बिजनौर में गाय ने दिया 2 मुँह 4 आँख वाले बछड़े को जन्म, लोगों ने माना भगवान् विष्णु का अवतार
उत्तर प्रदेश के बिजनौर में एक अजब-गजब मामला सामने आया है। एक गाय ने विचित्र बछड़े को जन्म दिया है। इस बछड़े के 2 मुँह और 4 आँखें हैं। इस चमत्कार की खबर गांव में फैलने के बाद यहां बछड़े के दर्शन करने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी। लोगो का कहना है की ये और कोई नहीं बल्कि भगवन विष्णु के अवतार हैं। गाय का बछड़ा फ़िलहाल स्वस्थ है और दोनों मुँह से दूध भी पी रहा है।
बछड़ा दोनों मुंह से दूध पी रहा है
बिजनौर में हीमपुर दीपा क्षेत्र के गांव रौनिया निवासी सुभाष यादव पुत्र संतराम सिंह के घर एक अविश्सनीय घटना हुई है। एक गाय ने एक बछड़े को जन्म दिया परन्तु यह बछड़ा तब ग्रामीणों में चर्चा का विषय बन गया जब देखा की बछड़े के 2 मुँह और 4 आँखें हैं। इस अद्भुत चमत्कार को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई। गाय का बछड़ा आकर्षण का केंद्र बना रहा। किसान सुभाष यादव का कहना है कि ऐसा हमने पहले कभी नहीं देखा। आज सुबह गाय ने दो मुंह के बछड़े को जन्म दिया। बछड़ा दोनों मुंह से दूध पी रहा है जिसे देखने के लिए आसपास के क्षेत्र से सैकड़ों लोग वहां पहुंच रहे हैं और बछड़े को देखकर इसे कुदरत का करिश्मा मान रहे हैं। लोगों ने बछड़े को देखते ही हाथ जोड़कर पूजा अर्चना भी शुरू कर दी और चढ़ावा भी चढ़ाना शुरू कर दिया।
पहले भी हो चुके हैं ऐसे चमत्कार
आपको
बता
दें
की
यह
पहली
बार
नहीं
है
की
ऐसा
कुछ
चमत्कार
देखने
को
मिला
है।
ऐसी
घटनाएं
पहले
भी
कई
स्थानों
पर
देखने
को
मिल
चुकी
हैं।
चंदौली
के
बरहुली
गांव
में
अरविंद
यादव
के
घर
एक
बेहद
खास
बछड़े
ने
जन्म
लिया
था।
इस
बछड़े
के
भी
दो
मुंह,
दो
कान
और
चार
आंखे
थी।
कटिहार
के
फसिया
कुशवाहा
टोला
में
गाय
ने
दो
मुंह,
चार
आंख
वाले
बच्चे
को
जन्म
दिया
था।
छत्तीसगढ़
के
राजनांदगांव
जिले
के
गंडई
गांव
में
भी
एक
अजीबों-गरीब
घटना
देखने
को
मिली
थी
जब
एक
जर्सी
गाय
ने
तीन
आंखों
वाले
बछड़े
को
जन्म
दिया
था।
इस
बछड़े
को
लोग
भगवान्
शिव
का
अवतार
मान
रहे
थे।
यही
नहीं,
श्रद्धालुओं
स्वरा
इस
बछड़े
की
पूजा
पाठ
भी
बेहद
आस्था
के
साथ
की
गई
थी।
तीन
आंखों
के
साथ
ही
बछड़े
की
नाक
में
दो
की
जगह
चार
छेद
थे
और
इसकी
पूंछ
जटाओं
के
समान
थी।
इनमे
कुछ
बछड़े
थोड़े
समय
तक
ही
जीवित
रहे
तो
कुछ
की
जन्म
के
बाद
ही
मृत्यु
हो
गई
थी।
पशु
चिकित्सक
की
माने
तो
गर्भ
में
भ्रूण
के
विकसित
होने
के
दौरान
कोशिकाएं
कई
भागों
में
बटती
हैं
और
इस
प्रक्रिया
के
दौरान
कभी-कभी
कोशिकाओं
का
अतिरिक्त
विकास
हो
जाता
है,
जो
इस
परिस्तिथि
का
कारण
बनती
है।
कुदरत का करिश्मा या वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिक
दृश्टिकोण
से
देखें
तो
जन्म
के
दौरान
ऐसी
स्तिथि
होने
को
पॉलीसेफली
(Polycephaly)
कहते
हैं।
पॉलीसेफली
एक
से
अधिक
सिर
होने
की
स्थिति
है।
यह
शब्द
ग्रीक
शब्द
'पाली'
से
लिया
गया
है
जिसका
अर्थ
है
"कई"
और
'केफली'
जिसका
अर्थ
है
"सिर"।
एक
पॉलीसेफेलिक
जीव
को
एक
अलौकिक
शरीर
के
हिस्से
के
साथ,
या
एक
साझा
शरीर
के
साथ
दो
या
दो
से
अधिक
प्राणियों
के
रूप
में
माना
जा
सकता
है।
दो
सिर
वाले
जानवर
और
तीन
सिर
वाले
जानवर
वास्तविक
दुनिया
में
देखे
जाने
वाले
एकमात्र
प्रकार
के
बहु-सिर
वाले
जीव
हैं,
और
एक
ही
प्रक्रिया
से
बनते
हैं
पॉलीसेफेलिक
जानवर
अक्सर
पाए
जाने
पर
स्थानीय
समाचारों
की
सुर्खियां
बनते
हैं।
सबसे
अधिक
देखे
जाने
वाले
दो
सिर
वाले
जानवर
कछुए
और
सांप
हैं।
दो-सिर
वाली
अन्य
प्रजातियों
में
मवेशी,
भेड़,
सूअर,
बिल्लियाँ,
कुत्ते
और
मछली
शामिल
हैं।
मनुष्यों
में,
अन्य
जानवरों
की
तरह,
आंशिक
रूप
से
जुड़ने
के
परिणामस्वरूप
एक
ही
धड़
द्वारा
समर्थित
दो
सिर
बन
सकते
हैं।
ऐसा
दो
तरीकों
से
हो
सकता
है
'डाइसेफालस
पैरापैगस',
जहां
दो
सिर
एक
साथ
होते
हैं,
और
'क्रैनियोपैगस
पैरासिटिकस',
जहां
सिर
सीधे
जुड़ते
हैं
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