छत्तीसगढ़ में ओबीसी मतदाताओं की संख्या में इजाफा, विधानसभा चुनाव में दिखेगा असर !
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रायपुर, 31 मार्च। छत्तीसगढ़ को हमेशा से आदिवासी बाहुल्य राज्य माना जाता रहा है। यहां की सरकारी योजनाओं से लेकर राजनीति रणनीति भी आदिवासियों के इर्द गिर्द ही घूमती रही है। लेकिन अब छत्तीसगढ़ में जातिगत स्थिति बदलती हुई नजर आ रही है। सरकारी सर्वे के मुताबिक राज्य में पिछड़ा वर्ग और आर्थिक तौर पर पिछड़े नागरिकों की संख्या में इजाफा हुआ है। लगभग 3 करोड़ 5 लाख से अधिक की आबादी वाले छत्तीसगढ़ में ओबीसी वर्ग की जनसंख्या 1.18 लाख करोड़ के पार हो चुकी है।
छत्तीसगढ़ में 38.06 फीसदी ओबीसी
छत्तीसगढ़ क्वांटिफायबल डाटा आयोग की तरफ से किये गए सर्वे के मुताबिक 28 मार्च 2022 तक की स्थिति में राज्य में ओबीसी की संख्या 1 करोड़ 18 लाख 5 हजार 184 पहुंच चुकी है, जो वर्ष 2021 की जनसंख्या के हिसाब से 38.06 फीसदी है। इसी तरह छत्तीसगढ़ में आर्थिक तौर से कमजोर वर्गों की आबादी 10 लाख 30 हजार 309 है, जो साल 2021 की अनुमानित जनसंख्या के हिसाब से 3.4 फीसदी आंकी गई है। साल 2011 की छत्तीसगढ़ की कुल आबादी 2 करोड़ 57 लाख 36 हजार 032 थी, जबकि 2021 में अनुमानित आबादी 3 करोड़ 5 लाख 74 हजार 656 दर्ज की गई है।
सीएम भूपेश भी है ओबीसी नेता ,करते रहे हैं पिछड़ा वर्ग आरक्षण की वकालत
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद ओबीसी वर्ग से आते हैं। वह हमेशा से भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगाते रहे हैं। हाल ही में उन्होंने अपने एक बयान में कहा था कि कांग्रेस ओबीसी को आरक्षण देने के लिए लड़ रही हैं, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार आरक्षण विरोधी है। कांग्रेस ने हमेशा ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग का समर्थन किया है।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की स्थित पर नजर डालें तो उसने आदिवासी वर्ग के साथ ही ओबीसी समुदाय के नेताओं को भी संगठन में बराबरी से जगह दे रखी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री के अलावा गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, राज्यसभा सांसद छाया वर्मा, कांग्रेस संगठन के बड़े नेता गिरीश देवांगन समेत कांग्रेस में कई ऐसे चेहरे हैं, जो ओबीसी वर्ग में स्थापित हो चुके हैं।
चुनाव से पहले सजग हुआ ओबीसी वर्ग
छत्तीसगढ़ में पिछड़ा वर्ग की आबादी 60 फीसदी से अधिक आंकी जाती रही है। राज्य में 109 प्रकार की जातियां ओबीसी वर्ग में आती हैं। छत्तीसगढ़ में बस्तर संभाग को भले ही आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र माना जाता रहा हो, लेकिन वहां भी अब पिछड़े वर्ग के लोगों की तादाद में इजाफा हुआ है। ओबीसी वर्ग चाहता है कि छत्तीसगढ़ में उन्हें 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देने के अलावा पांचवी अनुसूची में शामिल किया जाए।
छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण संघ के अध्यक्ष ओमप्रकाश साहू का कहना है कि पिछड़ा वर्ग बाहुल्य राज्य होने के बावजूद छत्तीसगढ़ में ओबीसी क्लास के नागरिकों का भला करने के लिए सरकार अब तक कोई ठोस नीति नहीं बना पाई है। छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की बात जरूर की थी, लेकिन कुछ लोगों ने कोर्ट जाकर उस पर रोक लगवा दी। हम सरकार के सक्षम अपनी मांगों को दुहराएंगे।
भाजपा की नजर ओबीसी वोटबैंक पर
छत्तीसगढ़ में सबसे बड़े वोटबैंक के रूप में उभरकर सामने आने वाले पिछड़ा वर्ग की मंशा साफ नजर आ रही है। 2023 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान पिछड़ा वर्ग सरकार बनाने और उसका हिस्सा बनने के लिए पुरजोर कोशिश करेगा। ऐसे में सीएम भूपेश बघेल के रूप में पिछड़ा वर्ग के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के लक्ष्मण ने कुछ महीनो पहले अपने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान कहा था कि मोदी मंत्रिमंडल में पिछड़ा वर्ग से आने वाले नेताओं को जगह दी गई है। भाजपा ओबीसी मोर्चा के सहयोग से छत्तीसगढ़ में एक बार फिर सरकार बनाने का प्रयास करेगी।
भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष और ओबीसी नेता गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि कांग्रेस का ओबीसी प्रेम केवल दिखावा है। भूपेश बघेल सरकार में कुछ जातियों को छोड़कर अधिकांश ओबीसी जातियां खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही हैं। सभी जानते है कि राज्य में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू करने का वादा करने वाली कांग्रेस ने ही पिछले दरवाजे से अपनी स्लीपर सेल को याचिकाकर्ता बनाकर अदालत से आरक्षण पर रोक लगवाई थी। कांग्रेस पार्टी के कई बड़े ओबीसी नेता चुनाव जीतने के बाद भी हाशिये पर डाल दिए गए हैं। जहां तक भाजपा का सवाल है कि हमारे पास नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, सांसद विजय बघेल, अरुण साव, पूर्व आईएएस ओपी चौधरी समेत कई ऐसे नेता हैं, जो ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। भाजपा आने वाले समय में एक बड़ा ओबीसी सम्मेलन आयोजित करके सत्ता और संगठन में पिछड़ा वर्ग की भगीदारी सुनिश्चित करेगी।