हम हर घर तक ऐल्गो ट्रेडिंग पहुंचाएंगेः सचिन गुप्ता, शेयर इंडिया सीईओ
नई दिल्ली। 2008 में मार्केट क्रैश और कोंसोलिडेशन के बाद कई कंपनियों ने अपने विकास को बढ़ावा देने के लिए तकनीकी इनोवेशन्स को अपनाना शुरू किया। ऐसी ही कंपनियों में से एक है शेयर इंडिया जिसने इस नए बदलाव के लिए शुरूआती कदम बढ़ाए हैं। कंपनी की शुरूआत 1994 में हुई और 2018 में यह सार्वजनिक हो गई। पिछले पांच सालों के दौरान PAT में 65 फीसदी CAGR तथा रेवेन्यु में 50 फीसदी की बढ़त हुई है।
CAGR की विकास दर के साथ कंपनी का बाज़ार पूंजीकरण रु 4000 करोड़ के आंकड़े तक पहुंच गया है। इस तरह शेयर इंडिया बड़े प्लेयर्स की लीग में शामिल हो गई है। 'जब हमने टेक्नोलॉजी वाली ट्रेडिंग टेक्निक्स के साथ काम करना शुरू किया, तब हमें लगा कि इसके लिए बड़ी मात्रा में निवेश की ज़रूरत है और हमने अपने आप को इसके लिए प्रतिबद्ध किया। 2012 में हमने एक इन-हाउस टेक्नोलॉजी विकसित की, जिसके साथ ब्रोकर्स लो लेटेन्सी नेटवर्क पर भी अपनी रणनीतियों को अंजाम दे सकते हैं। इस टेक्नोलॉजी के चलते अगले 3-4 सालों में हम लीडरशिप स्थिति पर पहुंच गए। अब जबकि हम रीटेल में प्रवेश की योजना बना रहे हैं, हमें विश्वास है कि टेक्नोलॉजी एवं उपभोक्ताओं के लिए प्रतिबद्धता हमें इस क्षेत्र में मजबूती से पैर जमाने में मदद करेगी,'' श्री सचिन गुप्ता, सीईओ, शेयर इंडिया ने कहा।
कंपनी ने पिछले कुछ सालों के दौरान ट्रेडिंग तकनीकों को टेक्नोलॉजी में शामिल करने के लिए उल्लेखनीय निवेश किया है। पिछले एक साल में दो टेक्नोलॉजी फर्मों- Algowire Trading Technologies और UTrade Solutions के अधिग्रहण के साथ, कंपनी रीटेल की चुनौती के लिए तैयार है।
"हमारी तकनीकी दक्षता की वजह से हमारे पास ना केवल एक बहुत ही जटिल फ्रंट एंड इंटरफेस है बल्कि एक गतिशील बैकएंड भी है। यह टेक्नोलॉजी यूज़़र्स के बदलते व्यवहार के अनुसार रियल टाईम में बदलाव लाने में सक्षम है। ऐसे में टेक्नोलॉजी वाले अप्रोच की वजह से हमारे विकास को बढ़ावा मिलेगा और साथ मार्केट लीडर के रूप में स्थापित होने में मदद करेगा" श्री गुप्ता ने कहा।
भारतीय बाज़ार में टर्नओवर की दृष्टि से ट्रेडिंग की बात करें तो वर्तमान में कंपनी का मार्केट शेयर 10 फीसदी है। श्री अभिनव गुप्ता, प्रेज़ीडेन्ट, कैपिटल मार्केट्स, शेयर इंडिया ने कहा, ''हालांकि विकल्प एवं डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग के लिए अच्छे अवसर उपलब्ध कराते हैं, वे लोग जो डेरिवेटिव्स को समझते हैं, उन्हें ट्रेडिंग के इन इन्स्ट्रुमेंट्स के साथ जुड़ना चाहिए। कोमोडिटीज़ की बात करें तो -इसमें रिस्क प्रोफाइल ट्रेडर्स से अलग होता है और किसी को भी ट्रेड शुरू करने के लिए RMS को ठीक से डिप्लॉय कर लेना चाहिए।'
उनका मानना है कि एल्गो ट्रेडिंग उन युवाओं एवं पेशेवरों के लिए आकर्षक एवं व्यवहारिक विकल्प बन जाएगा, जो ट्रेडिंग में रूचि रखते हैं। ''एल्गो सही मायनों में देश में ट्रेडिंग का लोकतांत्रीकरण कर सकता है। हम इसे देश के हर परिवार की पहुंच में लाना चाहते हैं। हमने ऐसे कई मामले देखे हैं जहां युवा पेशेवर एल्गो द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले टेªडिंग के अवसरों का लाभ उठाने के लिए फुल-टाईम नौकरियां छोड़ रहे हैं,'' अभिनव गुप्ता ने कहा।
कंपनी युवाओं को सशक्त बनाने के लिए एल्गो ट्रेडिंग का उपयोग भी कर रही है। इसमें 50 से अधिक दिव्यांग युवाओं को अपने साथ जोड़ा है जो कंपनी के नोएडा कार्यालय में एल्गो ट्रेडिंग पर काम कर रहे हैं और कम से कम रु 50,000 महीना कमा रहे हैं। कंपनी को उम्मीद है कि अपने इन प्रयासों से यह विकास की नई कहानी लिखेगी और देश में अपने आप को मजबूती से स्थापित करेगी।