बुलेट ट्रेन छोडि़ए, हवाई जहाज से भी तेज दौड़ती है ये ट्रेन, इन रूटों पर चलेगी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबू के साथ मिलकर गुजरात में बुलेट ट्रेन की आधारशिला रखी। पीएम मोदी ने 14 सिंतबर को इसकी आधारशिला रखी, लेकिन इस बुलेट ट्रेन को पटरी पर दौड़ने में अभी 5 साल का वक्त लगेगा। इससे पहले देश को बुलेट ट्रेन से भी तेज रफ्तार वाली हाइपरलूप ट्रेन मिल जाएगी। जी हां हाइपरलूप ट्रेन के बुलेट ट्रेन तो क्या हवाई जहाज की रफ्तार भी धीमी पड़ जाती है। जी हां हाइपरलूप ट्रेन की रफ्तार 1200 किमी प्रति घंटे की है। चौंकिए मत आइए आपको इस तेज रफ्तार वाली हाइपरलूप ट्रेन के बारे में बताते हैं।
बुलेट ट्रेन तो क्या हवाई जहाज से भी तेज
हाइपरलूप ट्रेन की सबसे बड़ी चौंकाने वाली खासिय त तो ये है कि इसकी रफ्तार बुलेट ट्रेन से दोगुनी है। ये अपनी रफ्तार से हवाई जहाज को भी पछाड़ सकती है। इसकी सामान्य रफ्तार 1200 किमी प्रति घंटा से लेकर 1400 किमी प्रति घंटे की है। अहमदाबाद से मुंबई तक की दूरी को तय करने में बुलेट ट्रेन को लगभग 2 घंटे का वक्त लगता है। उसी दूरी को हाइपरलूप वन ट्रेन 55 मिनट में तय कर लेती है।
किन रूटों पर दौड़ेगी हाइपरलूप ट्रेन
हाईपरलूप ट्रेन के लिए आंध्रप्रदेश की सरकार ने मंजूरी दे दी है। हाइपरलूप ट्रांसपोर्टेशन टेक्नोलॉजीज इंक ने पिछले हफ्ते आंध्र प्रदेश इकोनॉमिक डेवलपमेंट बोर्ड के साथ इसके लिए एमओयू साइन कर दिए है। ये ट्रेन दो रूटों पर दौड़ेगी। पहली रूट मुंबई-चेन्नई है जबकि दूसरी रूट बेंगलुरु-चेन्नई। मुंबई से चेन्नई के बीच की 1102 किमी की दू री को ये हाइपरलूप ट्रेन महज 63 मिनट में तय करेगी, जबकि बेंगलुरु-चेन्नई रूट की 334 किमी की दूरी को तय करने में इसे सिर्फ 23 मिनट लगेंगे।
कितना आएगा खर्च
हाइपरलूप
वन
ट्रेन
के
लिए
सरकार
1300
करोड़
रुपये
का
खर्च
कर
रही
है।
इस
ट्रेन
से
न
केवल
लोगों
का
वक्त
बचेगा
बल्कि
प्रदूषण
भी
कंट्रोल
होगा।
हालांकि
इसमें
एक
बार
में
कम
लोग
ही
सफर
कर
पाएंगे।
कैसे चलेगी हाइपरलूप ट्रेन
हाईस्पीड हाइपरलूप ट्रेन चुंबकीय शक्ति से चलेगी। इसके लिए खास तरह के ट्रैक बनाए जाएंगे। ये ट्रेन एक पारदर्शी ट्यूब के अंदर चलेगी, जिसके लिए खंभों पर ये ट्यूब बनाई जाएगी। इस ट्यूब के भीतर हाइपरलूप ट्रेन को भारी दबाव वाले इंकोनेल से बने बेहद पतले स्की पर स्थिर किया जाएगा। मैगनेटिक और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक झटके से ही ट्रेन को हाईस्पीड मिलेगी।