अपने स्वाभिमान के लिए लड़ाई लड़ रहे ट्रेड पुलिस के जवानों को एक बार फिर गृहमंत्री ने दिया आश्वासन
मध्य प्रदेश के ट्रेड पुलिस आरक्षकों ने ट्रेड से जीडी में संविलियन और अन्य मांगों को लेकर गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा को ज्ञापन सौंपा। जहां गृहमंत्री डॉक्टर मिश्रा ने उन्हें एक बार फिर आश्वासन दिया है।
भोपाल,24 मई। अपने स्वाभिमान के लिए लड़ाई लड़ रहे मध्य प्रदेश पुलिस के ट्रेड आरक्षक और उनके परिवार वालों ने ट्रेड का जीडी में संविलियन और अन्य मांग को लेकर सोमवार को गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा से शासकीय आवास पर मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन दिया है। साथ ही पूर्व में दिए गए आश्वासन पर भी चर्चा की। वहीं गृह मंत्री की तरफ से उन्हें एक बार फिर आश्वासन दे दिया गया हैं।
क्या है पूरा मामला विस्तार से जानें....
अफसरों की हजामत और खिदमत में तैनात हैं ट्रेडमैन सिपाही
- 20-20 साल से अफसरों की हजामत और खिदमत में तैनात हैं ट्रेडमैन सिपाही
- इन्हें जनरल ड्यूटी में लगाएं तो फील्ड के लिए मिल सकता है 2000 से ज्यादा का फोर्स
मध्य
प्रदेश
पुलिस
में
भर्ती
हुए
सिपाही
सालों
से
अफसरों
की
हजामत
बना
रहे
हैं
और
उनके
कपड़े
भी
धो
रहे
हैं।
कुछ
अफसर
अपने
(कुक)
सिपाही
को
छोड़ना
ही
नहीं
चाहते
हैं।
सिपाही
से
भर्ती
होने
के
बाद
उनका
प्रमोशन
तो
हुआ
लेकिन
काम
और
स्थान
नहीं
बदला।
मतलब
कपड़े
धोने
वाला
आरक्षक
प्रमोशन
पाकर
एएसआई
तो
बना,
लेकिन
काम
कपड़े
धोने
का
ही
कर
रहा
है।
दरअसल 2012 में पुलिस महानिदेशक के एक आदेश के बाद ट्रेड मैन पुलिस के जवानों का जनरल ड्यूटी में संविलियन को बंद कर दिया गया। मतलब ट्रेडमैन सिपाही प्रमोशन होने के बाद भी जनरल ड्यूटी नहीं कर सकता हैं।
ट्रेडमैन सिपाहियों को लेकर पुलिस प्रशासन गंभीर नहीं
गृह मंत्री ने 24/03/2022 को एक पत्र जारी करके ट्रेडमैन से जीडी में संविलियन प्रारंभ करने के लिए अनुशंसा की है पर उस पत्र पर विभाग ने कार्रवाई नहीं की। जबकि विभाग का मुखिया चाहता है कि संविलियन प्रारंभ हो!
जब वन इंडिया के संवाददाता एलएन मालवीय ने इस विषय पर डीजीपी मध्यप्रदेश से बात करने की कोशिश की, तो कई बार फोन करने के बाद भी डीजीपी ने फोन रिसीव नहीं किया न मिलने का समय दिया। इसका मतलब साफ है कि मध्य प्रदेश में पुलिस अधिकारी 'ट्रेडमैन पुलिस सिपाहियों' की परेशानियों को लेकर गंभीर नहीं है।
आरक्षकों को अफसरों की पत्नियां भी करती हैं परेशान !
पूर्व मंत्री और विधायक जीतू पटवारी को लिखित पत्र में ट्रेड आरक्षकों ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि अधिकारियों के बंगले पर ड्यूटी लगाने के साथ उनसे झाड़ू-पोछा, झूठे बर्तन धुलवाए जाते हैं। कई बार अधिकारियों की पत्नियों द्वारा लगातार उन्हें अपशब्द और प्रताड़ना भी दी जाती है। अधिकारियों के यहां ड्यूटी होने से ट्रेड आरक्षक को हमेशा निलंबन एवं आर्थिक नुकसान का डर बना रहता है जिससे वह मानसिक रूप से परेशान रहते हैं।
आपको बता दें ट्रेड मैन सिपाही संविलियन के लिए अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं यह प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित है राजधानी में एसएएफ की 7,23 व 25 बटालियन में पदस्थ ज्यादातर ट्रेडमैन सिपाही डीजीपी, एडीजी, आईजी और डीआईजी व एसपी स्तर के अफसरों के बंगलों पर उनकी सेवा में लगे हैं। इनमें ट्रेडमैन धोबी, कुक, सफाई कर्मी, नाई, मिस्त्री, दर्जी और ड्राइवर शामिल है।
ट्रेडमैन सिपाहियों का कहना है कि वे भी फील्ड में अपनी सेवाएं देना चाहते हैं। उनका तर्क है कि अफसरों ने अपने स्वार्थ के लिए संविलियन पर रोक लगा रखी है। ट्रेड मैन सिपाही पुरानी जीओपी 59/93 को फिर से शुरू करने के लिए तत्कालीन महानिदेशक विवेक जौहरी को आवेदन दिया था।
प्रमोशन तो हुआ पर काम नहीं बदला
जिला पुलिस बल में राजकुमार प्रजापति-दर्जी, ढोल राज सिंह खल्लासी, गुड्डू -खल्लासी, प्रभु दयाल- मिस्त्री, किशोर परते- ड्राइवर, राजा मियां-दर्जी, देवेंद्र परिहार-मोची, इनके अलावा कई ट्रेडमैन सिपाही हैं जो जिला पुलिस लाइन से अफसरों की सेवा में है या कुछ स्थाई रूप से अफसरों के बंगलों पर तैनात हैं इनकी नौकरी को 20 साल से ज्यादा हो चुके हैं इनका हवलदार व एएसआई में प्रमोशन भी हुआ पर काम नहीं बदला।
2012 में बिना किसी कारण संविलियन कर दिया था बंद
पुलिस मुख्यालय की पीओपी 5793 में नियम था कि एसएएफ या जिला बल में 5 साल की ट्रेडमैन में सर्विस पूरी करने के बाद सिपाही का जीडी सिपाही में संविलियन हो सकता था जीडी में संविलियन के बाद से भाई की फील्ड में पोस्टिंग की जा सकती थी। सन 2012 तक संविलियन की व्यवस्था थी, लेकिन वर्ष 2012 में तत्कालीन पुलिस महानिदेशक ने बिना किसी कारण एक आदेश निकाल कर बंद कर दिया।