बिहार न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

राजद की कॉस्मेटिक सर्जरी है जगदानंद की ताजपोशी, 22 साल के इतिहास में पहली बार कोई सवर्ण बना अध्यक्ष

राजद की कॉस्मेटिक सर्जरी है जगदानंद की ताजपोशी, पहली बार कोई सवर्ण अध्यक्ष

Google Oneindia News

नई दिल्ली। लालू यादव का राष्ट्रीय जनता दल ने अब अपना हुलिया बदल लिया है। लालू के जेल में बंद होने से राजद कई तरह की परेशानियों में घिर गया है। घरेलू झगड़े और चुनावी हार से 22 साल का नौजवान राजद असमय कमजोर होने लगा था। उसके पर झुर्रियां पड़ने लगी थीं। चुस्त-तंदुस्त दिखने के लिए कॉस्मोटिक सर्जरी जरूरी थी। प्रदेश अध्यक्ष पद पर अनुभवी नेता जगदानंद सिंह को बैठा कर राजद का कायाकल्प किया गया है। पार्टी में पहली बार किसी सवर्ण को यह पद दिया गया है। रामचंद्र पूर्वे की विदाई और जगदानंद की ताजपोशी में राजद की भावी राजनीति के कई संकेत निहित हैं।

अनुभव, योग्यता और विश्वसनीयता को सम्मान

अनुभव, योग्यता और विश्वसनीयता को सम्मान

लालू यादव ने खुद को राजद का सुप्रीमो बना कर रखा। उनके नाम का ही सिक्का चलता रहा। पार्टी में लालू के अलाव कई वरिष्ठ और योग्य नेता थे। लेकिन उन्हें कभी लालू का विकल्प नहीं माना गया। लालू को भी अपने बाद अपने घर के सदस्यों पर ही विश्वास था। लालू जब तक सक्रिय राजनीति के लिए उपलब्ध रहे वे राजद के संप्रभु बने रहे। लेकिन सजायाफ्ता होने के बाद जैसे ही वे जेल गये हालात बिल्कुल बदल गये। उन्होंने तेजस्वी को उत्तराधिकारी बनाया। लेकिन तेजस्वी उम्मीदों के मुताबिक जिम्मेवारी नहीं उठा सके। लोकसभा चुनाव में राजद का सफाया हो गया। तेजस्वी -तेज प्रताप के झगड़े ने पार्टी को बहुत नुकसान पहुंचाया। पिछले कुछ समय से यह सवाल उठाया जा रहा था कि आखिर लालू यादव हालात को संभालने के लिए कोई ठोस फैसला क्यों नहीं ले रहे ? परिवार से बाहर के किसी योग्य और अनुभवी नेता को क्यों नहीं बड़ी जिम्मेवारी दे रहे ? रघुवंश प्रसाद सिंह, अब्दुल बारी सिद्दीकी जैसे वरिष्ठ और जुझारू नेता पार्टी में मौजूद थे। लेकिन लालू ने जगदानंद सिंह पर भरोसा किया। जगदानंद सिंह अनुभवी और य़ोग्य होने के साथ-साथ गंभीर प्रवृति के नेता हैं। वे बहुत कम बोलते हैं और सोच समझ कर बोलते हैं। राजद के लिए विश्वसनीय और समर्पित हैं। लालू ने जगदानंद सिंह को नयी जिम्मेदारी दे कर यह संदेश दिया है कि पार्टी में अब योग्यता और विश्वसनीयता को ही तरजीह मिलेगी।

 लालू के लिए छोड़ा था बेटे का साथ

लालू के लिए छोड़ा था बेटे का साथ

समाजवादी धारा के जगदानंद सिंह ने 1985 में लोकदल के टिकट पर कैमूर के रामगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव जीता था। कांग्रेस की लहर के बावजूद वे जीतने में सफल रहे थे। उन्होंने कांग्रेस की प्रभावती सिंह को हराया था। 1990 में जनता दल के टिकट पर फिर जीते और लालू सरकार में मंत्री बने। लालू के अत्यंत करीबी रहे। 2005 तक वे लालू-राबड़ी सरकार में अहम ओहदा पाते रहे। 2009 में वे बक्सर से राजद के टिकट पर सांसद चुने गये। जगदानंद लालू के लिए इतने समर्पित रहे कि उन्होंने अपने बेटे को भी दरकिनार कर दिया था। 2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जगदानंद के बेटे सुधाकर सिंह को टिकट दे कर खलबली मचा दी थी। जगदानंद लालू के लिए समर्पित रहे। इस सीट पर राजद ने अंबिका सिंह को प्रत्याशी बनाया था। जगदानंद उस समय राजद के सांसद थे। उन्होंने अपने बेटे का साथ छोड़ कर राजद के लिए चुनाव प्रचार किया। जगदानंद के विरोध से उनके भाजपाई पुत्र सुधाकर सिंह की स्थिति कमजोर हो गयी। इस चुनाव में जगदानंद ने अपने बेटे को हरा कर राजद को जीत दिलायी थी। बिहार की राजनीति में दलीय निष्ठा की यह सर्वश्रेष्ठ मिसाल है।

सवर्ण राजनीति को साधने की कोशिश

सवर्ण राजनीति को साधने की कोशिश

2014 के लोकसभा चुनाव में राजद की करारी हार का एक कारण सवर्ण आरक्षण का विरोध भी था। उस समय राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने पार्टी की बैठकों में इस बात को रेखांकित भी किया था। शिवानंद तिवारी ने भी संकेतों में राजद को यादव ब्रांड से मुक्त होने की सलाह दी थी। वरिष्ठ नेताओं ने कहा था कि जब तक सभी समुदाय को पार्टी से नहीं जोड़ा जाएगा तब तक चुनावी जीत नहीं मिल सकती है। जीत के लिए केवल ‘माय' समीकरण ही काफी नहीं है। आज के दौर में कोई भी पार्टी किसी खास समुदाय के भरोसे आगे नहीं बढ़ सकती। लालू यादव को भी आखिर ये बात समझ में आ गयी। उन्होंने राजपूत जाति से आने वाले जगदानंद को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी सौंप कर यह संदेश दिया कि राजद अब सवर्ण विरोधी नहीं है। 22 साल के इतिहास में पहली बार कोई सवर्ण राजद का प्रदेश अध्यक्ष चुना गया है। यानी अब सवर्ण समुदाय के लिए भी राजद का दरवाजा खुल गय़ा है।

 तेजप्रताप- तेजस्वी को संदेश

तेजप्रताप- तेजस्वी को संदेश

तेजप्रताप और तेजस्वी की आपसी लड़ाई से राजद को नुकसान हो रहा था। तेजप्रताप यादव की निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे से गहरी अनबन थी। उनका पूर्वे से कई बार सार्वजनिक झगड़ा हो चुका था। वे तेजस्वी से झगड़े लिए पूर्वे को ही जिम्मेवार मान रहे थे। तेज को लगता था कि पूर्वे तेजस्वी का पक्ष लेते हैं। तेजस्वी के कहने पर ही चलते हैं। इसलिए वे बहुत पहले से उनके खिलाफ थे। लोकसभा चुनाव में हार के बाद रामचंद्र पूर्वे पर विदाई का खतरा मंडराने लगा था। आखिरकार रामचंद्रे पूर्वे की प्रदेश अध्यक्ष पद से विदाई हो गयी। ऐसा कर के लालू ने तेजप्रताप को भी शांत करने की कोशिश की है। हालांकि जगदानंद सिंह को भी तेजस्वी की पसंद बताया जा रहा है लेकिन उनकी स्थिति रामचंद्र पूर्वे से अलग है। जगदनांद सिंह जमीन से जुड़े मजबूत, अनुभवी और राजनीतिक सूझबूझ वाले नेता हैं। लालू खुद जगदानंद का लिहाज करते रहे हैं। लालू जब भी उनसे मिले हमेशा अदब से मिले। इसलिए तेजस्वी रामचंद्र पूर्वे की तरह जगदानंद को डिक्टेट नहीं कर पाएंगे। जगदानंद का जो कद है उसको देख कर माना जा रहा है कि राजद में पारिवारिक खेमेबाजी पर अब ब्रेक लग जाएगा।

Comments
English summary
Jagdanand Singh Bihar state president of Rashtriya Janata Dal
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X