Drug Addiction: क्या हैं नशीले ड्रग्स, और क्यों हो रहे हैं करोड़ों युवा ड्रग्स के शिकार? जानिए विस्तार से
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट में बताया है कि 10 वर्ष से 17 वर्ष की आयु के बीच के लगभग 1.58 करोड़ युवा नशे के नशीले पदार्थों के आदी हो चुके हैं।
Drug Addiction: भारत में ड्रग्स का एडिक्शन युवाओं में बहुत बढ़ गया है और इसकी अब कोई सीमा नहीं रह गयी है। ड्रग्स की समस्या वास्तव में बहुत विकराल हो चुकी है जिस पर सरकार को अब जरुरत से ज्यादा ध्यान देना होगा। आइये जानने की कोशिश करते हैं कि क्या होते हैं ड्रग्स, क्यों युवाओं में बढ़ रहा है ड्रग्स का एडिक्शन और भारत में ड्रग्स की क्या स्थिति है?
क्या होते हैं ड्रग्स?
सबसे पहले यह समझने की जरुरत है कि ड्रग्स दो तरह के होते है - एक जिनका इस्तेमाल सिर्फ नशे के लिए होता है और दूसरा जीवनरक्षक दवाइयां बनाने में काम आने वाले ड्रग्स। अगर हम स्वास्थ्य क्षेत्र की बात करें तो ड्रग्स एक रासायनिक एजेंट होता है जिसका उपयोग किसी बीमारी के इलाज, रोकथाम अथवा निदान करके शारीरिक या मानसिक स्थिति में सुधार के लिए किया जाता है। फार्मास्यूटिकल कंपनियों को दावा बनाने के लिए ड्रग्स के इस्तेमाल करने की अनुमति है लेकिन वह भी एक लिमिट में।
जबकि नशे के लिए प्रयोग में आने वाले ड्रग्स की बात करे तो ये इसके आदि हो चुके किसी व्यक्ति की मानसिक या शारीरिक स्थिति को बुरी तरह से प्रभावित कर देते हैं। यह उस व्यक्ति की भावना, उसके व्यवहार, उसकी समझ जैसी अवस्थाओं को प्रभावित करते है। ड्रग्स कई तरीके के होते हैं जैसे कोकीन, LSD, हेरोइन और गांजा इत्यादि। दुनियाभर में ड्रग्स सेवन और उसका व्यापार गैरकानूनी है।
किन कारणों से ड्रग एडिक्ट बन रहे हैं युवा
फियर ऑफ मिसिंग आउट (FOMO): आजकल के युवाओं में ड्रग्स का एडिक्शन बढ़ने का एक मुख्य कारण है एक दूसरे की देखा-देखी। उन्हें लगता है कि अगर मेरे साथ वाले दोस्त ड्रग्स ले रहे हैं और अगर उनके साथ मैं ड्रग्स नहीं लूँगा तो मैं 'कूल (Cool)' नहीं लगूंगा या मैं पुरानी सोच का लगूंगा। युवाओं के मन में यह बात आ जाती है कि अगर दूसरा व्यक्ति कर सकता है तो मैं क्यों नहीं कर सकता। और इन सब के पीछे सिर्फ युवाओं का मकसद होता है 'कूल' बनना। युवाओं में यह भावना भी आती है कि अब मैं बच्चा नहीं रहा, अब मैं बड़ा हो गया हूं तो मैं इन चीजों को इस्तेमाल तो कर ही सकता हूं।
साथियों का दबाव: यूथ जिस संगत में रहता है और अगर उसके दोस्त ड्रग्स करते हैं तो यह बात तो निश्चित है कि उसके दोस्तों उसे जरूर ड्रग्स करने या दारू पीने के लिए फोर्स करेंगे। जिन युवाओं की विल पावर कमजोर होती है वह अपने साथियों के दबाव में आकर एक बार ड्रग्स कर लेते हैं, लेकिन उसके बाद उन नशीले पदार्थों को छोड़ नहीं पाते क्योंकि ड्रग्स का नशा बहुत ही खराब होता है और साधारण तरीके से ड्रग्स छोड़ना बहुत ही मुश्किल होता है।
मूवीज़ और वेब सीरीज का प्रभाव: आज के समय में वेब सीरीज और मूवीज़ में शराब, ड्रग्स, आदि नशों का सेवन बहुतायत में देखने को मिलता है। नशीले पदार्थों का सेवन देखकर युवाओं में उत्सुकता बढ़ती है कि यह पदार्थ क्या है, जिसके बाद युवा उन चीजों को ट्राई करने की सोचता है और कुछ समय बाद उसे नशीले पदार्थों की लत लग जाती है और वह उन्हें छोड़ नहीं पाता। कई रिपोर्ट्स बताती है कि मूवीज़ और वेब सीरीज में दिखाई चीजें युवाओं को बहुत प्रभावित करती है भले ही वो नशा हो, लड़ाई हो, आदि कुछ भी हो। जब युवा जिन कलाकारों को पसंद करता है उनको ड्रग्स करते हुए देखता है तो वह उनकी नकल करते हुए नशीले पदार्थों की तरफ आकर्षित जरूर होगा।
फिजिकल स्ट्रेंथ: कई व्हाट्सएप फॉरवर्ड्स, यूट्यूब वीडियो, और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ऐसे दावे किये जाते हैं कि ड्रग्स फिजिकल स्ट्रैंथ बढ़ाते हैं। ऐसे झूठे दावों से प्रभावित होकर युवा ड्रग्स का सेवन करने लगते हैं।
टेंशन और अकेलापन: आजकल की भागती दौड़ती जिंदगी में अकेलेपन के शिकार युवाओं में स्ट्रेस और तनाव इतना बढ़ गया है कि वे मानसिक रूप से कमजोर हो जाते हैं और ड्रग्स लेने लगते हैं। ड्रग्स को वे टेंशन फ्री रहने का तरीका मानकर उनकी गिरफ्त में आ जाते हैं।
ड्रग्स पर कम शिक्षा: ड्रग्स करने वालों में एक बहुत बड़ी संख्या अशिक्षितों की होती है जिन्हें ड्रग्स के बारे में पूरा ज्ञान नहीं होता और वे कथित मजे के लिए उन नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। ग्रामीण इलाकों में 18 साल से कम की आयु के बच्चे भी इन चीजों का सेवन करते हैं क्योंकि उन्हें उन नशीले पदार्थों के नुकसान नहीं पता होते। जब तक उन्हें ड्रग्स के नुकसान का पता चलता है, तब तक देर हो चुकी होती है और नशीले पदार्थों की लत उन्हें नशा छोड़ने नहीं देती।
भारत में ड्रग्स के आंकड़ें क्या कहते हैं
2021 के डाटा के अनुसार भारत में सिर्फ चरस और गांजा का नशा करने वालों की संख्या लगभग 1.3 करोड़ से भी ज्यादा है। गौरतलब है कि पूरी दुनिया में चरस और गांजा का नशा करने वाले लोगों की एक तिहाई आबादी भारत में है और भारत में साल-दर-साल यह नशा तेजी से युवाओं को अपना शिकार बना रहा हैं।
भारत में नशीले और मादक पदार्थों की तस्करी और अवैध पदार्थों के दुरुपयोग से लड़ने के लिए भारत सरकार की अधिकृत संस्था, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो जिम्मेदार है जो केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है। वर्ष 2021 में सरकारी एजेंसियों द्वारा कुल 749,761 किलो गांजा जब्त किया गया था जबकि वर्ष 2017 में यह आंकड़ा बिल्कुल आधा था। वर्ष 2019 से वर्ष 2021 के बीच गांजे की मांग बहुत बढ़ गई थी। वर्ष 2021 में सरकारी एजेंसी द्वारा 338 किलो कोकीन बरामद किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा ड्रग्स पंजाब से बरामद होते है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े यह भी बताते हैं कि पूरी दुनिया में कुल 28.4 करोड़ लोग ड्रग्स करते हैं। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े अफीम बाजारों में से एक है और भारत में युवा इस खतरे से सबसे अधिक प्रभावित हैं।
कहां से आते हैं भारत में ड्रग
भारत में नशीली पदार्थों की स्थिति को प्रभावित करने वाले देशों में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ईरान, म्यांमार, लाओस, थाईलैंड, श्रीलंका, अफ्रीका शामिल हैं। भारत में भारत-पाकिस्तान सीमा, पंजाब और जम्मू और कश्मीर के सीमावर्ती राज्यों के माध्यम से हेरोइन की बड़ी तस्करी होती है और इन सीमावर्ती राज्यों से हेरोइन की तस्करी दूसरे राज्यों में की जाती है। क्योंकि गांजा भारत के उत्तरी क्षेत्र में उगाया जाता है तो उसकी तस्करी करना बहुत आसान होता है और भारत में गांजा सप्लाई करने में नेपाल का भी बहुत बड़ा हाथ है।
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