FIFA World Cup 2022 में जाकिर नाइक की एंट्री पर ‘बवाल’, कई आतंकी संगठनों से कतर की रही हैं नजदीकियां
FIFA World Cup 2022 का आगाज 20 नवंबर को हो चुका है। यह वर्ल्ड कप कई बातों के लिए विवादों में रहा है। चाहे वो दर्शकों पर लगने वाले प्रतिबंध हो या फिर मैदान तैयार करने वाले मजदूरों से दिन में 14 घंटों से ज्यादा काम करवाने की बात, कतर सरकार दुनियाभर के निशाने पर है।
फीफा वर्ल्ड कप में भारत से भगोड़े घोषित हो चुके इस्लामिक विचारक जाकिर नाइक को वर्ल्ड कप की ओपनिंग सेरेमनी में बुलाया गया, जिस वजह से इस वर्ल्ड कप के साथ एक और विवाद जुड़ गया है।
कतर ने जाकिर नाइक पर क्यों दी सफाई
भारत के विरोध के बाद कतर की सरकार ने भगोड़े जाकिर नाइक को वर्ल्ड कप की ओपनिंग सेरेमनी में बुलाए जाने को लेकर सफाई दी है। सामने आ रही रिपोर्ट्स के मुताबिक, कतर ने जाकिर नाइक को मजहबी तकरीर करने के लिए बुलाया है।
हालांकि, कतर ने डिप्लोमैटिक चैनलों के माध्यम से भारत से कहा है कि उसकी तरफ से जाकिर नाइक को फीफा वर्ल्ड कप के ओपनिंग सेरेमनी में शामिल होने के लिए आधिकारिक आमंत्रण नहीं दिया गया था। साथ ही, यह भी कहा है कि भारत और कतर के रिश्तों में दरार डालने के लिए जानबूझकर ऐसी गलत खबरें चलाई गई हैं।
हालांकि, भगोड़े जाकिर नाइक को कतर की राजधानी दोहा में देखा गया है। भारत की तरफ से फीफा वर्ल्ड कप की ओपनिंग सेरेमनी में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी शामिल हुए थे। ओपनिंग सेरेमनी के दौरान जाकिर नाइक को वहां नहीं देखा गया लेकिन कतर आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता देने के लिए जाना जाता है। मिडिल ईस्ट का यह देश अपनी सीमाओं के आस-पास के आतंकी संगठनों को फलने-फूलने में मदद करता है।
सऊदी अरब ने तोड़ा नाता
सीरिया के कई आतंकी संगठनों की टेरर फंडिंग में भी कतर का नाम कई बार सामने आया है। सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों ने आतंकवाद की वजह से कतर से अपना संबंध भी तोड़ लिया था। इनमें सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और मिस्त्र आदि अरब देश शामिल हैं।
साल 2017 में इन अरब देशों ने कतर से जुड़े लोगों और संस्थाओं की आतंकवाद में संलिप्तता की एक सूची जारी की थी। इन देशों ने कतर के संदिग्ध दोहरेपन के एजेंडा का भी खुलासा किया था। अरब देशों द्वारा जारी की गई सूची पर अगर यकीन किया जाए तो जहां एक तरफ कतर आतंकवाद के खिलाफ खुद को मजबूत बताता है, वहीं विभिन्न आंतकी संगठनों की फंडिंग, समर्थन और मेजबानी भी करता नजर आता है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय की तरफ से भी एक सूची जारी की गई थी, जिसमें कतर द्वारा साद अल काबी और अब्दुल लतीफ अल कवरी जैसे आतंकवाद को बढ़ाने वाले 59 लोगों और 12 संस्थाओं के नाम शामिल थे।
खूंखार आतंकी संगठनों की टेरर फंडिंग
कतर पर कई बार तालिबान, इस्लामिक स्टेट, अल कायदा, हिज्बुल्लाह, मुस्लिम ब्रदरहुड, अल नुसरा फ्रंट समेत दुनियाभर के कई खूंखार आतंकवादी संगठनों से संबंध होने के आरोप लगे हैं। पिछले कुछ सालों में कतर पर दुनियाभर के इन खूंखार आतंकवादी संगठनों को टेरर फंडिंग का भी आरोप लगा है। साल 2014 में भी कतर पर आईएसआईएस की फंडिंग करने, 2020 में हिजबुल्लाह को आर्थिक मदद देने और जून 2021 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नामित आतंकवादी समूह अल नुसरा फ्रंट को पैसे भेजने के आरोप लगे। इसके अलावा कतर और तालिबान के रिश्ते जगजाहिर हैं।
तालिबान को दोबारा खड़ा करने में की मदद
कतर ने अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान से तालिबान को खदेड़े जाने के बाद तालिबान की खुलकर मदद की थी। यही नहीं, तालिबान ने कतर की राजधानी दोहा में अपना राजनीतिक कार्यालय भी खोला था। तालिबान और अमेरिका के बीच शांति समझौता दोहा के इसी कार्यालय में किया गया था।
इस शांति समझौते के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी सेना वापस बुला ली और तालिबान दोबारा अफगानिस्तान पर अपना कब्जा जमा चुका है। तालिबान के इस कार्यालय को चलाने के लिए कतर ने जमकर फंडिंग की। कतर द्वारा दिए गए विमान से तालिबान के नेता पूरी दुनिया की सैर करते थे। कतक की फंडिंग की वजह से ही तालिबान दोबारा खड़ा हुआ और अफगानिस्तान में कत्लेआम मचाया और जनता पर कई तरह के मजहबी प्रतिबंध लगाए हैं।
अल नुसरा फ्रंट को अरबों डॉलर की मदद
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा नामित आतंकवादी संगठन अल नुसरा फ्रंट को कतर ने लाखों-करोड़ों डॉलर फंड किए हैं। द टाइम्स ऑफ लंदन की रिपोर्ट के मुताबिक, कतर के शाह ने एक निजी कार्यालय के जरिए अल नुसरा फ्रंट को अरबों डॉलर दिए हैं। सीरियाई संगठनों ने दावा किया था कि इस फंडिंग में कतर के दो बैंक, कई संस्थान, अमीर व्यवसायी, राजनेता और नागरिक शामिल थे। कतर के इन संस्थानो, राजनेताओं और शाही परिवार ने मुस्लिम ब्रदरहुड का हवाला देते हुए अल नुसरा फ्रंट की मदद की थी।
आईएसआईएस और हिजबुल्लाह से भी है कनेक्शन
इसके अलावा साल 2014 में कतर का नाम आतंकी सगठन इस्लामिक स्टेट यानी आईएसआईएस और हिजबुल्लाह के साथ भी जुड़ा है। इसी साल आईएसआईएस ने सीरिया और इराक में मजहब के नाम पर कत्लेआम मचाया था। साल 2020 में जेरूसलम पोस्ट ने दावा किया था कि इन आतंकी संगठनों की फंडिंग में कतर का महत्वपूर्ण योगदान था। अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने हिजबुल्लाह को आंतकी संगठन का दर्जा दिया है। यह संगठन मुख्य तौर पर इजरायल के विरोध में एक्टिव है।
यह भी पढ़ें: FIFA World Cup 2022: हजारों मजदूरों की लाशों पर हो रहा जश्न