सरकारी अव्यवस्था की भेंट चढ़ा युवक, नाले पर पुल होता तो बच गई होती युवक की जान
राजनांदगांव जिले में फिर एक बार जनप्रतिनिधियों द्वारा मूलभूत सुविधाओं की अनदेखी और सरकारी अव्यवस्था से एक युवक की मौत हो गई।
राजनांदगांव, 17 जुलाई। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में फिर एक बार जनप्रतिनिधियों द्वारा मूलभूत सुविधाओं की अनदेखी और सरकारी अव्यवस्था से एक युवक की मौत हो गई। राजनांदगांव के छुरिया ब्लॉक में पुल के अभाव में एक लड़के की मौत हो गई. वहीं अब पिता बेटे की मौत का जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन को बताते हुए जनप्रतिनिधियों को कोस रहें हैं, बताया जा रहा है कि युवक को नाला पार कर एंबुलेंस तक पहुंचाने के बाद अस्पताल ले जाया जा रहा था. जहां उसकी मौत हो गई।
क्या
है
पुरा
मामला
दरअसल
राजनांदगांव
में
पुल
के
अभाव
में
एक
लड़के
की
मौत
हो
गई।
छुरिया
ब्लॉक
के
ग्राम
पंचायत
घेरूघाट
के
आश्रित
ग्राम
किकाड़ीटोला
के
रास्ते
में
पड़ने
वाले
पुल
पर
पुलिया
निर्माण
के
अभाव
के
कारण
नाला
के
रास्ते
बीमार
लड़के
को
ले
जाया
जा
रहा
था.
लेकिन
अस्पताल
ले
जाते
वक्त
उसकी
मौत
हो
गई.
बीमार
बेटे
को
पुल
के
उस
पार
खड़ी
एंबुलेंस
तक
पहुंचाने
के
लिए
पिता
को
नाला
पार
करना
पड़ा.
समय
पर
अस्पताल
न
पहुंचने
के
कारण
लड़के
की
मौत
हो
गई।
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नाले
पर
पुल
होता
तो
न
होती
बेेटे
की
मौत
जहां
ग्रामीण
अपने
17
वर्षीय
बीमार
बेटे
को
छुरिया
सामुदायिक
स्वास्थ्य
केंद्र
भर्ती
कराने
ले
जा
रहा
था.
गांव
के
ही
पास
नाला
पर
पुल
न
होने
के
कारण
पैदल
नाले
को
पार
कर
अन्य
ग्रामीणों
की
मदद
से
नदी
के
उस
पार
खड़ी
एंबुलेंस
तक
उसे
पहुंचाया
गया.
नाले
को
पार
करने
में
ही
आधा
घन्टा
लग
गया.
इसलिए
समय
पर
इलाज
नहीं
मिलने
के
कारण
युवक
की
मौत
हो
गई.
परिजनों
का
कहना
है
कि
अगर
नाले
पर
पुल
बन
गया
होता
तो
आज
उनके
बेटे
की
मौत
नहीं
होती।
समय
से
इलाज
न
हो
पाने
के
कारण
उनके
बेटे
की
मौत
हो
गई।
पुल बनाने जनप्रतिनीधि व जिला प्रशासन ने दिखाई रूचि.
बता दें कि क्षेत्र के ग्रामीण कई वर्षों से नाला पर पुल की मांग कर रहे हैं. बावजूद इसके अभी तक वहां पुल नहीं बनाने में न जनप्रतिनीधि और न ही जिला प्रशासन ने रूचि दिखाई. परिजन और ग्रामीणों द्वारा अपने कंधे और हाथों के सहारे युवक को लेकर नाला पार कराया गया और एंबुलेंस तक पहुंचाया गया. हालांकि उसकी मौत हो गई. बेटे की मौत के बाद परिजनों में गुस्सा है. वहीं अब पिता बेटे की मौत का जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन को बताते हुए जनप्रतिनिधियों को कोस रहें हैं।