बड़ी खबर: बंद हो सकती है BSNL! इस वजह से केंद्र सरकार उठा सकती है कदम
नई दिल्ली। टेलिकॉम सेक्टर में रिलायंस Jio की इंट्री के साथ ही बाकी टेलिकॉम कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। जियो के सस्ते और फ्री प्लान की वजह से टेलिकॉम कंपनियों के बीच प्राइस और डेटा वार छिड़ गया है। इस प्राइस वार के चक्कर में कई टेलिकॉम कंपनियों को अपना कारोबार बंद करना पड़े तो कईयों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा रहा है। अब जियो की वजह से सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL को भी बड़ा झटका लगा है। लगातार घाटे में चल रही बीएसएनएल बंद होने के कगार पर है। केंद्र सरकार ने भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) को बंद करने का सुझाव दिया है।
बंद होने जा रहा है BSNL
सरकारी टेलिकॉम कंपनी बीएसएनएल लगातार घाटे में चल रही है। केंद्र सरकार पहले इसमें विनिवेश की तैयारी कर रही थी, लेकिन अब सरकार ने इसे बंद करने पर विचार कर रही है। इस खबर के बाद अब बीएसएनएल के कर्मचारियों से लेकर बीएसएनएल के यूजर्स तक पर खतरा है। जहां कर्मचारियों के लिए नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है तो वहीं यूजर्स को अपने कनेक्शन को लेकर चिंता सता रही है।
घाटे में बीएसएनएल
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 के अंत तक बीएसएनएल का कुल घाटा 31287 करोड़ रुपए पहुंच चुका है। लगातार घाटे में चल रही कंपनी को लेकर दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन ने कंपनी से अधिकारियों के साथ बैठक की और कंपनी को बंद करने पर विचार करने के लिए कहा। बैठक में बीएसएनएल के चेयरमैन अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि कैसे कंपनी की वित्तीय हालत, घाटा और रिलायंस जियो आने की वजह से मुश्किल बढ़ी है। कंपनी की हालत देखने को बाद सरकार जहां पहले विनिवेश की तैयारी कर रही थी, वहीं अब कंपनी से कारोबार को बंद करने पर विचार करने को कहा है। सरकार ने बीएसएनएल के शीर्ष अधिकारियों को तमाम विकल्पों पर विचार करने को कहा है।
क्या है BSNL के पास विकल्प
सरकार ने बीएसएनएल के सामने तीन विकल्प रखें हैं, जिसमें पहला कंपनी में रणनीतिक विनिवेश, दूसरा कंपनी का कारोबार बंद किया जाए और तीसरा वित्तीय सहायता के साथ कंपनी को मजबूत किया जाए। वहीं BSNL ने सरकार के सामने एक और विकल्प रखा है, जिसके तहत कर्मचारियों की संख्या को कम करने के लिए उन्हें वीआरएस और रिटायरमेंट की उम्र को 60 से घटाकर 58 करने की बात कही है। अगर ऐसा होता है कि कंपनी सैलरी मत में 3,000 करोड़ रुपए की बचत कर सकेगी। हालांकि इससे 67 हजार कर्मचारियों पर गाज गिरेगी।