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सितारा देवी (1920-2014): जिन्होंने अपंगता को ही अपनी अदा बना लिया

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आज कथक का मंच सूना हो गया है क्योंकि आज के बाद स्टेज पर उन घुंघरूओं की ताल नहीं सुनायी देगी जिसकी हर खनक दिल पर दस्तक देती है, जी हां हम बात कर रहे हैं नृत्य साम्राज्ञी सितारा देवी की। जिन्होंने सोमवार देर रात दुनिया को अलविदा कह दिया। भले ही 94 वर्ष की सितारा देवी आज हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनकी पहचान उनकी कला और उनकी ताल हमेशा लोगों के जेहन में जिंदा रहेगी।

Legendary kathak danseuse Sitara Devi(1920-2014) passes away

सितारा देवी के बचपन का नाम धनलक्ष्मी था

बहुत कम लोगों का पता होगा कि जिस सितारा देवी ने, जिसने ना केवल अपने मां-बाप, घर-परिवार को अपने हूनर से लोकप्रियता दिलाई बल्कि भारत को भी विश्वपटल पर मशहूर कर दिया, उसे उसके अपने मां-बाप ने इसलिए बचपन में अकेला छोड़ दिया था क्योंकि उनका मुंह टेढ़ा था। बचपन से लेकर आठ साल तक सितारा देवी का बचपन घर के नौकरों के पालन-पोषण के बीच गुजरा और आठ साल की होने पर सितारा देवी का बाल-विवाह कर दिया गया।

सितारा देवी का मुंह जन्म से ही टेढ़ा था

लेकिन कहते हैं ना किस्मत के आगे किसी की नहीं चलती तो भला ससुराल की दीवारों में सितारा देवी कहां कैद होने वाली थीं। पढ़ने की इच्छा के कारण उनकी शादी टूट गई और उन्होंने पढ़ाई के लिए कामछगढ हाई स्कूल में एडमिशन लिया और यहीं से सितारा देवी के नये जीवन के सफर की शुरूआत हुई और इसी स्कूल के डांस प्रोग्राम में सितारा देवी ने पहली बार स्टेज पर नृत्य किया था और अपने अंदर की प्रतिभा को लोगों के सामने पेश किया था।

अपनी कमी को ही उन्होंने खूबी बना लिया..

कथक भाव-भंगिमाओं की कला है जिसके हर एक स्टेप पर इंसान की बॉडी लैंग्वेज और अदाओं का समावेश होता है। सितारा देवी ने उसी टेढ़े मुंह को अपनी अदाओं का गहना बना लिया जिसे उनके खुद के मां-बाप ने अपंगता और अपशगुन माना था।

सितारा देवी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गहरा शोक जताया है। प्रधानमंत्री कार्यालय से एक ट्वीट में कहा गया, "प्रधानमंत्री ने मशहूर कथक नृत्यांगना सितारा देवी के निधन पर शोक जताया है। प्रधानमंत्री ने नृत्य के क्षेत्र में उनके समृद्ध योगदान को भी याद किया।"

सितारा देवी के बारे में जानते हैं एक नजर...

  • सितारा देवी का असली नाम धनलक्ष्मी था, सितारा देवी का जन्म कोलकाता में नर्तक सुखदेव महारा के यहां हुआ था। 11 साल की उम्र में उनका परिवार मुंबई रहने चला गया, जहां से सितारा देवी ने अपने नृत्य शो की शुरूआत की और वो लगातार 60 सालों तक चलता रहा।
  • गुरूदेव रविंद्रनाथ टैगोर ने दी थी उपाधि: नृत्य साम्राज्ञी सितारा देवी को नृत्य साम्राज्ञी के तमगे से गुरूदेव रविंद्रनाथ टैगोर ने नवाजा था और कहा था कि आगे चलकर यह आने वाली पीढियों के लिए मिसाल बनेगी।
  • सितारा देवी ने बॉलीवुड की कई अभिनेत्रियों को नृत्य का प्रशिक्षण दिया है। मधुबाला, रेखा, माला सिन्हा और काजोल जैसी बालीवुड की अभिनेत्रियों ने उनसे ही कथक नृत्य की शिक्षा प्राप्त की है।
  • इन्हें संगीत नाटक अकादमी सम्मान 1969 में मिला। इसके बाद इन्हें पद्मश्री 1975 में मिला। 1994 में इन्हें कालीदास सम्मान से सम्मानित किया गया।
  • बाद में इन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण दिया गया जिसे इन्होंने लेने से मना कर दिया। इन्होंने कहा कि क्या सरकार मेरे योगदान को नहीं जानती है। ये मेरे लिये सम्मान नहीं अपमान है। मैं भारत रत्न से कम नहीं लूंगी।
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English summary
Eminent Kathak danseuse Sitara Devi died here early Tuesday after prolonged illness, her son-in-law confirmed. She was 94.
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