Flashback 2022: दुनिया की इन 5 बड़ी घटनाओं के लिए याद किया जायेगा साल 2022
यह साल सामरिक, आर्थिक, धार्मिक, राजनैतिक और लोकतांत्रिक रूप से बदलाव का गवाह बना जिसने दुनियाभर में नये परिवर्तनों की नींव रखी।
Flashback 2022: साल 2022 में एक तरफ ईरानी महिलाओं ने धार्मिक रुढ़िवादी परम्पराओं को तोड़ा तो दूसरी तरफ श्रीलंकाई नागरिक अपनी ही सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़कों पर उतर आये। इन सब के बीच अफगानिस्तान में खाद्य संकट और यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध ने भी दुनियाभर का ध्यान आकर्षित किया।
ईरानी महिलाओं ने किया हिजाब का विरोध
ईरान के इतिहास में पहली बार हुआ कि ईरानी महिलाओं ने हिजाब की अनिवार्यता के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन किया। गौरतलब है कि ईरानी पुरुषों ने भी उनका भरपूर साथ दिया। दरअसल, साल 1979 में ईरानी क्रांति (इस्लामिक क्रांति) के बाद, महिलाओं के लिये शरिया द्वारा निर्धारित कपड़े पहनने का एक अनिवार्य कानून पारित किया गया था। इस कानून के बाद महिलाओं को बुर्का और हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया। इस कानून का ठीक से पालन हो इसके लिए वहां मोरैलिटी पुलिस को तैनात किया गया।
सितंबर 2022 में एक 22 साल की महासा अमीनी को मोरैलिटी पुलिस ने हिरासत में लिया था। दरअसल, महासा ने ठीक से हिजाब नहीं पहना था और हिरासत में उनकी मौत हो गयी। जिसके बाद हिजाब को लेकर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गये। महिलाओं ने अपने बाल काट दिये और हिजाब जला दिये। देश भर में हुए विरोध प्रदर्शनों एवं पुलिस की कार्यवाही में अभी तक लगभग 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं और हजारों ईरानी नागरिक हिरासत में हैं।
श्रीलंका पहुंचा 'दिवालिया' होने के कगार पर
मार्च और अप्रैल महीनों में श्रीलंकाई नागरिक 250 रूपये किलो आलू, 650 रूपये किलो दाल, 50 रूपये का एक अंडा, 1200 रूपये किलो चिकन, और 400 रूपये किलो आटा खरीदने के लिये मजबूर हो गए। यह श्रीलंका का अबतक का सबसे बड़ा आर्थिक संकट था जिसे उभरने में उसे सालों लग जायेंगे। श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका था। इसलिये वहां एक बार गृहयुद्ध की स्थिति बन गयी थी। बड़े पैमाने पर लोगों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति भवन का घेराव कर उस पर कब्जा तक कर लिया। तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश छोड़कर सिंगापुर भाग गये। हालांकि, वहां स्थिति अब पहले से थोड़ी सामान्य है।
रूस ने किया यूक्रेन पर हमला
24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया था। जिसके बाद से यह लड़ाई जारी है। इस दौरान हजारों की संख्या में दोनों तरफ के सैनिकों की मौत हो चुकी है। यूक्रेनी नागरिक भी इस हमले में हताहत हुये हैं और उन्हें पड़ोसी मुल्क पोलेंड में शरणार्थी बनकर रहना पड़ रहा है। दरअसल रूस नहीं चाहता था कि यूक्रेन NATO (North Atlantic Treaty Organization) का सदस्य बने लेकिन यूक्रेन मानने को तैयार नहीं था।
अफगानिस्तान में पेट भरने के लिए बेच दी गयी बच्चियां
Agence France-Presse (AFP) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भुखमरी से बचने के लिये अफगानी नागरिक अपनी बच्चियों को बेचने के लिए मजबूर हो गये है। रिपोर्ट के अनुसार उन्हें 2-2.5 लाख अफगानी करेंसी में बेचा जा रहा है। हालांकि, खरीददार तुरंत बच्चियों को नहीं ले जा रहे हैं। उनका कहना है कि जब बच्चियां चलने लगेगी तो उन्हें ले जायेंगे। इन मामलों पर तालिबान का कहना है कि यह सब अमेरिका के कारण हो रहा है। उसने हमारे पैसों पर पाबंदी लगा रखी है। वहीं, भारत की तरफ से मानवीय सहायता के तौर पर अफगानिस्तान को गेंहू समेत अन्य जरूरी सामान की बड़ी खेप मुहैया करवाई गयी है।
ब्रिटने में पहली बार 2 महीनों में 3 प्रधानमंत्री
एक वक्त साम्राज्यवाद के सहारे दुनिया पर राज करने वाले ब्रिटेन में लोकतांत्रिक हुकूमत की नींव इस साल हिल गयी। देश की अर्थव्यवस्था कमजोर है, जिसके चलते ब्रिटेन में पहली बार महज 2 महीनों के भीतर 3 नेताओं ने प्रधानमंत्री पद संभाला। पहले बोरिस जॅानसन, फिर लिस ट्रस और अब ऋषि सुनक वहां के प्रधानमंत्री बने हैं। गौर करने वाली बात यह है कि लिज ट्रस केवल 44 दिनों के लिए ही प्रधानमंत्री पद पर रही।
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