National Energy Conservation Day: जानें क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस, संसद से ‘विधेयक’ पास
ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने और ऊर्जा संसाधनों को बचाने के तरीकों को बढ़ावा देने के लिए भारत में 14 दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है।
National Energy Conservation Day: राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस को भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत एक संवैधानिक निकाय ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ((Bureau of Energy Efficiency) के अंतर्गत संचालित किया जाता है। इसका उद्देश्य ऊर्जा संरक्षण के कार्यक्रमों, योजनाओं एवं उपलब्धियों को प्रस्तुत करना है। इस दिन ऊर्जा दक्षता व संरक्षण के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने वाले उद्योगों, संस्थानों, थर्मल पॉवर स्टेशन, जोनल रेलवे स्टेशन, नगरपालिकाओं, विद्युत वितरण कंपनियों, होटलों, अस्पतालों तथा शॉपिंग मॉल इत्यादि को पुरस्कृत किया जाता है।
ऊर्जा के कितने प्रकार होते हैं?
प्रकृति में ऊर्जा कई अलग-अलग रूपों में मौजूद है जैसे प्रकाश ऊर्जा, यांत्रिक ऊर्जा, गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा, ध्वनि ऊर्जा, रसायनिक ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा। प्रत्येक ऊर्जा को एक अन्य रूप में परिवर्तित या बदला जा सकता है। ऊर्जा के कई विशिष्ट प्रकारों में प्रमुख रूप गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा है।
ऊर्जा संरक्षण क्या है ?
ऊर्जा संरक्षण का अर्थ है इसका अनावश्यक उपयोग न करना और कम-से-कम ऊर्जा का उपयोग करते हुए किसी भी कार्य को करना। अनावश्यक रूप से बिजली का बल्ब, लाईट, पंखें, एसी व अन्य विद्युत उपकरणों को प्रयोग न होने पर बंद करना। छोटी दूरियों के लिए पैदल दूरी तय करना या निजी वाहन की जगह सार्वजनिक वाहन का उपयोग। इसी प्रकार के अन्य कार्यों के माध्यम से ऊर्जा का दुरुपयोग और अनावश्यक उपभोग रोकना ही ऊर्जा संरक्षण के अंतर्गत आता है।
भारत में उर्जा की खपत
किसी भी देश के विकास में विद्युत की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विश्व में विद्युत का उत्पादन और उपभोग करने वाले देशों में चीन सबसे पहले स्थान पर है। जबकि विद्युत का उत्पादन और उपभोग करने वाले देशों में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है। जुलाई 2019 तक देश में विद्युत की कुल संस्थापित क्षमता 360456 मेगावाट थी। जिसमें विभिन्न उत्पादन क्षेत्रों का योगदान इस प्रकार है। तापीय विद्युत - 63.2 प्रतिशत, जल विद्युत - 12.6 प्रतिशत, परमाणु विद्युत - 1.9 प्रतिशत और नवीकरणीय ऊर्जा - 22.0 प्रतिशत है।
वहीं ऊर्जा ग्रिड की बात करें तो यह वह क्षेत्र होता है, जहां विद्युत का उत्पादन, प्रबंधन और पोषण एक ही स्थान पर किया जाता है। वर्तमान में भारत में 5 ऊर्जा ग्रिडों की स्थापना की गयी है। उत्तर भारत ग्रिड, दक्षिण भारत ग्रिड, पूर्वी भारत ग्रिड, पश्चिमी भारत ग्रिड, पूर्वोत्तर भारत ग्रिड।
ऊर्जा संरक्षण संशोधन विधेयक संसद से पास
12 दिसंबर 2022 को संसद ने 'ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022' को मंजूरी दी, जिसके तहत कम-से-कम 100 किलोवाट के विद्युत कनेक्शन वाली इमारतों के लिए नवीकरणीय स्रोत से ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का प्रावधान किया गया है। सरकार ने इस विधेयक को 'भविष्योन्मुखी' करार दिया है।
विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री, राजकुमार सिंह ने कहा कि जो विकसित देश पहले हमें (पर्यावरण संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन में कटौती को लेकर) भाषण देते थे, आज जब वे हमारा काम देखते हैं तो वे रक्षात्मक मुद्रा में आ जाते हैं। पेरिस में हुए संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP 21) में भारत ने तय किया था कि 2030 तक बिजली उत्पादन क्षमता का 40 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा और स्वच्छ ऊर्जा जैसे गैर-जीवाश्म ईंधन वाले स्रोतों से पूरा किया जाएगा। इस लक्ष्य को देश ने नवंबर 2021 में ही प्राप्त कर लिया था।
जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों में मिलेगी मदद
यहां गौर करने वाली बात यह है कि ऊर्जा संरक्षण कानून 2001 में ही बना था। फिर साल 2010 में इसमें संशोधन किए गए थे। अब एक बार फिर इसमें संशोधन कर विधेयक को पेश किया गया था। अब इस विधेयक के बाद हर वो इमारत जिसका इलेक्ट्रिसिटी लोड 100 किलोवाट या इससे ज्यादा है वह ऊर्जा संरक्षण कानून EAC के दायरे में होगी। राज्य सरकारें इसमें बदलाव भी कर सकेंगी क्योंकि संविधान के तहत ऊर्जा समवर्ती सूची में है। इस विधेयक के तहत वाहन और जहाज जैसे अन्य उत्पादों को भी ऊर्जा दक्षता मानक के भीतर लाने का प्रस्ताव है।
चीन को लग चुका है ऊर्जा संकट का झटका
ऊर्जा का संरक्षण सही तरीके से नहीं करने का नतीजा चीन पिछले कुछ सालों से झेल रहा है। दरअसल, बीते महीनों ही चीन के दक्षिण पश्चिम इलाके में तेज गर्मी पड़ रही थी। कई फैक्ट्रियों को अस्थायी तौर पर बंद करना पड़ा था। दरअसल चीन की लोकल प्रशासनिक बॉडी (स्थानीय सरकार) ने तब ऊर्जा संरक्षण के मद्देनजर उत्पादन को कम करने का आदेश दिया था। इसी तरह मैन्युफैक्चरिंग हब कहलाने वाली सिचुआन प्रांत में फैक्ट्रियां बंद कर दी गई थीं। वहीं, साल 2022 में चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग ने चीन-रूस फोरम में कहा है कि वे दोनों देशों के बीच ऊर्जा संबंधों को मजबूत करने और ग्लोबल एनर्जी सिक्योरिटी के लिए काम करेंगे। बता दें कि यूक्रेन युद्ध के बाद जहां रूस ने यूरोपीय देशों को गैस की सप्लाई लगभग बंद कर दी है वहीं चीन को यह सप्लाई बढ़ा दी गई है।
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