छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने बताया पैसे कमाने का नया तरीका, केवल गोबर बीनकर कमाइए 30 हजार रुपये महीना
गोबर बीनकर कमाइए 30 हजार रुपये महीना
रायपुर,25 अप्रैल। बेरोजगारी की समस्या से निजात पाने के दिलाने के लिए छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने एक अनोखा फार्मूला बताया है कि उनका कहना है कि जो व्यक्ति कोई भी अन्य काम नहीं कर सकता है ,अगर वह छत्तीसगढ़ में केवल गोबर बीनेगा तो महीने का 30 हजार रुपये कमा सकता है।सीएम भूपेश बघेल ने यह बात सोमवार को रायपुर सहकारिता विभाग की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान गौधन न्याय योजना के लाभ गिनाते हुए कही।
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने दावा किया है कि गौधन न्याय योजना के तहत लोग केवल गोबर बेचकर महीने का 30 हजार रुपये कमा रहे हैं। सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि यदि आप कुछ नहीं कर सकते तो छत्तीसगढ़ में गोबर बीन लीजियेगा ,आपको 30 हजार रुपये महीने का मिलेगा। मुख्यमंत्री भूपेश ने आगे कहा कि मै यह बात आंकड़ों के आधार पर कह रहा हूं, आप चाहें तो किस किसान को कितने पैसे मिले,यह मै बता सकता हूं।
सोमवार को राजधानी रायपुर में सहकारिता विभाग की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भारत को कोई मवेशी बाजार बचा है, पहले सरपंच कांजी हाउस की मांग करते थे ,अब नहीं मांगते, इसकी मुख्य वजह मशीनीकरण हो सकती है, वहीं दूसरी ओर जिस गाय का उपयोग नहीं हो रहा है , उसे लोग अनार्थिक होने के कारण खुले में छोड़ देते हैं। सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की गौधन न्याय योजना का अनुसरण देश के कई राज्य कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में हमारी सरकार ने 2 रुपये प्रति किलो की दर से 68 लाख क्विंटल गोबर खरीदा है , इससे लोगों को फायदा मिल रहा है।
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सीएम भूपेश ने अपने भाषण के दौरान कहा कि सहकारी बैंक किसानों का अपना बैंक है, सहकारी आंदोलन की वजह से किसानों के जीवन में काफी परिवर्तन आया, हालांकि अब भी सभी को जुटना होगा, क्योंकि इसकी मजबूती के लिए प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए कि किस राज्य में सहकारिता आंदोलन कहां बढ़ा है। सहकारिता बैंक में नगदी फसलों के लिए ऋण की कोई सुविधा नहीं है, आज गेहूं और धान का अधिक उत्पादन सरकार के लिए नुकसान है. केंद्र सरकार राज्य से धान खरीद रही है।
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भारत को अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने वाले अन्नदाता किसानों को ऊर्जादाता बनाने की आवश्यता है। एफसीआई में देश की 3 वर्ष की जरूरत का अनाज जमा है। आज हमारी आवश्यकता से ज्यादा अनाज का उत्पादन हो रहा है। केन्द्र को अनाज से भी एथेनॉल उत्पादन की अनुमति देनी चाहिए। इसके लिए यह भी आवश्यक है कि राज्य सरकार की तरफ से किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदी गई उपज का प्रयोग एथेनॉल प्लांट में किया जाए, तभी किसानों को इसका लाभ मिलेगा। एथेनॉल प्लांट लगने से रोजगार के अवसर निर्मित होंगे और पेट्रोलियम पदार्थाें पर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा की बचत होगी। भारत आने वाले समय में पेट्रोलियम के मामले में आत्मनिर्भर बन पायेगा ।
सीएम भूपेश बघेल ने सम्मेलन में देशभर से आए सहकारिता के क्षेत्र के प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि कृषि और सहकारिता दोनों विषय राज्य के हैं। यही वजह है कि प्रदेशों की भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक व्यवस्थाओं के अनुरूप नियम बनाए और संचालित किए गए हैं।