सावित्रीबाई फुले: कभी बरसते थे पत्थर, आज गूगल ने किया सलाम
कहा जाता है जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर तक फेंका करते थे।
नई दिल्ली। आज देश की पहली महिला शिक्षिका, समाज सुधारक और मराठी कवयित्री सावित्रीबाई फुले का जन्मदिन है। देश की इस महान महिला को आज गूगल ने भी सलाम किया है।
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गूगल ने आज डूडल के जरिए सावित्रीबाई फुले की तस्वीर बनाकर उनके 186वें जन्मदिन पर श्रद्धांजलि दी है। डूडल ने जो तस्वीर बनाई है उसमें सावित्रीबाई को अपने आंचल में महिलाओं को समेटते दिखाया गया है।
आईए जानते हैं देश की प्रवीण महिला के बारे में कुछ खास बातें...
- सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को एक मराठी परिवार में हुआ था।
- सावित्रीबाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिबा फुले से हुआ था।
- समाज की रूढ़ियों को तोड़ने वाली सावित्रीबाई फुल ने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्रियों के अधिकारों एवं शिक्षा के लिए बहुत से कार्य किए।
- सावित्रीबाई फुले भारत के पहली बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल थीं और पहली ही किसान स्कूल की संस्थापक थीं।
- 1848 में उन्होंने पहला महिला स्कूल पुणे में खोला था
- महात्मा ज्योतिबा को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण महिला के रूप में जाना जाता है।
- सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछात मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना।
- उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था।
पूरे देश की महानायिका
सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। कहा जाता है जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर तक फेंका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुंच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं।