आखिर कैसे हुई थी चाणक्य की मौत, दो कहानियां हैं मशहूर
बेंगलुरु। चाणक्य को राजनीति और अर्थशास्त्र का पंडित माना जाता है। न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया में लोग उनके ज्ञान का लोहा मानते हैं। राजनीति और अर्थशास्त्र में आज भी उनके बताए हुए नियमों की मिसाल दी जाती है।
क्या आप जानते हैं पहले सीजेरियन बेबी बिंदुसार के बारे में ये बातें?
जहां चाणक्य की जिंदगी एक उदाहरण बनी तो उनकी मौत भी किसी रहस्य से कम नहीं है। आज भी कोई नहीं जानता है कि आखिर वह कैसे मरे थे।
एक नजर डालिए चाणक्य की मौत से जुड़े ऐसे ही राज पर..
पहली कहानी
पहली कहानी के अनुसार शायद आचार्य चाणक्य ने तब तक अन्न और जल का त्याग किया था जब तक मृत्यु नहीं आई।
दूसरी कहानी
दूसरी कहानी के अनुसार वे किसी दुश्मन के षड्यंत्र का शिकार हुए थे, जिसकी वजह से उनकी मौत हुई।
सच कोई नहीं जानता
दोनों में से कौन सी कहानी सही है इसका जवाब रिसर्चर्स भी नहीं तलाश पाए हैं।
मौर्य वंश का दी नई ऊंचाईयां
ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार एक आम से बालक चंद्रगुप्त मौर्य को आचार्य चाणक्य की बुद्धि की वजह से सम्राट बने थे। बाद में वह मौर्य वंश के राजा बने।
मौर्य वंश को मिला नया रूप
आचार्य
चाणक्य
की
सीख
से
चंद्रगुप्त
मौर्य
ने
मौर्य
वंश
को
एक
नया
रूप
दिया,
इस
वंश
की
दुनिया
के
शक्तिशाली
वंश
के
रूप
में
प्रकट
किया।
कैसे
हुई
थी
चाण्क्य
की
मौत
बेटे बिंदुसार को भी बनाया महान राजा
चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु के बाद उनके पुत्र राजा बिंदुसार ने भी पिता चंद्रगुप्त मौर्य की तरह आचार्य के सिखाए कद��ों पर चलना सीखा। चंद्रगुप्त मौर्य की तरह ही आचार्य ने बिंदुसार को भी एक सफल राजा होने का पाठ पढ़ाया।
चाणक्य के खिलाफ साजिश
बिंदुसार के मंत्री सुबंधु को चाण्क्य की बिंदुसार से करीबी पसंद नहीं थी। उसने कई षड्यंत्र रचे, ताकि वह चाणक्य के खिलाफ हो जाएं। सुबंधु अपने मकसदों में कामयाब हुआ और आचार्य ने महल छोड़कर जाने का फैसला कर लिया और एक दिन वे चुपचाप महल से निकल गए। उन्होंने ताउम्र उपवास करने का प्रण लिया और अंत में प्राण त्याग दिए।
सुबंधु ने की जलाने की कोशिश
दूसरी कहानी में यह कभी कहा जाता है कि सुबंधु ने आचार्य को जिंदा जलाने की कोशिश की थी, जिसमें वे सफल भी हुए।