बिहार में सरकार बनते ही CBI के मुद्दे पर राजद-जदयू में फूट! नीतीश को नहीं मिल पा रहा जवाब
पटना, 30 अगस्त: बिहार में जेडीयू-आरजेडी की अगुवाई वाली सरकार बने अभी कुछ ही हफ्ते हुए हैं, लेकिन दोनों दलों के बीच एक बड़े मसले पर गंभीर मतभेद उभर आए हैं। आपको याद होगा कि जिस दिन नीतीश कुमार अपनी नई पारी में विधानसभा में बहुमत साबित कर रहे थे, सीबीआई आरजेडी के कई नेताओं के ठिकानों पर छापे डाल रही थी। लिहाजा आरजेडी चाहती है कि अब सरकार उसकी है तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी बिहार में सीबीआई की एंट्री रोक देनी चाहिए, जैसे- गैर-भाजपा शासित राज्यों ने कर रखा है। लेकिन, फिलहाल जेडीयू इस मसले पर अपनी सहयोगी के आगे घुटने टेकने के लिए तैयार नहीं दिख रही है। लेकिन, सीएम नीतीश की मजबूरी ऐसी कि वह खुलकर अपनी बात रख भी नहीं पा रहे हैं।
बिहार में सरकार बनते ही सीबीआई के मुद्दे पर राजद-जदयू में फूट
बिहार में राजद-जदयू की अगुवाई वाले 7 दलों की महागठबंधन सरकार अभी-अभी सत्ता पर काबिज हुई है। लेकिन, सरकार बनते ही महागठबंधन के दोनों प्रमुख दलों के बीच केंद्रीय जांच ब्यूरो को लेकर ठन गई है। लालू यादव की पार्टी आरजेडी चाहती है कि बाकी गैर-भाजपा शासित राज्यों की तरह ही बिहार में सीबीआई की एंट्री पर रोक लगा दी जाए। लेकिन, हाल ही में भाजपा का कमल फेंक कर लालू की लालटेन थामने वाली जेडीयू इसके लिए तुरंत हृदय परिवर्तन करने को तैयार नहीं दिख रही है। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने साफ तौर पर कह दिया है कि नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार को भी सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ले लेनी चाहिए। लेकिन, जेडीयू इस मांग को मानने के लिए फिलहाल तैयार नहीं दिख रही है।
सीबीआई को मिली सामान्य सहमति क्या है ?
सीबीआई का गठन दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन अधिनियम, 1946 के तहत हुआ है। इसकी धारा 6 के मुताबिक इस जांच एजेंसी को किसी राज्य के क्षेत्राधिकार वाले इलाके में जांच के लिए संबंधित प्रदेश सरकार की सामान्य सहमति की आवश्यकता होती है। क्योंकि, अभी केंद्र में बीजेपी की सरकार है, इसी वजह से गैर-भाजपा शासित 9 राज्यों ने या तो सीबीआई को दी गई यह सामान्य सहमति वापस ले ली है या फिर इसकी अनुमति नहीं दे रही है। ये राज्य हैं- छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र (यहां अब भाजपा और शिवसेना शिंदे गुट की सरकार बन चुकी है और यह सहमति वापस दिए जाने की संभावना जताई जा रही है), केरल, मिजोरम, पश्चिम बंगाल, पंजाब, झारखंड और मेघालय।
आरजेडी ने की सीबीआई को मिली सामान्य सहमति वापस लेने की मांग
बिहार में बदले सियासी हालात और नीतीश सरकार पर आरजेडी के बढ़े हुए दबदबे के बीच राजद नेता शिवानंद तिवारी ने सीबीआई को जांच के लिए दी गई सामान्य सहमति वापस लेने की मांग करते हुए कहा है, 'जिस तरह से नरेंद्र मोदी सरकार ने सीबीआई का गलत इस्तेमाल किया है या कर रही है, विभिन्न राज्य सरकारों को केंद्रीय जांच एजेंसी से अपनी सामान्य सहमति वापस लेने के लिए इस तरह के कठोर फैसले के लिए मजबूर होना पड़ा।' तिवारी के मुताबिक, 'यह मोदी सरकार की ओर से सीबीआई के दुरुपयोग के खिलाफ हमारा नैतिक प्रतिरोध होगा।'
जेडीयू नेता राजद की मांग से सहमत नहीं
जेडीयू की ओर से शिवानंद तिवारी का जवाब देने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री और पार्टी के संसदीय बोर्ड के चेयरमैन उपेंद्र कुशवाहा को लगाया गया है। कुशवाहा ने साफ कहा है कि इस तरह का फैसला किसी भी राज्य सरकार को नहीं लेना चाहिए। कुशवाहा ने कहा, 'मेरी राय में किसी भी राज्य को सीबीआई की एंट्री नहीं रोकनी चाहिए। अगर भारत सरकार सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है, तो दिक्कत केंद्र सरकार के साथ है, जांच एजेंसी के साथ नहीं।' उन्होंने आगे कहा, 'आज आवश्यकता इस बात की है कि केंद्र में जो सरकार है, वह एजेंसियों को आजादी से काम करने दे; और एजेंसियों को प्रतिबंधित करना उचित नहीं होगा।'
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नीतीश को नहीं मिल पा रहा जवाब
दरअसल, हाल ही में जिस तरह से आरजेडी के पांच राजनेताओं के ठिकानों पर जिस तरह से सीबीआई ने छापेमारी की है, तेजस्वी की पार्टी में खलबली मची हुई है। इसके बाद से पार्टी के अंदर खाने नीतीश सरकार पर सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस लेने का दबाव बनाए जाने की अकटलें हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार को इस मसले पर पटना में पार्टी नेताओं की एक बैठक भी हो चुकी है। जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से तिवारी के बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने बिना सीधा जवाब दिए कहा, 'पता नहीं लोग क्या बोलते हैं।'