7th Pay Commission Latest Update: इन कर्मचारियों की सैलरी में हो सकती है 27000 रुपए की बढ़ोतरी, ये रही वजह
नई दिल्ली। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर केंद्रीय कर्मचारियों का इंतजार लगातार लंबा होता जा रहा है। कर्मचारियों का सब्र खत्म होता जा रहा है। कर्मचारियों विरोध प्रदर्शन पर उतर आएं हैं। वहीं उत्तर प्रदेश के 16000 से ज्यादा डॉक्टरों की मांग को लेकर यूपी सरकार ने हामी भरी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इन डॉक्टरों के 'नॉन प्रैक्टिसिंग भत्ते' की मांग को लेकर हामी भरी है। सरकार की तरफ से सकारात्मक जवाब मिलने से डॉक्टरों की एसोसिएशन प्रान्तीय चिकित्सा सेवा संघ उत्साहित है। PMS ने सरकार को इस संबंध में डिमांड लेटर सौंपा है।
यूपी राज्य के डॉक्टरों की सैलरी में 27000 रुपए की बढ़ोतरी
प्रदेश के सरकारी डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस न करने के लिए उन्हें नॉन प्रैक्टिसिंग एलाउंस लेते हैं। सरकारी डॉक्टरों की मांग है कि उन्हें 35 प्रतिशत एनपीए दी जाए, जबकि राज्य सरकार उन्हें केवल 20 फीसद भत्ता देने की तैयारी कर रही है। पीएमएसए के अध्यक्ष डॉ. अशोक यादव के मुताबिक NPA देशभर के डॉक्टरों को मिल रहा है, लेकिन उत्तर प्रदेश में सरकार ने सातवां वेतन आयोग लागू होने के बाद 13000 हजार रुपए पर फ्रीज कर दिया। उनका कहना है कि यूपी में डॉक्टर देश के अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा लंबी ड्यूटी करते हैं। उन्हें 2015 के छठे वेतन आयोग के तहत 25 प्रतिशत एनपीए मिलता था, लेकिन जनवरी 2016 से इसे फ्रीज कर दिया गया, जिसे लेकर डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
केंद्र ने मानी सिफारिश
सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के आधार पर सरकारी डॉक्टरों को 20% एनपीए मिलना चाहिए। मतलब अगर डॉक्टर की सैलरी 2 लाख रुपए है तो उसे 40000 रुपए एनपीए मिलना चाहिए। इसे केंद्र सरकार ने मान लिया था और लागू कर दिया, लेकिन यूपी सरकार ने इसे लागू नहीं किया और इसे 13000 रुपए पर फ्रीज कर दिया।
सरकार ने दिया भरोसा
डॉक्टरों
के
एसोसिएशन
ने
मुख्य
सचिव
अनूप
चन्द्र
पाण्डेय
से
मुलाकात
कर
अपनी
मांगें
रखी
है
और
उन्हें
डिमांड
लेटर
भी
सौंपा
है।
मुख्य
सचिव
ने
उनकी
मांगों
को
लेकर
सकारात्मक
रूख
दिखाया
है
और
कहा
है
कि
उनकी
मांग
का
जल्द
समाधान
किया
जाएगा।