मॉडल और टीवी की बहू स्मृति ईरानी, राहुल गांधी को टक्कर देने को तैयार
पहले टीवी की लोकप्रिय बहू और अब राजनीति की एक लोकप्रिय नेता के तौर पर सामने आनी वाली स्मृति मल्होत्रा ईरानी अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरेंगी। साल 2003 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने वाली स्मृति ने बहुत कम समय में ही पार्टी में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। आज स्मृति बीजेपी की उपाध्यक्ष के तौर पर न्यूज चैनलों और मीडिया में पार्टी का मत हर मुद्दे पर रखती हुई नजर आती हैं। पार्टी का स्मृति पर भरोसा ही है कि उन्हें गांधी परिवार के गढ़ अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ लोकसभा का टिकट दिया गया है। स्मृति दूसरी बार लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रही है और इससे पहले बीजेपी ने उन्हें साल 2014 में पुरानी दिल्ली की चांदनी चौक सीट से टिकट दिया था। उस समय स्मृति ने केंद्रिय मंत्री कपिल सिब्बल के खिलाफ चुनाव लड़ा था। स्मृति भले ही चुनाव हार गई थीं लेकिन उनकी लोकप्रियता दिन पर दिन बढ़ती गई।
निजी
जीवन
स्मृति
ईरानी
दिल्ली
की
एक
पंजाबी
लोअर
मीडिल
क्लास
फैमिली
से
आती
हैं
और
उनके
पिता
एक
छोटी
सी
कुरियर
कंपनी
चलाते
थे।
उनकी
मां
जहां
बंगाली
हैं
तो
उनके
पिता
एक
पंजाबी।
37
वर्षीय
स्मृति
90
के
दशक
में
मुंबई
आईं
और
यहां
पर
उन्होंने
काम
तलाशना
शुरू
किया।
तीन
बहनों
में
सबसे
बड़ी
स्मृति
ने
साल
1997
में
मिस
इंडिया
प्रतियोगिता
के
फाइनल
में
अपनी
जगह
बनाई।
इसके
बाद
भी
उनके
लिए
संघर्षों
का
दौर
खत्म
नहीं
हुआ।
शायद
ही
कम
लोगों
को
मालूम
हो
जिस
तुलसी
के
तौर
पर
स्मृति
को
आज
घर-घर
में
पहचाना
जाता
है
कभी
उस
रोल
के
स्मृति
को
ऑडिशन
में
ही
रिजेक्ट
कर
दिया
गया
था।
लेकिन
फिर
भी
'क्योंकि
सास
भी
कभी
बहू
थी,'
में
उन्होंने
तुलसी
का
रोल
अदा
किया।
दो
बच्चों
की
मां
स्मृति
ने
अपने
बचपन
के
दोस्त
और
उम्र
में
10
साल
बड़े
जुबिन
ईरानी
से
साल
2001
में
शादी
की
और
आज
वह
दो
बच्चों
जौहर
और
जोइश
की
मां
है।
जुबिन
की
स्मृति
से
दूसरी
शादी
और
स्मृति
जुबिन
की
पहली
शादी
से
हुई
बेटी
शैनेल
की
जिम्मेदारी
भी
संभालती
हैं।
राजनीतिक
जीवन
स्मृति
का
राजनीतिक
जीवन
साल
2003
में
शुरू
हुआ
जब
उन्होंने
बीजेपी
में
एंट्री
ली।
साल
2004
में
स्मृति
को
महाराष्ट्र
बीजेपी
यूथ
विंग
का
उपाध्यक्ष
बनाया
गया
और
फिर
24
जून
2010
को
वह
बीजेपी
की
अखिल
भ्सारतीय
महिला
मोर्चा
की
अध्यक्ष
नियुक्त
की
गईं।
एक
सांसद
के
तौर
पर
स्मृति
का
कार्यकाल
साल
2011
में
शुरू
हुआ
जब
उन्हें
गुजरात
से
राज्यसभा
का
सांसद
चुना
गया।
स्मृति
को
महिला
सशक्तीकरण
और
उनके
अधिकारों
की
आवाज
बुलंद
करने
वाली
नेता
के
तौर
पर
जाना
जाता
है।
उनके
विरोधी
उन्हें
नरेंद्र
मोदी
खेमे
का
सुषमा
स्वराज
तक
करार
देते
हैं।
स्मृति
के
खुद
को
मोदी
का
एक
बड़ा
समर्थक
करार
देती
हैं
और
मानती
हैं
कि
लोग
नरेंद्र
मोदी
की
नकारात्मक
इमेज
को
मजबूत
करने
के
मकसद
से
सिर्फ
एक
पक्ष
के
बारे
में
बात
करते
हैं।
स्मृति
के
मुताबिक
लोग
यह
नहीं
जानते
हैं
कि
नरेंद्र
मोदी
कितने
प्रोफेशनल
हैं
और
कितनी
तेजी
से
अपना
हर
काम
पूरा
करने
की
चाहत
रखते
हैं।
स्
जब
संजय
निरुपम
के
खिलाफ
दायर
किया
केस
स्मृति
र्इरानी
का
नाम
एक
विवाद
में
उस
समय
पहली
बार
आया
जब
महाराष्ट्र
से
कांग्रेस
के
नेता
संजय
निरुपत
ने
उनके
खिलाफ
एक
न्यूज
चैनल
पर
अभद्र
टिप्पणी
की।
साल
2012
में
जब
गुजरात
विधानसभा
चुनावों
के
नतीजे
आए
तो
एक
न्यूज
चैनल
पर
बहस
के
दौरान
संजय
निरुपम
ने
समृति
के
लिए
जो
शब्द
प्रयोग
किए,
उसकी
वजह
से
संजय
के
खिलाफ
स्मृति
ने
कोर्ट
में
मानहानी
का
केस
दर्ज
कराया।
संजय
ने
एक
सवाल
के
जवाब
में
कहा
था,
'कुछ
दिनों
तक
टीवी
पर
नाचने
वाली
एक
अदाकार
आज
चुनाव
विश्लेष्क
बन
गई
है।'
कभी भूखे रहने को थी मजबूर
दिल्ली की बंगाली-पंजाबी परिवार की लाड़ली स्मृति को भले ही आप सब लोग टीवी की चहेती बहू और मॉडल के तौर पर जानते हों लेकिन कभी अपने परिवार को मदद करने के लिए उन्हें भूखे सोने को मजबूर होना पड़ता था।
ज्योतिषी को किया था चैलेंज
एक बार स्मृति के माता-पिता ने अपनी बेटियों का भविष्य पता करने के लिए घर पर एक पंडित को बुलाया। पंडित ने जैसे ही कहा कि बड़ी लड़की का कुछ नहीं होगा तो स्मृति ने उन्हें चुनौती देते हुए कहा कि आज से 10 साल बाद आप मुझसे मिलना।
माता-पिता को नहीं था भरोसा
स्मृति के माता-पिता को भी नहीं मालूम था कि स्मृति के लिए कौन सा करियर अच्छा रहेगा और उन्होंने कभी भी इस बारे में स्मृति से बात ही नहीं की थी। इन हालातों में स्मृति ने अपना बैग पैक कियाऔर मुंबई आ गईं।
मैक्डॉनल्ड में लगाया पोछा
स्मृति की मानें तो उन्होंने बड़ी उम्मीदों से मुंबई का रुख किया था लेकिन यहां पर आकर असलियत पता लगी और काम मिलने में बड़ी मुश्किल हुई। इन हालातों में स्मृति ने मुंबई के बांद्रा स्थित मैक्डॉनल्ड में बतौर हेल्पिंग स्टॉफ काम किया। यहां पर स्मृति को पोछा तक लगाना पड़ा था।
कभी जर्नलिस्ट बनने की थी चाहत
स्मृति के माता-पिता चाहते थे कि वह एक सिविल सर्वेंट बनें लेकिन स्मृति जर्नलिस्ट बनना चाहती थीं। लेकिन जब एक इंटरव्यू में स्मृति को रिजेक्ट कर दिया गया तो उन्होंने इसका ख्याल दिल से निकाल दिया।
फ्री ग्रूमिंग मिस इंडिया में एंट्री
साल 1997 में जब स्मृति ने मिस इंडिया प्रतियोगिता में हिस्सा लिया तो वह इसके लिए तैयार नहीं थी। स्मृति की मानें तो उन्हें लगा कि भले ही वह इसमें जीतें या नहीं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन कम से उन्हें फ्री में मेकअप और ग्रूमिंग तो मिल जाएगी।
भाषाओं की अच्छी जानकार
स्मृति को हिन्दी, अंग्रेजी, बंगाली, गुजराती , बंगाली और मराठी भाषाएं आती हैं। वह रैलियों और चुनाव प्रचार के समय लोगों को कई भाषाओं में संबोधित करने के लिए मशहूर हैं।