बिहार: जेल में बंद 6 बच्चों के 47 वर्षीय पिता ने पास किया मैट्रिक, बड़ी दिलचस्प है कहानी
विजय कुमार अरोड़ा (कारा अधीक्षक) ने सोमवार को मैट्रिक की परीक्षा में कामयाब कैदियों को सर्टीफिकेट दिया। क़ैदी बदरुद्दीन के साथ-साथ 27 और कैदियों को भी प्रमाण पत्र दिया गया।
गया, 6 सितंबर 2022। इंसान के अंदर जुनून हो तो वह कुछ भी कर सकता है, कहा भी जाता है कि तालीम हासिल करने की कोई उम्र नहीं होती है। केंद्रीय कारा (गया) में सज़ायाफ्ता कैदी ने इसे चरितार्थ कर दिखाया है। बदरूद्दीन के जज़्बे को लोग काफी सराह रहे हैं। 47 साल की उम्र में सज़ायफ्ता क़ैदी की तालीम हासलिल करने का जुनून हर किसी के ज़ुबान पर है। आपको बता दें कि बदरूद्दीन 6 बच्चे को पिता होने के बाद मैट्रिक में कामयाबी हासिल की है।
27 कैदियों को मिली कामयाबी
विजय कुमार अरोड़ा (कारा अधीक्षक) ने सोमवार को मैट्रिक की परीक्षा में कामयाब कैदियों को सर्टीफिकेट दिया। क़ैदी बदरुद्दीन के साथ-साथ 27 और कैदियों को भी प्रमाण पत्र दिया गया। विजय कुमार अरोड़ा (कारा अधीक्षक) की मानें तो साल 2016 बदरूद्दीन उम्रक़ैद की सज़ा काट रहा है। नवादा जिले के रहने वाले बदरूद्दीन कारा अधीक्षक के पास पहले ही तालीम हासिल करने की ख्वाहिश का इज़हार कर चुका था। फिर बदरूद्दीन को एनआईओएस के ज़रिए मैट्रिक एग्ज़ाम दिलाया गया और उसने कामयाबी हासिल की।
47 कैदियों ने कराया था परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन
एनआईओएस के ज़रिए परीक्षा में टोटल 47 क़ैदियों का रजिस्ट्रेशन करवाया गया था। 47 में से चार क़ैदियों को एग्ज़ाम से पहले ही जेल से रिहाई मिल गई। इसके बाद 43 क़ैदियों ने एग्ज़ाम दिया जिसमें 27 बंदियों को कामयाबी मिली। नाकाम कैडियों ने फिर से एग्ज़ाम देने के लिए फॉर्म भरा है। मैट्रिक की परीक्षा में पास होने पर प्रमाण पत्र मिलने की सभी कैदियों ने खुशी का इज़हार किया। वहीं बदरूद्दीन ने कहा कि बिना तालीम के ज़िंदगी में अंधेरा है, तालीम से ही जिंदगी रोशन होती है। उन्होंने कहा कि वह आगे भी पढ़ाई जारी रखेंगे।
शिक्षित होकर व्यवसाय करना चाहते हैं कैदी
बदरुद्दीन ने कहा कि कारा से रिहाई के बाद सरकारी योजना का लाभ लेकर वह व्यवसाय करेंगे और आत्मनिर्भर बन कर ज़िदंगी बसर करेंगे। इस मौक़े पर एक और फतेहपुर से ताल्लुक रखने वाले कैदी मदन मांझी ने भी अपने भविष्य का प्लान बताया। उसने कहा कि वह पिछले साढे तीन साल से कारा में उम्रक़ैद की सजा काट रहा हैं। वह पशुपालन या मुर्गीपालन की ट्रेनिंग लकेर व्यवसाय करना चाहते हैं। ओबरा के से ताल्लुक रखने वाले क़ैदी जितेन्द्र सिंह ने कहा कि तबला और हारमोनियम में प्रभाकर की डिग्री लिए हुए है। साल 2017 से आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।
जेल में चलाए जा रहे हैं कई व्यवसायिक पाठ्यक्रम
जेल के अंदर पढ़ने और पढ़ाने वाले दोनों ही कैदी हैं। यूं कह लीजिए की शिक्षक और छात्र दोनों ही सज़याफ्ता कैदी है। आपको बता दें कि एक कैदी शिक्षक रमेश चन्द्र पाठक को शिक्षा विभाग की तरफ से नियुक्त किया गया है। इनके अलावा कई और लोग भी कैदियों को तालीम देने में मुख्य किरदार निभा रहे हैं। विजय कुमार अरोड़ा (अधीक्षक, केन्द्रीय कारा, गया) ने बताया कि जेल में कैदियों को शिक्षित करन के साथ ही कई व्यवसायिक पाठयक्रम भी चलाये जा रहे है। इस कार्यक्रम के ज़रिए आत्मनिर्भर बन रहे हैं। वह जब भी जेल से रिहा होंगे समाज अपनी एक अलग पहचान बना सकेंगे।
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