बिहार: PM मोदी के नाम पर अपने उत्पाद को बनाया ब्रांड, पाकिस्तान में खूब है डिमांड, चर्चाओं में गुलफराज़
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्रेज़ बिहार के युवाओं में काफी देखने को मिल रहा है। पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ से प्रेरित होकर युवा अपना व्यापार कर रोज़गार को बढ़ावा दे रहे हैं। बिहार में तो बेटियों ने पीएम...
कटिहार, 19 सितंबर 2022। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्रेज़ बिहार के युवाओं में काफी देखने को मिल रहा है। पीएम मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' से प्रेरित होकर युवा अपना व्यापार कर रोज़गार को बढ़ावा दे रहे हैं। बिहार में तो बेटियों ने पीएम मोदी से प्रेरित होकर टी स्टॉल खोला और अब वह आत्मनिर्भर बन कर अच्छी कमाई कर रही हैं। आज हम आपको पीएम मोदी के एक ऐसे फैन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने पीएम मोदी के नाम पर अपने उत्पाद को ब्रांड बना दिया और अब हिंदुस्तान से लेकर पाकिस्तान तक उसके उत्पाद की डिमांड है। 'मोदी माखाना' को लेकर कटिहार के गुलफराज इन दिनों काफी सुर्खियों में हैं।
पाकिस्तान में भी ‘मोदी माखाना’ की डिमांड
कटिहार जिले के छोटे से गांव के निवासी गुलफराज के 'मोदी माखाना' सप्लाई देश से लेकर विदेशों तक में हो रहा है। पीएम को अपना आइडल मानते हैं। वे पीएम के आत्मनिर्भर भारत के मंत्र से बेहद प्रभावित हुए और खुद का एक स्टार्टअप कर दिया। इतना ही नहीं, अपने प्रोडक्ट का नाम भी पीएम के नाम पर दे दिया। गुल्फराज का नाम से मार्केट में उतारा गया मखाना आज देश-विदेश में सप्लाई हो रहा है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल समेत कई अन्य देशों में माखाना सप्लाई किया जा रहा है। कोढ़ा विधान सभा क्षेत्र (चरखी गांव, कटिहार) के मस्जिट टोला निवासी गुलफराज पीएम मोदी को अपना आदर्श मानते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से प्रेरित होकर अपने गांव में ही माखाना प्रोसेसिंग यूनिट लगाया।
पीएम मोदी तक पहुंचाना चाहते हैं अपना उत्पाद
गुलफराज ने क़रीब 3 साल पहले चरखी गांव में आटोमेटिक मखाना प्रोसेसिंग की यूनिट लगाया था। पीएम मोदी को अपना आदर्श मानते हुए उन्होंने अपने प्रोडक्ट का नाम 'मोदी माखाना' रखा। गुलफराज का कहना है कि वह अपने प्रोसेसिंग और पैकेजिंग ब्रांड 'मोदी मखाना' को पीएम मोदी तक पहुंचाना चाहते हैं। उनका कहना है कि पीएम मोदी की ज़ुबान से अपने ब्रांड के लिए दो लफ़्ज़ सुनने से मेरी मेहनत औऱ ज़िंदगी दोनों कामयाब हो जाएगी। गुलफराज ने बताया कि उन्होंने अपने यूनिट से कई लोगों को रोज़गार भी दे रखा है।
क्वालिटि टेस्टिंग के बाद मिलता है टैग
केंद्र सरकारी की तरफ़ से हाल ही में मिथिला के मखाना को जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग मिला है। ग़ौरतलब है कि पूरे देश में सबसे ज़्यादा बिहार में मखाना का उत्पादन किया जाता है। आपको बता दें कि मखाना को जीआई टैग मिलने से पहले गुणवत्ता और विशिष्टता को प्रमाणित किया गया। जीआई उत्पादों के पंजीकरण की प्रक्रिया निर्धारित है। इसमें आवेदन दाखिल करना, प्रारंभिक जांच और परीक्षा, कारण बताओ नोटिस, भौगोलिक संकेत पत्रिका में प्रकाशन, पंजीकरण का विरोध और पंजीकरण शामिल है। ग़ौरतलब है कि एक बार जब किसी उत्पाद को भौगोलिक संकेत टैग मिल जाता है, तो कोई भी इंसान या कंपनी उस नाम के तहत एक समान चीज़ नहीं बेच सकती है।
किसानों की आय बढ़ने की उम्मीद
मिथिला मखाना को जीआई टैग मिलने के बाद किसानों की आय बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। मिथिलांचल में मखाना उत्पादकों को अच्छे पैदावार की अच्छी रकम मिले इसलिए सरकार ने मिथिला मखाना को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग दिया है। मिथिला मखाना को जीआई टैग मिलने के बाद मिथिलांचल के लोगों का लंबा इंतजार खत्म हो गया है। जीआई टैग सर्टिफिकेट मिलने के कई फायदे भी हैं, जैसे कि वस्तु की कानूनी सुरक्षा, दूसरों द्वारा अनधिकृत उपयोग के खिलाफ रोकथाम और निर्यात को बढ़ावा देना शामिल है।
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