क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

सिर्फ़ सोचने से चलेगा कीबोर्ड, फ़ेसबुक कर रहा है प्रयोग

फ़ेसबुक एक ऐसी तकनीक पर काम कर रहा है जिससे लोग 100 शब्द प्रति मिनट की दर से टाइप कर पाएंगे.

By डेव ली - बीबीसी के तकनीक संवाददाता
Google Oneindia News

फ़ेसबुक ने कहा है कि वह एक ऐसी तकनीक पर काम कर रहा है जिससे आप अपने कंप्यूटर को अपने दिमाग से कंट्रोल कर पाएंगे या दिमाग़ से ही टाइप कर पाएंगे.

इस सॉफ्टवेयर 'साइलेंट स्पीच' की मदद से लोग 100 शब्द प्रति मिनट की स्पीड से टाइप कर पाएंगे.

फेसबुक पर दोबारा पोस्ट नहीं कर पाएँगे अश्लील फोटो

फ़ेसबुक से कैसे बनी वो गुच्ची की पोस्टर गर्ल

इस परियोजना के शुरुआती दौर में ऐसी तकनीक की जरूरत होगी जिसके जरिए बिना सर्जरी के दिमाग की तरंगों को पकड़ा जा सके.

विचारों की डिकोडिंग

फ़ेसबुक की रेगिना डगन ने कहा, ''हम आपके विचारों को डिकोड करने की बात नहीं कर रहे हैं. आपके पास बहुत से विचार होंगे. आप उनमें से कुछ को साझा करने के लिए चुन सकते हैं.''

वो कहती हैं, ''हम उन शब्दों के मतलब को सामने लाने की बात कर रहे हैं. साइलेंट स्पीच के इंटरफ़ेस में हर रफ्तार और उतार-चढ़ाव की आवाज को समझने की क्षमता होगी."

फ़ेसबुक की विशेष टीमः बिल्डिंग 8

रेगिना डगन फ़ेसबुक की एक विशेष टीम 'बिल्डिंग 8' का नेतृत्व कर रही हैं. ये टीम फ़ेसबुक के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर क्षेत्रों में रिसर्च करती है. इस सोशल मीडिया कंपनी ने इस टीम में 60 वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों को शामिल किया है.

फेसबुक
Reuters
फेसबुक

फ़ेसबुक के संस्थापक मार्क ज़करबर्ग ने अपने पेज पर लिखा है, ''हमारा दिमाग़ हर सेकेंड इतना अधिक डेटा प्रोसेस करता है जितना चार एचडी फ़िल्मों में होता है.''

उन्होंने लिखा है, ''दुनिया से जानकारी बाहर निकालने का सबसे बेहतर तरीका बातचीत ही है. लेकिन समस्या यह है कि दिमाग़ से केवल उतना ही डेटा भेजा जा सकता है जितना 1980 के मॉडम से भेजा जाता था.''

फेसबुक की 'एक्सप्रेस वाई-फाई' सेवा लाइव

फेसबुक के वीडियो टीवी स्क्रीन पर ऐसे देखें

ज़करबर्ग ने लिखा है, ''हम एक ऐसी तकनीक बनाने पर काम कर रहे हैं जिसके ज़रिए आप अपने दिमाग से ही टाइप कर सकते हैं. इससे आप अपने फोन पर टाइप करने की स्पीड से करीब पांच गुना तेज़ टाइप कर पाएंगे.''

मार्क ज़ुकरबर्ग
Getty Images
मार्क ज़ुकरबर्ग

ज़करबर्ग लिखते हैं कि फ़ेसबुक इसे 'वियरेबल टेक्नोलॉजी' (पहनी जा सकने वाली डिवाइस) के रूप में विकसित करना चाहती है, जिसका बड़े स्तर पर निर्माण हो सके.

वे कहते हैं कि दिमाग से दी गई मामूली सी हां और ना जैसी कमांड भी ऑगमेंटेड रियलिटी (असली दुनिया की जानकारी को कंप्यूटर की बनाई तस्वीरों के साथ दिखाने की तकनीक) जैसी चीजों को ज्यादा प्राकृतिक बना देगी.

कांफ्रेंस में लोगों को त्वचा के जरिए 'सुनने' पर काम करना शामिल है. यह ब्रेल लिपि जैसा होगा, इसमें सूचनाओं को भेजने के लिए त्वचा के प्रेशर प्वाइंट का इस्तेमाल होगा.

भविष्य की तकनीक

डगन कहती हैं, ''एक दिन, यह बहुत अधिक दूर नहीं है, जब मेरे लिए यह संभव होगा कि मैं जब कुछ मैंडेरिन में सोचूं और आप तत्काल उसे स्पेनिश में समझ सकें.''

इन सब घोषणाओं के साथ फ़ेसबुक भविष्य की तकनीक के बारे में सोच रहा है, जो उन चीजों से काफी आगे है, जो आज संभव है.

फेसबुक की तकनीक.
Reuters
फेसबुक की तकनीक.

डगन मज़ाक करते हुए कहती हैं कि आज की तकनीक के जरिए जटिल दिमाग पर नियंत्रण करने के लिए दिमाग में एक कंप्यूटर चिप लगाने की ज़रूरत होगी.

हालांकि, दिमाग पर नियंत्रण की बाह्य तकनीक तो बाज़ार में उपलब्ध है, लेकिन इनसे तुलना नहीं की जा सकती है.

इलेक्ट्रोइनसिफैलोग्रा या ईईजी ऐसी ही एक तकनीक है.

इसके दिमाग़ की इलेक्ट्रिक तरंगों को देखा जा सकता है.

फ़ेसबुक ने एक बयान में कहा है, ''हमें कुछ ऐसे नए सेंसरों की ज़रूरत होगी, जो दिमाग़ की गतिविधियों का हर एक सेकेंड में सौ बार आकलन कर सकें.''

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Just thinkik and keyboard will work facebook experiment
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X