सफर बहुत मुश्किल है क्योंकि अभी तक उन्हें किसी भी चुनाव में सफलता नहीं मिली है, इसलिए कुछ विरोधी सुर भी पार्टी में प्रबल हैं, ऐसे में राहुल गांधी कैसे आगे निकलते हैं, इस बात का फैसला आने वाले वक्त में होगा, फिलहाल यहां जिक्र करते हैं राहुल गांधी से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में, जिनके बारे में काफी कम लोग जानते होंगे।
19 जून 1970
19 जून 1970 को जन्में राहुल गांधी आज भले ही गुजरात की चुनावी रैली में शेरों-शायरी और तंज कसते दिखते हों लेकिन एक वक्त था जब इन्हें काफी शर्मिला इंसान कहा जाता था। अपनी दादी इंदिरा के बेहद करीब रहे राहुल गांधी ने उन्हीं से बैडमिंटन खेलना सीखा था और जिस वक्त इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी, उस वक्त उनकी उम्र मात्र 14 बरस थी।
राहुल गांधी का स्कूल जाना बंद हो गया
जिस वक्त इंदिरा गांधी को अस्पताल में मृत घोषित किया गया था, उस वक्त राहुल अपनी बहन प्रियंका गांधी के साथ स्कूल में थे। दादी की हत्या के बाद ही राहुल गांधी का स्कूल जाना बंद हो गया और उन्हें घर पर ही पढ़ाई करनी पड़ी क्योंकि उस वक्त सुरक्षा के मद्देनजर ऐसा किया गया था।
दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल
राहुल की प्रारंभिक शिक्षा तो दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल में हुई और इसके बाद वो प्रसिद्ध दून विद्यालय में पढ़ने चले गये जहां उनके पिता राजीव ने भी पढ़ाई की थी। राहुल ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के रोलिंस कॉलेज फ्लोरिडा से सन 1994 में कला स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद सन 1995 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज से एम.फिल. की उपाधि प्राप्त की थी। पहले दादी और फिर पिता की हत्या के ही कारण राहुल गांधी की शिक्षा पर कई बार व्यवधान आए।
'रॉल विंसी'
राहुल ने प्रबंधन गुरु माइकल पोर्टर की प्रबंधन परामर्श कंपनी मॉनीटर ग्रुप के साथ 3 साल तक काम किया है। इस दौरान उनकी कंपनी और सहकर्मी इस बात से पूरी तरह से अनभिज्ञ थे कि वे किसके साथ काम कर रहे हैं क्योंकि राहुल वहां 'रॉल विंसी' के नाम से इस कम्पनी में नियोजित थे। राहुल के आलोचक उनके इस कदम को उनके भारतीय होने से उपजी उनकी हीन-भावना मानते हैं जब कि, कांग्रेसी उनके इस कदम को उनकी सुरक्षा से जोड़ कर देखते हैं। सन 2002 के अंत में वह मुंबई में स्थित अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी से संबंधित एक कम्पनी 'आउटसोर्सिंग कंपनी बैकअप्स सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड' के निदेशक-मंडल के सदस्य बन गए।
सत्ता वापसी का ख्वाब
मार्च 2004 में चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ उन्होंने भारतीय राजनीति में प्रवेश की घोषणा की, वह अपने पिता के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश के अमेठी से लोकसभा चुनाव के लिए खड़े हुए और विजयी घोषित हुए। फिलहाल राहुल के कंधों पर कांग्रेस सत्ता वापसी का ख्वाब देख रही है, देखते हैं कि उसका ये सपना पूरा होता है या नहीं।
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