अमेजन इंडिया करेगी रिश्वत देने के आरोपों की जांच, व्यापार संघ ने की CBI जांच की मांग
नई दिल्ली, सितंबर 21: दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन रिटेलर अमेजन के वकीलों पर भारतीय अफसरों को घूस देने का आरोप लगा है। अमेजन की भारतीय शाखा ने रिश्वत के आरोपों का सामना करने के बाद अपनी कानूनी टीम के खिलाफ आंतरिक जांच शुरू कर दी है। कंपनी ने स्पष्ट किया कि वह रिश्वतखोरी के आरोपों को गंभीरता से ले रही है और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करेगी। वहीं दूसरी ओर भारतीय व्यापारी महासंघ ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।
अमेजन इंडिया यह आरोप लगाया गया है कि कंपनी द्वारा भुगतान की गई कानूनी फीस का इस्तेमाल देश भर में विभिन्न स्तरों पर अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए किया गया था। सरकार के शीर्ष सूत्रों ने कहा कि कंपनी द्वारा दायर वित्तीय विवरण से पता चलता है कि छह अमेजन कंपनियों द्वारा दो वित्तीय वर्षों 2018-19 और 2019-20 के बीच भुगतान किया गया कानूनी शुल्क, कुल राजस्व के 20.3 प्रतिशत के बराबर है। व्हिसलब्लोअर द्वारा लगाए गए आरोप और रिश्वतखोरी की आंतरिक जांच ने देश में अमेज़न की चिंता बढ़ा दी है।
अब अमेजन ने ने छह कंपनियों से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों की आंतरिक रूप से जांच करने की बात कही है, जिन्होंने कथित तौर पर 2018-19 और 2019-20 में 42,085 करोड़ रुपये के कुल राजस्व के खिलाफ कानूनी शुल्क के रूप में 8,456 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। अमेजन ने घूसखोरी से जुड़े अपने कुछ कानूनी प्रतिनिधियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। यह भी कहा गया है कि कंपनी के एक वरिष्ठ कार्पोरेट वकील राहुल सुंदरम को छुट्टी पर भेज दिया गया है।
छह अमेज़ॅन कंपनियों द्वारा दायर वित्तीय विवरण से पता चलता है कि कानूनी शुल्क की अधिकतम राशि राजस्व डेटा की तुलना में बेंगलुरु स्थित अमेज़ॅन सेलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा भुगतान किया गया था। 2018-19 और 2019-20 में, कंपनी के राजस्व क्रमशः 7,800 करोड़ रुपये और 11,000 करोड़ रुपये की तुलना में कानूनी शुल्क के रूप में 1,448 करोड़ रुपये और 1,969 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था।
इस
मामले
को
लेकर
व्यापारिक
संगठन
भारतीय
व्यापारी
महासंघ
(कैट)ने
सीबीआई
जांच
की
मांग
की
है।
मामले
को
लेकर
कैट
ने
केंद्रीय
वाणिज्य
मंत्री
पीयूष
गोयल
को
एक
खत
लिखा
है।
कैट
ने
मांग
की
है
इस
मामले
से
जुड़े
अधिकारियों
के
नाम
उजागर
किए
जाएं
और
उनके
खिलाफ
सख्त
से
सख्त
कार्रवाई
हो।
संगठन
ने
कहा
कि
मामले
की
निष्पक्ष
व
स्वतंत्र
जांच
होना
चाहिए।
संगठन
के
राष्ट्रीय
अध्यक्ष
बीसी
भरतिया
और
महासचिव
प्रवीण
खंडेलवाल
ने
कहा
कि
इस
बात
की
जांच
करने
की
जरूरत
है
कि
क्या
कथित
रिश्वत
का
अमेजन
के
खिलाफ
चल
रही
जांच
से
कोई
संबंध
है
या
अमेजन
द्वारा
भारतीय
कानूनों
व
नियमों
के
लगातार
उल्लंघन
का
इससे
कोई
संबंध
है।
उन्होंने
कहा
कि
भारतीय
ई-कॉमर्स
बाजार
और
खुदरा
व्यापार
को
अनुचित
प्रभाव,
ताकत
के
दुरुपयोग
और
सरकारी
अधिकारियों
के
साथ
मिलीभगत
से
बचाने
के
लिए
कदम
उठाए
जाना
चाहिए।
यह
भ्रष्टाचार
रोधी
अधिनियम
के
तहत
आता
है।
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1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में अमेज़न को फ्लिपकार्ट, टाटा और रिलायंस जियोमार्ट से कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी पहले ही भारत में व्यापार विस्तार के लिए $6 बिलियन से अधिक की प्रतिबद्धता जता चुकी है।हालांकि, ताजा विवाद से देश में उसके भविष्य के लक्ष्यों को नुकसान पहुंचने की संभावना है क्योंकि इसे सरकार की ओर से अधिक सख्ती का सामना करना पड़ सकता है। अमेजन के खिलाफ ताजा आरोप फरवरी में एक रॉयटर्स की रिपोर्ट के बाद सामने आया थे। जिसमें आंतरिक दस्तावेजों का हवाला दिया गया था, जिसमें संकेत दिया गया था कि अमेज़ॅन ने ई-कॉमर्स में भारतीय एफडीआई को दरकिनार कर दिया था।