रावण से जुड़ी ऐसी बातें जो अब से पहले नहीं जानते होंगे आप
नयी दिल्ली। 'रावण'... दुनिया में इस नाम का दूसरा कोई व्यक्ति नहीं है। कहते हैं राम तो बहुत मिल जाएंगे, लेकिन रावण नहीं। रावण एक कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ तत्व ज्ञानी तथा बहु-विद्याओं का जानकार था।
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रामकथा में रावण ऐसा पात्र है, जो राम के उज्ज्वल चरित्र को उभारने काम करता है। ऐसे में रामनवमी के इस खास मौके पर आपको रावण से जुड़ी उन रोचक तथ्यों के बारे में बताते हैं जिनके बारे में अब से पहले आपने नहीं सुना होगा। जानें रावण से जुड़ें अनसुने तथ्य...
रावण कोई दूसरा नहीं
रावण आधा ब्राह्मण और आधा राक्षस था। उसके पिता ब्राह्मण और माता राक्षस थी। रावण के पिता विश्वश्रवा मुी थे तो माता कैकसी राक्षसी।
कुबेर का सौतेला भाई
रावण के सौतेले भाई कुबेर थे। कुबेर को बेदखल कर रावण के लंका में जम जाने के बाद उसने अपनी बहन शूर्पणखा का विवाह कालका के पुत्र दानवराज विद्युविह्वा के साथ कर दिया।
रावण की पूजा
जैन शास्त्रों में रावण को प्रति-नारायण माना गया है। उनके मुताबिक 64 शलाका पुरुषों में रावण की गिनती की जाती है। जैन पुराणों में रावण आगामी चौबीसी में तीर्थंकर की सूची में भगवान महावीर की तरह चौबीसवें तीर्थंकर के रूप में मान्य होंगे। कुछ प्रसिद्ध प्राचीन जैन तीर्थस्थलों पर रावण की मूर्तियां भी प्रतिष्ठित हैं।
नहीं थे दशानन
कुछ विद्वान मानते हैं कि रावण के दस सिर नहीं थे, बल्कि रावण के गले में बड़ी-बड़ी गोलाकार नौ मणियां होती थीं, जिनकी वजह से उनके दस सिर दिखाई पड़ते थे।
संगीत का पुजारी
रावण को संगीत का शौक था। वो संगीत जानता भी था। उसे वीणा बजाना बहुत पसंद करता था।
शिवभक्त रावण
कहा जाता है कि रावण से बड़ा शिवभक्त अब तक संसार में कोई नहीं हुआ है। अपनी भक्ति से उनसे खुद को शिव के परम भक्तों में संथान दिलवाया था।
परम ज्ञाता
रावण परम ज्ञानी था। उसने 6 शास्त्रों की रचना की। रावण ने योग, धर्मा, कामा, अर्थ, मोक्ष और नाव्या शास्त्र लिखे।
पराक्रर्मी रावण
रावण कुशल राजा था। वो जानता था कि राज्य कैसे चलाना है। रावण ने सुंबा और बालीद्वीप को जीतकर अपने शासन का विस्तार करते हुए अंगद्वीप, मलयद्वीप, वराहद्वीप, शंखद्वीप, कुशद्वीप, यवद्वीप और आंध्रालय पर विजय प्राप्त की थी।
लंकेश्वर
‘लंकेश्वर' के अनुसार रावण शिव का परम भक्त, यम और सूर्य तक को अपना प्रताप झेलने के लिए विवश कर देने वाला, प्रकांड विद्वान था।
पुष्पक विमान
रावण के पुष्पक विमान की विशेषता थी कि वह छोटा या बड़ा किया जा सकता था। पुष्पक विमान में इच्छानुसार गति होती थी और बहुत से लोगों को यात्रा करवाने की क्षमता थी।