नीतीश की विधान परिषद सदस्यता रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
यह आरोप लगाया गया है कि उन पर क्रिमिनल केस पेंडिंग है जिसकी वजह से वह किसी संवैधानिक पोस्ट पर नहीं रह सकते हैं।
पटना। बिहार में चल रही महागठबंधन की सरकार टूटने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। सुप्रीम कोर्ट में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विधान परिषद की सदस्यता रद्द कराने के लिए एक याचिका दायर की गई है। इसमें यह आरोप लगाया गया है कि उन पर क्रिमिनल केस पेंडिंग है जिसकी वजह से वह किसी संवैधानिक पोस्ट पर नहीं रह सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए याचिका मंजूर कर ली है।
नीतीश के खिलाफ आपराधिक मामले की दलील
आपको बताते चलें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर करते हुए एडवोकेट एमएल शर्मा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विधान परिषद की सदस्यता रद्द करने की मांग की है। याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री के खिलाफ अपराधिक मामले लंबित है तथा वह किसी भी संवैधानिक पोस्ट पर नहीं रह सकते हैं।
लालू ने किया था मामला उजागर
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अपराधिक मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब उन्होंने महागठबंधन को तोड़ एनडीए गठबंधन के साथ सरकार बनाने की तैयारी की थी और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने एक संवाददाता सम्मेलन करते हुए उजागर किया था। यह खुलासा किया गया था कि नीतीश कुमार के खिलाफ हत्या का मामला लंबित है और यह हत्या चुनाव के दौरान 1991 मे की गई थी जिसमें एक वोटर सीताराम सिंह की गोली मारकर हत्या हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट में होगी याचिका पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज करते हुए याचिकाकर्ता ने मांग की है कि नीतीश कुमार पर दर्ज हत्या का मुकदमे में सीबीआई को इस मामले में एफआईआर करने और जांच करने का आदेश दिया जाए। वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि इलेक्शन कमीशन ने नीतीश कुमार के खिलाफ केस की जानकारी होते हुए भी उनकी सदस्यता खारिज नहीं की थी जिसके कारण अब तक वह संवैधानिक पदों पर बने हुए हैं।