इन 4 बिल्डर्स से ना खरीदें घर, फंस चुके हैं हजारों लोग
नई दिल्ली। घर खरीदना किसी भी व्यक्ति की जिंदगी का सबसे बड़ा निवेश होता है। अधिकतर लोग अपना आशियाना बनाने के लिए अपनी जीवन भर की जमा पूंजी लगा देते हैं। ऐसे में आपको कुछ ऐसे बिल्डर्स से सचेत रहने की जरूरत है, जो आपको वादे तो बड़े करते हैं, लेकिन उन्हें निभाते नहीं हैं। घर खरीदने से पहले जिस तरह आप जगह, घर का साइज, रंग, बनावट आदि को ध्यान में रखते हैं, उसी तरह आपको यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि आखिर जिस कंपनी से आप घर खरीदने जा रहे हैं, वह कंपनी कितनी विश्वसनीय है। आज हम आपको बता रहे हैं 4 ऐसी ही कंपनियों के बारे में, जिसने घर खरीदने की ना ही सोचें, तो बेहतर होगा।
1- जेपी इंफ्राटेक
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने जेपी बिल्डर को दिवालिया घोषित कर दिया है। कंपनी पर 8 हजार 365 करोड़ रुपए का कर्ज है। अभी नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल को जेपी इंफ्राटेक कंपनी के पक्ष का इंतजार है, जिन्हें 270 दिनों का वक्त मिलेगा। अगर 270 दिनों में उन्होंने अपनी स्थिति सुधार ली तो ठीक है, वरना कंपनी की तमाम प्रॉपर्टी की नीलामी हो सकती है।
आपको बता दें कि जेपी इंफ्राटेक के पूरे दिल्ली एनसीआर में 32 हजार फ्लैट्स हैं। इसका असर उन लोगों पर बहुत अधिक पड़ेगा, जिन्होंने इन 32 हजार फ्लैट्स खरीदने के लिए पैसे लगाए थे। जेपी के दिवालिया घोषित होने से कंपनी के साथ-साथ घर खरीदने वाले भी दिक्कत में पड़ सकते हैं। ट्रिब्यूनल की इलाहाबाद बेंच ने आईडीबीआई बैंक की याचिका को स्वीकार किया और जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया घोषित कर दिया।
2- आम्रपाली
रियल एस्टेट की दुनिया में आम्रपाली काफी जाना-माना नाम है। जमीन की खरीद-बिक्री से अपना काम शुरू करने वाले आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी अनिल शर्मा काफी तेजी से तरक्की की सीढ़ी चढ़े। लेकिन 2015 से ही उनके बुरे दिन शुरू हो गए। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में किसान आंदोलन की वजह से आम्रपाली ग्रुप के कई प्रोजेक्ट पर ग्रहण सा लग गया। नतीजा ये हुआ कि वह खरीददारों को समय पर घर नहीं दे पाए।
अप्रैल 2017 में श्रीकान्त हलदर नाम के एक व्यक्ति ने उसके खिलाफ केस भी दर्ज करा दिया और आरोप लगाया कि लिजर पार्क प्रोजेक्ट के नाम पर उनसे ठगी की गई है। बहुत सारे लोग आम्रपाली ग्रुप में पैसा लगाकर पछता रहे हैं और अगर आप भी अपना आशियाना खरीदने की सोच रहे हैं तो इस कंपनी में पैसा न लगाएं। हाल ही में अनिल शर्मा के दामाद ऋत्विक शर्मा कानूनी शिकंजे फंस गए हैं। नोएडा के बिल्डरों पर की जा रही कड़ी कार्रवाई में अभी न जाने कितने बिल्डर इस शिकंजे में फंसेंगे।
3- सुपरटेक
सुपरटेक से घर खरीदना भी काफी नुकसानदायक हो सकता है। नोएडा के एमारल्ड कोर्ट में बने सुपरटेक के दो टावर्स को नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी और इलाहाबाद कोर्ट द्वारा पहले ही अवैध करार देते हुए गिराने के आदेश दे दिए हैं। हालांकि, अभी सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आना बाकी है। इन टावर्स को गिराने के आदेश के बाद से निवेशक मांग कर रहे हैं कि उनका पैसा उन्हें वापस दिया जाए। इसी के बाद से सुपरटेक के फ्लैट विवादों में हैं और न तो खरीददारों को अब सुपरटेक पर पहले जैसा भरोसा रह गया है, ना ही निवेशक उस पर भरोसा कर रहे हैं।
4- यूनिटेक
अपने शुरुआती दौर में यूनिटेक काफी लोकप्रिय कंपनी थी। अगर कंपनी की हालत पहले जैसी ही होती तो यूनिटेक से अपना आशियाना खरीदने में कोई बुराई नहीं थी, लेकिन अब स्थिति काफी बदल चुकी है। 2009 के दौरान रीयल एस्टेट में आई मंदी को देखते हुए कंपनी ने देश भर में करीब 14000 एकड़ जमीन खरीदी। इसके बाद उन्होंने शेयर मार्केट के जरिए पैसे जमा करने की योजना बनाई, लेकिन शेयर बाजार ऐसा गिरा, कि कंपनी की कमर ही टूट गई और कंपनी पर करीब 8000 करोड़ का कर्ज हो गया।
आज भी कंपनी की हालत बहुत खस्ता है। गुरुग्राम में एंथिया प्रोजेक्ट के तहत वह खरीददारों को घर डिलीवर नहीं कर पाए थे, जिसके बाद घर खरीददारों ने यूनिटेक के एमडी संजय चंद्रा के खिलाफ केस दर्ज करा दिया। हाल ही में निवेशकों ने भी उनके खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया है। मौजूदा समय में संजय चंद्रा जेल में हैं।