छत्तीसगढ़ में राजस्थान को मिल सकती है कोयला खनन की अनुमति ? अब ग्रामीण भी चाहते हैं शुरू हो परसा कोयला परियोजना
सरगुजा, 30 मार्च। राजस्थान सरकार को इंतजार है कि उसे जल्द ही छत्तीसगढ़ के सरगुजा में कोयला खनन की अनुमति दे दी जाये, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने अभी तक खनन के लिए हसदेव अरण्य क्षेत्र में पर्यावरणीय मंजूरी नहीं दी है। अब तक सरगुजा के स्थानीय आदिवासी कोयल खनन के खिलाफ लामबंद नजर आ रहे थे, लेकिन अचानक ही कुछ ग्रामीण खनन के पक्ष में सामने आ गए हैं। इस ताजा घटनाक्रम के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या राजस्थान सरकार को छत्तीसगढ़ में कोयला खदानों में खनन कार्य शुरू करवाने की स्वीकृति मिलने जा रही है ?
राजस्थान में गहराया कोयला संकट, छत्तीसगढ़ में हलचल
भारत के मध्य भाग में स्थित राज्य छत्तीसगढ़ का दक्षिणी भूभाग अपने आयरन के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है, वहीं उत्तरी भाग कोयले की खदानों के लिए विशिष्ठ पहचान रखता है। एक जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 5990 करोड़ टन से भी अधिक कोयला भंडार मौजूद है। अगर यह आंकलन सही है, तो देश का लगभग 18.34 प्रतिशत कोयला छत्तीसगढ़ के पास ही है। मौजूदा समय में इसी कोयले पर राजस्थान सरकार की उम्मीदें टिकी हुई हैं। रायपुर में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल से मुलाकात की है। दरअसल छत्तीसगढ़ में आबंटित कोयला खदानों में खनन की अनुमति ना मिलने से राजस्थान में कोयला संकट गहराने लगा है।
क्या मिल जाएगी राजस्थान को खनन की अनुमति ?
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने राजस्थान के बिजली विभाग के लिए छत्तीसगढ़ में कोल ब्लॉक आवंटित की है, लेकिन खदानों में खनन कार्य शुरू करने के लिए छत्तीसगढ़ से पर्यावरणीय स्वीकृति ना मिल पाने के कारण राजस्थान को कोयला नहीं मिल पा रहा है। साल 2015 में छत्तीसगढ़ के सरगुजा में स्थित परसा ईस्ट-कांटा बासन में 4340 मेगावाट बिजली उत्पादन इकाइयों के लिए 15 MTPA और परसा में 5 MTPA क्षमता के कोयला खदान को केंद्र से अनुमति मिलने के बाद भी भूपेश बघेल सरकार की ओर से स्वीकृति नहीं दी गई है।
परसा कोयला प्रोजक्ट के पक्ष में सामने आये 6 गांवों के ग्रामीण
गौरतलब है कि हाल ही में परसा खदान में कोयला खनन के विरोध में हसदेव अरण्य के हजारों आदिवासियों ने सरगुजा से रायपुर तक पदयात्रा करके अपना विरोध जताया था। लेकिन अशोक गहलोत के छत्तीसगढ़ दौरे के बाद अचानक ही सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड में परसा कोयला प्रोजक्ट के पक्ष में 6 गांवों के निवासियों ने जल्द काम शुरू कराने की मांग की है।
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मुलाकात करके एक एनजीओ के नाम पर स्थानीय ग्रामीणों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। कोयला खनन के पक्ष में सामने आये ग्रामीणों का कहना है कि परसा कोयला खदान शुरू होने से स्थानीय लोगों को रोजगार और छत्तीसगढ़ सरकार को राजस्व मिलेगा। इन ग्रामीणों का कहना कि अगर परसा कोयला खदान शुरू नहीं की गई, तो वह सीएम भूपेश बघेल से अनुरोध करने के लिए राजधानी रायपुर जाएंगे।
कोयला खदानों पर विधिवत कार्यवाही कर रही है छत्तीसगढ़ सरकार!
25 मार्च 2022 को राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने रायपुर पहुंचकर छत्तीसगढ़ सरकार से कोयला खदानों के संचालन और राजस्थान के शीघ्र कोयले की आपूर्ति किये जाने संबंध में जरूरी कार्यवाही करने का अनुरोध किया था। गहलोत का कहना है कि राजस्थान में कोयला संकट खत्म हो रहा है, साथ ही चिंता भी है कि आने वाले समय में क्या होगा। गहलोत का कहना है कि यदि छत्तीसगढ़ हमारी मदद नहीं करेगा, तो राजस्थान में ब्लैक आउट की नौबत बन जाएगी।
राजस्थान के सीएम को उम्मीद है कि संकट की इस घड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार जल्द फैसला लेगी। गहलोत के छत्तीसगढ़ प्रवास के बाद सीएम भूपेश बघेल ने कहा था कि राजस्थान को आबंटित कोयला खदानों पर विधिवत कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि कोल ब्लॉक आबंटन के बाद पर्यावरण से संबंधित मंजूरी और भारत सरकार की गाइड लाइन को पूरा करना होता है और पर्यावरण के साथ स्थानीय नागरिकों के हितों का भी ध्यान रखना पड़ता है। छत्तीसगढ़ सरकार ने पर्यावरण और स्थानीय जनता के हितों से कभी समझौता नहीं किया है, इसलिए हमारी सरकार हमेशा गंभीर रही है।
10 प्रतिशत कर रहे खनन का समर्थन , 90 प्रतिशत अब भी हैं विरोध में?
हसदेव अरण्य के आदिवासियों के साथ कोयला खनन के विरोध में चल रहे आंदोलन की अगुवाई करने वाले छत्तीसगढ़ बचाओ अभियान के संयोजक आलोक शुक्ला का कहना है कि हसदेव अरण्य क्षेत्र के जिन गांवों में जमीने ले रहे हैं, वहां के ग्रामीण आज भी धरने में बैठे हुए हैं। केवल 10 प्रतिशत ग्रामीण ही खनन के पक्ष में सामने आ रहे हैं, क्योंकि उनकी जमीन परसा कोल परियोजना से प्रभावित नहीं है। शुक्ला ने आरोप लगाया कि खनन कार्य के लिए अधिकृत अडानी समूह की कंपनी पैसों के दम पर ग्रामीणों से प्रदर्शन करवा रही है।
आलोक शुक्ला ने कहा कि दुखद है कि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के छत्तीसगढ़ दौरे के बाद यह हो रहा है कि जल जंगल जमीन को बचाने के लिए बीते 5 साल से आंदोलन कर रहे ग्रामीणों की आवाज को दबाया जा रहा है। 300 किलोमीटर की पदयात्रा करके रायपुर आने वाले ग्रामीणों की आवाज आज तक सुनी नहीं गई। अभी तक कोयला खदानों को अनुमति देने संबंधी आहूत हुई फर्जी ग्राम सभाओं की जांच नहीं हो पाई है। छत्तीसगढ़ सरकार कार्रवाई नहीं करना चाहती है, इसलिए यह नौबत आन पड़ी है।
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