महात्मा गांधी के जीवन के अंतिम महीने का पूर्ण विवरण
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के बाद मानो पूरा देश गम में डूब गया। जब नाथू राम गोडसे की रिवाल्वर से निकली तीन गोलियों ने बापू के शरीर को छलनी किया, तो वहां मौजूद लोग स्तब्ध रह गये। 30 जनवरी 1948 को बापू ने अंतिम सांस ली, लेकिन सच पूछिए तो उनकी जीने की इच्छा पहले ही खत्म हो चुकी थी। इस बात का अहसास आपको उनके जीवन के अंतिम माह यानी जनवरी 1948 के इस विवरण में पढ़ने के बाद हो जायेगा।
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गांधीजी के जीवन का अंतिम माह जनवरी-1948 था। उस वक्त हिंदू-मुसलमान एक दूसरे के खून के प्यासे बने हुए थे। देश बंटवारे की आग में जल रहा था।
चलिये स्लाइडर में दिनांक-वार पढ़ते हैं जनवरी 1948 का विवरण-
1 व 2 जनवरी को
बापू दिल्ली दिल्ली में थे। देश बंटवारे की आग में जल रहा था।
3 जनवरी को
बापू ने दिल्ली में निर्वासितों की छावनी का दौरा किया।
4 से 12 जनवरी तक
बापू दिल्ली में थे और देश में अशांति फैलाने वालों को समझाने में जुटे थे।
12 जनवरी को
हिन्दू-मुस्लिम दंगों से दु:खी गांधीजी गवर्नर जनरल माउंटबेटन से मिले और अनिश्चितकालीन उपवास के निर्णय की घोषणा की।
13 जनवरी को
दिल्ली में उपवास शुरू। माउंट बेटन की पार्टी में नहीं जा सके, परंतु अन्य आमंत्रित साथियों को भेजा।
14 जनवरी को
एक तरफ बापू का उपवास जारी था। दूसरी तरफ देश के कई हिस्सों में हिंसा जारी थी।
15 जनवरी को
बापू ने उपवास के दौरान देश में शांति के लिये प्रार्थना की और फिर प्रवचन।
16 जनवरी को
उपवास के दौरान दिए प्रवचन में बापू ने कहा, ‘हिन्द-पाकिस्तान में शांति नहीं होती, तो मैं जीना नहीं चाहता।'
17 जनवरी को
अनशन के चलते बापू की हालत बिगड़ने लगी। वहां मौजूद लोगों की चिंता बढ़ने लगी।
18 जनवरी को
हिंदू और मुसलमान दोनों समुदाय के लोगों ने हथियार डाल दिये। मौलाना अबुल कलाम आजाद ने संतरे का रस पिला कर उपवास तुड़वाया।
20 जनवरी को
बापू की प्रार्थना सभा में बम धमाका हुआ, जिसमें बापू बाल-बाल बच गये।
21 जनवरी को
बापू ने बड़ी ही सरलता से कहा, ‘बम फेंकने वाले पर दया रखना।'
26 जनवरी को
बापू ने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में हिस्सा लिया।
27 जनवरी को
बापू ने सलाह दी कि अब कांग्रेस को भंग कर देना चाहिए।
28 जनवरी को
बापू ने महेर उली कुत्बुद्दीन भतियार दरगाह के वार्षिक मेले में हिस्सा लिया
29 जनवरी को
गांधीजी ने कांग्रेस सेवक-दल का संविधान बनाया।
30 जनवरी को
सोराबजी (रुस्तमजी के पुत्र) सपरिवार गांधीजी से मिलने पहुंचे। शाम को प्रार्थना स्थल की ओर रवाना हुए गांधीजी को गोडसे ने गोली मारी। शाम 5.35 बजे गांधीजी की मृत्यु हो गई।
31 जवरी को
दिल्ली में यमुना नदी के किनारे महात्मा गांधी का दाह संस्कार किया गया, जिसमें लाखों लोग शामिल हुए।