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गिर वन के शेरों ने समुद्र तटों पर रहना क्यों शुरू कर दिया है ? किसान मान रहे हैं सौभाग्य

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जूनागढ़ (गुजरात), 18 जुलाई: दुनियाभर में मशहूर गुजरात के गिर वन के एशियाई शेर आजकल आसपास के समुद्र तटों पर मंडराते दिख जाते हैं। आमतौर पर यह शेरों के स्वभाव के विपरीत है। क्योंकि, उन्हें पानी से कोई खास लगाव नहीं रहता। इसके पीछे जो असल कारण है, उसपर काफी रिसर्च किया गया है और नतीजे चौंकाने वाले आए हैं। इसी तरह हैरानी की बात ये है कि ये शेर अब संरक्षित क्षेत्र से निकलकर ग्रामीण इलाकों के नजदीक भी पहुंच रहे हैं। लेकिन, गांव वाले और किसान डरने से ज्यादा इसे अपना सौभाग्य मान रहे हैं। इस आर्टिकल में इन तमाम विषयों के बारे में बताया गया है।

गिर वन से बाहर समुद्र तटों पर दिख रहे हैं एशियाई शेर

गिर वन से बाहर समुद्र तटों पर दिख रहे हैं एशियाई शेर

शेर अमूमन घने जंगलों में ही रहना पसंद करते हैं या फिर घास वाली जमीन उनकी पसंदीदा जगह होती है। वैसे तो वह तैर भी सकते हैं, लेकिन पानी से उन्हें पीने तक ही लगाव देखा जाता है। लेकिन, गुजरात में एशियाई शेरों का एकमात्र बसेरा गिर वन के सिंह अब वहां से निकलकर काफी तादाद में समुद्र तटों पर दिखाई पड़ने लगे हैं। टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमरेली जिले के तटीय गांव भानकोदर के पूर्व सरपंच सदुलभाई बरैया ने बताया,'एक या दो नहीं, एकबार हमनें एक साथ 13 शेरों को समंदर के तट पर एकसाथ देखा था। शुरू में हमें यह बड़ा ही अजीब लगा था, लेकिन अब हम जान चुके हैं कि उन्होंने इसे अब स्थाई ठिकाना बना लिया है।'

तटीय इलाकों में शेरों की संख्या में 395% की बढ़ोतरी

तटीय इलाकों में शेरों की संख्या में 395% की बढ़ोतरी

वाइल्डलाइफ से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक शेरों के स्वभाव में इस परिवर्तन का कारण गिर अभ्यारण्य के अंदर और इसके बाहर दोनों जगह इनकी बढ़ती जनसंख्या है। 2020 में हुई शेरों की गिनती के मुताबिक गुजरात में तब 674 एशियाई शेर थे, जबकि पांच साल पहले 2015 में इनकी जनसंख्या सिर्फ 523 थी। अभी इनमें से 104 शेर सौराष्ट्र के तटीय इलाकों में रहते हैं, जिनमें भावनगर तट पर रहने वाले 17 शेर भी शामिल हैं, जिसे गिर शेर के लिए सैटेलाइट आवास के तौर पर विकसित किया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर होने देने की गुजारिश के साथ बताया, 'सिर्फ 10 साल में तटीय जनसंख्या 21 से बढ़कर 104 हो गई है, 395% बढ़ोतरी। 2022 में हुई विभाग की अंदरूनी गिनती में यह संख्या करीब 130 है।'

तटीय इलाकों में शेरों के बसेरे का ये भी है कारण

तटीय इलाकों में शेरों के बसेरे का ये भी है कारण

गिर संरक्षित क्षेत्र के भीतर और बाहर दोनों जगहों पर शेरों की पारिस्थितिकी पर शोध कर रहे डॉक्टर जलपान रुपापारा के मुताबिक, 'नील गाय, जंगली सुअरों और मवेशियों का भोजन के रूप में पर्याप्त उपलब्धता से भी शेरों की संख्या बढ़ी है। अब राज्य में शेरों की तादाद बढ़ रही है तो यह अब पूरे सौराष्ट्र भर में फैलते जा रहे हैं।' रुपापारा के मुताबिक उनके शोध से पता चलता है कि शेर अब तटीय जलवायु में खुद को ढाल चुके हैं। उनका कहना है कि तटीय इलाकों में सरु के पौधे बहुतायत में मिलते हैं। उन्होंने बताया, 'ये पौधे तापमान को 3 से 4 डिग्री घटा देते हैं, जिससे यह शेरों के लिए अनुकूल स्थिति तैयार कर देते हैं।'

करीब 50% शेर संरक्षित क्षेत्र से बाहर हैं- एक्सपर्ट

करीब 50% शेर संरक्षित क्षेत्र से बाहर हैं- एक्सपर्ट

शेरों के एक विशेषज्ञ रवि चेल्लम कहा कहना है कि गिर में शेरों की संख्या बहुत ज्यादा हो चुकी है, जिसके चलते अभी इसकी करीब 50% आबादी संरक्षित क्षेत्र के बाहर रहती है। उनका कहना है, 'निश्चित तौर पर गिर संरक्षित क्षेत्र तटीय इलाकों से इनके लिए बेहतर जगह है, लेकिन शेरों के पास विकल्प नहीं है। सरकार ने समुद्र के तटीय इलाकों में पौधे लगाए हैं और इससे शेरों के लिए आरामदायक जगह मिल गई है,खासकर दिन के समय में।'

किसान मान रहे हैं सौभाग्य

किसान मान रहे हैं सौभाग्य

आप हैरान रह जाएंगे कि शेरों की इस तरह से आसपास मौजूदगी से भी स्थानीय गांव वाले डरने की जगह इसे अपना सौभाग्य समझ रहे हैं। अमरेली के दाता रादी गांव के पूर्व सरपंच मुलु लखनोत्रा ने कहा, 'पांच साल पहले जंगली सुअरों ने नाक में दम कर रखा था। वे खड़ी फसलों को चौपट कर देते थे। लेकिन, अब इलाके में करीब 10 शेरों की मौजूदगी से जंगली सुअरों और नील गायों की आबादी घट गई है। शेर हमारे खेतों के नए पहरेदार बन गए हैं।' उन्होंने यहां तक कहा कि हालांकि शेर हमारे कुछ मवेशियों को भी मार देते हैं , 'लेकिन, यह उसकी कीमत है, जो शेर हमारी खेतों की रक्षा करते हैं।'

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आंकड़ों से कई ज्यादा जनसंख्या होने की संभावना-एक्सपर्ट

आंकड़ों से कई ज्यादा जनसंख्या होने की संभावना-एक्सपर्ट

वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के एक एक्सपर्ट ने तटीय इलाकों में शेरों की मौजूदगी को उनके बीच क्षेत्र को लेकर होने वाली आपसी लड़ाई को भी वजह मानते हैं। उनका कहना है कि जब शेर चार साल के होते हैं, तो उन्हें समूह से बाहर कर दिया जाता है। फिर वे युवा शेरों का क्षेत्र कायम करते हैं और बूढ़ों को अपने इलाके से बाहर कर देते हैं। इस वजह से कई बार वह नए इलाका कायम करने को मजबूर हो जाते हैं। इसी तरह एक एक्सपर्ट को लगता है कि 2020 की गिनती में शेरों की जो जनसंख्या 674 बताई गई है, वह भी कम है और इनकी संख्या असल में 1,000 से ज्यादा हो सकती है। उनके मुताबिक गुजरात शेरों की संख्या के मामले में ज्यादा सुरक्षित दांव लगाना चाहता है।

English summary
World-famous Asiatic lions of the Gir forest of Gujarat are now seen hovering on the surrounding beaches. The reason behind this is that the number of lions has increased a lot
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