गाड़ी से उतरकर गरीब को दी थीं अपनी चप्पलें, फिर क्यों बच्चों को नापसंद थे दिलेर स्वभाव वाले मोहम्मद रफी
आज से 42 साल पहले हिंदी फिल्मों में अपनी आवाज से चार चांद लगाने वाले मोहम्मद रफी ने दुनिया को अलविदा कह दिया। मोहम्मद रफी इतने दयालु थे कि एक दफा मुंबई की सड़कों पर उन्होंने एक गरीब को अपनी चप्पलें तक दे दी थीं।
मुंबई, 31 जुलाई: 'क्या हुआ तेरा वादा...' 'लिखे जो खत तुझे...''अभी ना जाओ छोड़ कर...' कुछ ऐसे एवरग्रीन गाने हैं, जिन्हें दिग्गज गायक मोहम्मद रफी ने अपनी आवाज दी थी। सिंगर की आवाज में वो जादू था, जो किसी को भी अपना बना दे। उनकी आवाज में इतना दम था कि आज के समय में भी उनके गाने लोगों की जुबान पर चढ़े रहते हैं। अपने समय के शानदार गानों और अपनी जादुई आवाज के अलावा मोहम्मद रफी अपने दयालु स्वभाव के लिए भी जाने जाते थे। लेकिन उन्होंने अपने फैंस को उस वक्त तगड़ा झटका दिया, जब वे आज से 42 साल पहले ही दुनिया को अलविदा कह गए। मोहम्मद रफी दिल के नेक थे, इस बात का अंदाजा उस वाकये से लगाया जा सकता है, जब सिंगर ने सड़क किनारे बैठे गरीब को न सिर्फ अपनी चप्पलें दे दीं, बल्कि खाना खिलाकर और नहलाकर घर भेजा। बावजूद इसके.. सिंगर के बच्चे उन्हें नापसंद करते थे।
आवाज के दीवाने थे फैंस
मोहम्मद रफी उन गायकों में से एक हैं, जिनकी आवाज के लाखों लोग दीवाने थे। रफी ने हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी में भी गाने गाए। मोहम्मद रफी वे शख्स थे, जो अपनी शानदार मेलोडियस आवाज से हिंदी सिनेमा में नया दौर लेकर आए थे।
पब्लिसिटी नहीं थी पसंद
मोहम्मद रफी एक महान सिंगर होने के साथ-साथ महान इंसान भी थे। इस बात का सबूत उनकी जिंदगी के कुछ छोटे-छोटे किस्सों को याद करने पर मिलता है। सिंगर के करीबी दोस्तों और परिवार के सदस्यों की मानें, तो सिंगर कभी किसी को खाली हाथ नहीं भेजते थे। उनके स्वभाव की बात करें, तो मोहम्मद रफी को किसी भी तरह की पब्लिसिटी पसंद नहीं थी।
जब शख्स को दे दीं चप्पलें
मोहम्मद रफी की बेटी नासरीन अहमद याद करती हैं कि कैसे उनके पिता ने एक दफा मुंबई की सड़कों पर बैठे एक शख्स को अपनी चप्पलें तक दे दी थीं। इस वाकये को सुनकर दिग्गज सिंगर के फैंस तक इमोशनल हो गए थे। उनके लिए लोगों की दीवानगी वैसे ही कम नहीं थी, कि वे अपने स्वभाव से फैंस का दिल जीत लेते थे।
दिलेर स्वभाव के थे रफी साहब
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, नासरीन कहती हैं कि जब उन्होंने देखा कि मुंबई की सड़ती गर्मी में एक शख्स अपना एक पैर उठाकर खड़ा रहने की कोशिश कर रहा था, तो मोहम्मद रफी ने ड्राइवर को गाड़ी रोकने के लिए कहा।
खाना खिलाकर भेजा घर
इसके बाद महान गायक ने अपनी चप्पलें उस शख्स को दे दीं। मोहम्मद रफी के दामाद मेराज अहमद ने बताया कि इतना ही नहीं, वे कार रोककर उस शख्स को अपने घर लेकर आए, उसे नहलाया और खाना खाकर फिर वापस भेजा।
पॉपुलर एक्टर्स से नहीं रहा मेलजोल
नासरीन बताती हैं कि उनके पिता किसी को भी पैसे देने से पहले गिनते नहीं थे। अपनी पॉकेट में हाथ डालते, और जो कुछ भी मिलता उसे दे देते थे। उन्होंने ये भी बताया कि उनके पिता का कभी किसी से मेलजोल नहीं रहा। यही वजह है कि उनके बच्चे भी किसी लोकप्रिय अभिनेता से नहीं मिले, जिनके लिए फिल्मों में रफी गाने गाते थे।
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बच्चों को क्यों नापसंद थे पिता
मोहम्मद रफी की दूसरी पत्नी बिल्किस बानो ने एक बार खुलासा किया था कि पब्लिसिटी के लिए उनके पति की नापसंद ने बच्चों को उन्हें नापसंद करने का एक कारण बना दिया था। साल 1988 में एक्टर-लेखक पैट्रिक बिस्वास के साथ एक इंटरव्यू में बिलकिस ने कहा कि बच्चों को अपने पिता के साथ फिल्म देखने जाना पसंद ही नहीं था। क्योंकि वे हमेशा कहते थे कि फिल्म शुरू होने के बाद ही हम जाएंगे और अंत से पहले वापस आ जाएंगे। ऐसे में बच्चों की शिकायत रहती थी कि उन्हें पता ही नहीं होता था शुरुआत और अंत में क्या हुआ।