Misleading Ads: भ्रमित करने वाले विज्ञापनों पर कंपनी को भरना पड़ेगा 50 लाख का जुर्माना
कुछ कंपनियां लोगों को लुभाने के लिए झूठे और भ्रामक विज्ञापन पेश करती हैं लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा। जानें क्या हैं विज्ञापनों को लेकर नियम-कानून?
राष्ट्रीय बाल आयोग ने बच्चों के हेल्थ ड्रिंक बॉर्नवीटा बनाने वाली कंपनी को नोटिस जारी किया है। नोटिस में बताया गया है कि बाल आयोग को शिकायत मिली है कि इसमें चॉकलेट फ्लेवर्ड पाउडर में शक्कर (चीनी) के अलावा जो मिक्सचर फॉर्मूला है, वह बच्चों की सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।
इसके अलावा राष्ट्रीय बाल आयोग ने यूएस की दिग्गज स्नैक्स कंपनी की भारतीय शाखा मोंडेलेज इंडिया इंटरनेशनल से रिव्यू करने को कहा है और मिसलीडिंग विज्ञापन, भ्रामक, गुमराह करने वाली जानकारी और पैकेजिंग मैटेरियल पर किये गये दावे तुरंत हटाने को कहा है। बता दें कि बॉर्नविटा मोंडेलेज इंडिया इंटरनेशनल द्वारा बनाई जाती है। यह कैडबरी की सब्सिडियरी कंपनी है।
बाल अधिकार आयोग ने कहा कि बॉर्नविटा FSSAI के दिशानिर्देशों और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत अनिवार्य डिस्क्लोजर्स दिखाने में विफल रहा है। इसलिए आयोग ने सात दिनों के भीतर विस्तृत जानकारी बाल आयोग को मेल करने या डाक से भेजने के निर्देश दिये हैं।
क्या होते हैं भ्रामक विज्ञापन?
यदि विज्ञापनों में दी गई जानकारी प्रोडक्ट में नहीं पाई जाती है, तो उन विज्ञापनों को मिसलीडिंग या भ्रामक विज्ञापन माना जाता है। वहीं जो विज्ञापन उनके डिस्क्लेमर से भिन्न होते हैं, उन्हें भी भ्रामक विज्ञापन माना जाता है। इसके अलावा, यदि कोई सेलिब्रिटी किसी विज्ञापन में कुछ दावा कर रहा है और वह सही नहीं पाया जाता है तो वह विज्ञापन भी भ्रामक विज्ञापन श्रेणी के अंतर्गत आता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने 117 नोटिस भेजे हैं। इनमें से 57 को भ्रामक विज्ञापनों के लिए, 47 को अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस के लिए और 9 को कंज्यूमर राइट्स को ऑब्सट्रक्ट करने के लिए भेजा गया है।
क्या सरकार ऐसे प्रोडक्ट को लेकर सख्त है?
बता दें कि किसी प्रोडक्ट को लेकर जो दावे किये जाते हैं लेकिन प्रोडक्ट उसका उलट हो तो अब ऐसे गुमराह करने वाले विज्ञापनों को लेकर केंद्र सरकार सख्त है। फरवरी, 2023 में सरकार की तरफ से एक गाइडलाइन जारी कर दी गई है। लोकसभा में केंद्रीय राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने इस बात की जानकारी दी थी।
विज्ञापन बनाने वालों के लिए गाइडबुक
गुमराह करने वाले विज्ञापनों के खिलाफ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 पहले से लागू है। इस एक्ट का सेक्शन 18 इस बारे में विस्तार से बात करता है। अब सरकार ने इसी एक्ट के तहत कुछ और गाइडलाइन जारी कर दी हैं जिससे एक तरफ ग्राहक और ज्यादा सशक्त होंगे और गलत विज्ञापन दिखाने वालों पर कानून का शिकंजा कसा जा सकेगा।
गाइडलाइन के मुताबिक जो भी शख्स या संस्थान किसी प्रोडक्ट को अगर प्रमोट कर रहा होगा तो उसके विचारों से वहीं संदेश जाना चाहिए जो असल में उस विज्ञापन के जरिए दिखाने की कोशिश होगी। सरल शब्दों में जिस बारे में विज्ञापन हो, सिर्फ उतना ही उसके बारे में बताया जाए, अपनी तरफ से बढ़ा-चढ़ाकर लोगों को गुमराह नहीं किया जा सकता।
50 लाख रुपये तक का जुर्माना
पीआईबी की एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण किसी भी मिसलीडिंग विज्ञापन के लिए मैन्युफैक्चर्स, विज्ञापनदाता और एंडोर्सर्स (प्रचारकों) पर इस कानून के तहत 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगा सकता है। वहीं अगर बार-बार वही गलती दोहराई जा रही है, उस स्थिति में जुर्माने की राशि 50 लाख तक जा सकती है। वहीं भ्रामक विज्ञापन के एंडोर्सर (प्रचारक) पर 1 साल से 3 साल तक का बैन लगा सकती है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का सेक्शन 21(2) तमाम तरह की सजा के बारे में विस्तार से बताता है।
इन विज्ञापनों पर लग चुका है बैन?
वैसे इससे पहले कंज्यूमर प्रोटेक्शन रेगुलेटर CCPA ने GlaxoSmithKline (GSK) Consumer Healthcare Ltd को भारत में Sensodyne Products का विज्ञापन रोकने के निर्देश दिये थे। तब तर्क दिया गया था कि इस ऐड को दूसरे देशों के डेंटिस्ट एंडोर्स करते हैं। CCPA ने भ्रामक विज्ञापन और ब्रॉडकास्ट और ऑनलाइन मोड के जरिए प्रोडक्ट्स को प्रमोट करने के लिए अनुचित व्यापार तरीकों का इस्तेमाल करने को लेकर Naaptol Online Shopping Limited के खिलाफ भी आदेश पारित किया था।
इन कंपनियों को मिल चुका है नोटिस
वैसे CCPA समय-समय पर शिकायत मिलने पर कंपनियों को नोटिस भेजकर उनके प्रोडक्ट से संबंधित जानकारी मांगती है। जैसे दिसंबर, 2022 में ई-कॉमर्स कंपनियों फ्लिपकार्ट और मीशो डॉट कॉम को उनके प्लेटफॉर्म पर तेजाब की बिक्री से संबंधित नियमों के घोर उल्लंघन के लिए नोटिस भेजा गया था।
मई 2022 में CCPA ने ऑनलाइन कैब सेवाएं देने वाली कंपनियों ओला और उबर को नोटिस भेजा था। यह नोटिस इन कंपनियों के अनुचित व्यहार के लिए भेजा गया था।
इसी महीने अप्रैल के दूसरे सप्ताह में CCPA ने गेमिंग कंपनी लोटस 365 को भी एक नोटिस भेजा है। लोटस 365 ने अखबारों में एक विज्ञापन दिया था कि लोटस 365 साल 2015 से इंडिया का सबसे भरोसेमंद स्पोर्ट्स एक्सचेंज है। CCPA ने कंपनी को इसके सबूत पेश करने को कहा। वहीं गेमिंग कंपनी लोटस 365 को अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी और अभिनेत्री उर्वशी रौतेला प्रमोट करती हैं इसीलिए इन लोगों को भी इस मामले में नेटिस मिला है।
मिसलीडिंग विज्ञापन को लेकर गाइडलाइन की खास बातें
●
बच्चों
के
बारे
में
ऐसा
कोई
भी
क्लेम
नहीं
किया
जाएगा
जो
वाजिब
ना
हो।
●
विज्ञापन
में
डिस्क्लेमर
को
बिल्कुल
क्लियर
रखना
होगा,
ताकि
आसानी
से
पढ़ा
जा
सके।
●
सरोगेट
विज्ञापन
पूरी
तरह
से
प्रतिबंधित
है।
●
किसी
भी
विज्ञापन
में
ग्राहकों
को
जल्दी
खरीदने
के
लिए
नहीं
कहा
जा
सकता।
●
यदि
पर्याप्त
स्टॉक
नहीं
है
तो
स्पेशल
ऑफर,
आधी
कीमत
और
फ्री
जैसे
विज्ञापन
नहीं
किये
जा
सकते।
●
किसी
भी
विज्ञापन
में
फ्री
के
साथ
शर्तें
लागू
नहीं
कर
सकते
हैं।
●
विज्ञापन
में
यदि
किसी
स्टडी
या
रिपोर्ट
की
बात
की
जाती
है
तो
उसके
सोर्स
का
उल्लेख
भी
करना
अनिवार्य
है।
●
टूथपेस्ट
और
च्यवनप्राश
जैसे
सभी
उत्पादों
के
विज्ञापन
में
किसी
डॉक्टर
या
प्रोफेशनल
का
इस्तेमाल
नहीं
कर
सकते।
●
यदि
किसी
कंपनी
से
जुड़ा
हुआ
व्यक्ति
विज्ञापन
कर
रहा
है
तो
उसे
स्पष्ट
करना
होगा
कि
कंपनी
में
उसकी
स्थिति
क्या
है।
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