FSNL कर्मचारियों को मिला बीएसपी अधिकारियों का साथ , निजीकरण रोकने मानव श्रृंखला बनाकर किया प्रदर्शन
केंद्र सरकार ने फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड की स्थापना की थी। लेकिन अब इस कंपनी पर निजीकरण का खतरा मंडरा रहा है। जिसके विरोध में एफएसएनएल के कर्मचारियों का पिछले 3 माह से आंदोलन जारी है। इन कर्मचारियों को अब तक कोई सफलता ह
दुर्ग, 14 जुलाई। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में भिलाई इस्पात संयंत्र समेत देशभर के इस्पात संयंत्रों में निकलने वाले स्टील वेस्ट को एकत्र करने वह उसे पुनः उपयोग लायक बनाने केंद्र सरकार ने फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड की स्थापना की थी। लेकिन अब इस कंपनी पर निजीकरण का खतरा मंडरा रहा है। जिसके विरोध में एफएसएनएल के कर्मचारियों का पिछले 3 माह से आंदोलन जारी है। इन कर्मचारियों को अब तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है, बल्कि कंपनी के संचालन के लिए टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं। ऐसे में इन कर्मचारियों को अब भिलाई इस्पात संयंत्र के ऑफिसर्स एसोसिएशन व अन्य श्रमिक संगठनो ने अपना समर्थन दे दिया है।
प्रदर्शन
के
100
दिन
पूरे
होने
पर
बनाई
मानव
श्रृंखला
फेरो
स्क्रैप
निगम
लिमिटेड
के
कर्मचारियों
द्वारा
कंपनी
के
निजीकरण
को
रोकने
एवं
सेल
जैसे
इस्पात
संयंत्रो
में
विलय
की
मांग
को
लेकर
लगातार
आन्दोलन
जारी
है।
इस
आन्दोलन
के
100
दिन
पूरे
होने
पर
सभी
कर्मचारियों
और
श्रमिक
संगठनो
द्वारा
काली
पट्टी
लगाकर
विरोध
प्रदर्शन
किया।
इसके
साथ
ही
इक्यूपमेंट
चौक
पर
एफएसएनएल
भवन
के
पास
मानव
श्रृंखला
के
माध्यम
से
"सेव
एफएसएनएल
100"
बनाकर
प्रदर्शन
किया
गया।
इस्पात बिरादरी द्वारा एफएसएनएल के निजीकरण रोकने और सेल में विलय को लेकर बीएसपी ऑफिसर्स एसोसिएशन के साथ गेट मीटिंग व कैंडल मार्च का आयोजन किया गया । जिसमे भिलाई इस्पात सयंत्र के ऑफिसर एसोसिएशन एवं समस्त श्रमिक संगठनो का पूर्ण सहयोग मिल रहा है। अब यह कर्मचारी संयुक्त रूप से भारत सरकार से ऐसे निजी करण को रोकने की मांग कर रहे हैं।
अन्य
राज्यों
के
इन
ब्रांच
ऑफिसों
में
हैं
,
500
कर्मचारी
एफएसएनएल
की
भिलाई
मुख्यालय
के
अलावा
सेल
के
राउरकेला,
बर्नपुर,
बोकारो,
विशाखापटनम,
दुर्गापुर,
डूबुरी,
हरिद्वार,
भद्रावती,
सेलम,
मुंबई,
हजीरा
सहित
हैदराबाद
में
कार्यालय
है।
वर्तमान
में
भिलाई
मुख्यालय
में
23
अफसर,
145
कर्मचारी
और
170
ठेका
श्रमिक
काम
कर
रहे
हैं।
सरकार
के
इस
निर्णय
के
विरोध
में
सभी
कर्मचारियों
ने
अब
आंदोलन
शुरू
कर
दिया
है।
कर्मचारियों
के
अनुसार
लगातार
फायदा
कमाने
के
बावजूद
केंद्र
सरकार
द्वारा
उक्त
कंपनी
को
बेचना
कर्मचारी
हित
में
नहीं
है।
सरकार
को
अपने
निर्णय
पर
फिर
से
विचार
करना
चाहिए।
सौ
फीसदी
विनिवेश
के
साथ
होगा
निजीकरण
कर्मचारियों
के
अनुसार
केंद्र
सरकार
द्वारा
इस्पात
क्षेत्र
की
कंपनियों
को
गैर-रणनीतिक
श्रेणी
में
रखा
गया
है।
जिसके
कारण
सभी
इस्पात
क्षेत्र
के
सार्वजनिक
उद्यमों
पर
विनिवेश
की
तलवार
लटकी
हुई
है
|
इसी
क्रम
में
केंद्र
सरकार
द्वारा
एफएसएनएल
एवं
आरआईएनएल
का
निजीकरण
किया
जाना
प्रस्तावित
है
एवं
एफएसएनएल
के
100%
रणनीतिक
विनिवेश
एडवांस
स्टेज
में
है।
जिसकी
17
जून
2022
को
अभिव्यक्ति
की
रूचि
जमा
करने
की
अंतिम
तिथी
घोषित
की
गई
थी
|
कर्मचारियों
के
अनुसार
निजीकरण
के
बाद
उनके
ऊपर
निजी
कंपनी
का
अधिकार
हो
जाएगा
साथ
ही
उनके
वेतन
भत्ते
कटौती
और
छटनी
करने
का
अधिकार
कम्पनी
को
मिल
जाएगा
।
वेस्ट
को
बेस्ट
बनाने
की
गई
थी
एफएसएनएल
की
स्थापना
दरअसल
एफएसएनएल
इस्पात
मंत्रालय
भारत
सरकार
के
अंतर्गत
मिनीरत्न
-II
श्रेणी
का
सार्वजनिक
उपक्रम
है
एवं
इस
उपक्रम
का
गठन
स्क्रैप
की
महत्ता
को
ध्यान
में
रखते
हुए
भारत
सरकार
के
अनुरोध
के
पश्चात
सन
1979
में
एमएसटीसी
की
सब्सिडरी
के
रूप
किया
गया
था
|
यह
उपक्रम
अपने
स्थापना
से
लाभदायक
उपक्रम
बना
रहा
है।
परन्तु
इन
सब
के
बावजूद
इसका
निजीकरण
किया
जा
रहा
है।
जिससे
भिलाई
इस्पात
संयंत्र
बिरादरी
में
रोष
है।