मिसाल: दूल्हे ने की बिना दहेज शादी, उल्टा लड़की के पिता को देकर आया 20 हजार
पटना। बिहार के बेतिया सिताब दियारा में सोमवार को एक बेटी की विदाई ने परिवार को ही नहीं बल्कि पूरे परिवार को ही भावुक कर दिया। इस अनोखी शादी में लड़का पक्ष ने लड़की पक्ष वालों से दहेज लेना तो दूर उल्टा लड़की के पिता के इलाज के लिए 20 हजार रुपये दे कर गए। यहां बता दें कि बीते 17 जून को शादी की तैयारियों के दौरान घर में सिलेंडर फट जाने के घर के तीन सदस्य बुरी तरह झुलस गए थे जिनका अभी अस्पताल में इलाज चल रहा है और उनकी हालत अभी भी बेहद गंभीर है। हालांकि दुखों की इस घड़ी के बीच लड़की का गांव उसका सहारा बना और गांव के हेडमास्टर ने ही दुल्हन की विदाई की। गांव के सदस्यों ने अपने गांव की बेटी को माता-पिता की तरह विदा किया और दूल्हे व उनके पिता को कोटि-कोटि धन्यवाद दिया।
बिहार के सिताब दियारा में बसंत चौहान की बेटी भागमनी का विवाह 25 तारीख को पास के गांव के जयकुमार से तय हुआ था, लेकिन बदकिस्मती से इसी 17 जून को शादी की तैयारी के दौरान गैस सिलेंडर फटने से 18 घर जल गए थे। आग इतनी भीषण थी कि घरों से सामना तक नहीं निकाला जा सका। गांव में जिन लोगों के घर जले उन लोगों में से अधिकतर आनाज के मोहताज हो गए। आग की चपेट में आने से भागमनी के पिता बसंत चौहान, उसकी मां सावित्री देवी व भाई गंभीर रूप से जल गए जिनका इलाज यूपी के कुशीनगर जिला अस्पताल में चल रहा है और तीनो जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।
भागमनी की शादी 25 जून को तय थी। आग में शादी का पूरा सामान और डेढ़ लाख रुपए नकद जल गए। साथ में चौहान दंपती और उनके बच्चे भी बुरी तरह झुलसे। सवाल उठा कि इस घटना में बची भागमनी शादी कैसे होगी? कौन करेगा कन्यादान? ऐसे तमाम सवालों के जवाब ग्रामीणों के जेहन में घूमने लगे। फिर सबने मिलकर तय किया कि भागमनी गांव की बेटी है। विवाह में कोई अड़चन नहीं आएगी। उधर, वर पक्ष ने भी चौहान परिवार का दुख समझा और तय किया कि अब शादी सादगी से होगी।
सोमवार की शाम तय समय पर दूल्हे के साथ 10-12 लोगों की संख्या में बारात आई। इनका ग्रामीणों ने बेहतरीन तरीके से स्वागत किया और देर रात शादी हुई। अभिभावक की भूमिका में आए सरकारी स्कूल के हेडमास्टर संजय सिंह ने कन्यादान का फर्ज निभाया और पूरे गांव ने वर-वधू को आशीर्वाद दिया। बारात के भोजन व अन्य प्रबंधों की जवाबदेही संभाल रहे प्रमुख समाजसेवी ध्रुव नारायण सिंह कहते हैं कि घर-घर से लोगों ने सामान जुटाए हैं। सबके बीच इस शादी में कुछ न कुछ सहयोग करने की होड़ है। उनका कहना है कि वे इसकी जिम्मदारी लेते हैं कि कोई कमी नहीं होगी। यह शादी अपने आप में एक मिसाल बन चुकी है।
भागमनी के दूल्हा जयकुमार का कहना है कि बड़ी खुशी के साथ बेटी की शादी तय करने वाले मां-बाप आज भारी विपत्ति में फंसे हैं। बेटी की शादी होने से उनकी तकलीफ जरूर कम हो जाएंगी। रिश्ता बना है तो हर मुसीबत में पत्नी का साथ देना हामारा कर्तव्य है। भागमनी के बड़े चाचा मोतीचंद चौहान की आंखें दूल्हा जयकुमार, उसके पिता और बारात में आए अन्य परिजनों के बड़प्पन की चर्चा करते हुए छलक आती हैं। वे कहते हैं कि अइसन हित त आज के जमाना में खोजलो से ना मिलिहें। लड़के वालों ने न सिर्फ तय तिथि पर शादी की बल्कि इलाज के लिए खुद से 20 हजार रुपए भी दिए हैं। भगवान इनका भला करें।
भागमनी का कन्यादान करने वाले सरकारी स्कूल के हेडमास्टर संजय सिंह कहते हैं कि उनके लिए यह परम सौभाग्य का अवसर था। उन्होंने ऐसी कन्या का कन्यादान किया, जिसपर पूरे गांव का स्नेह न्योछावर है और लोग उसे गांव की बेटी मानते हैं।
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