Navratri : दशहरे वाले दिन कंकाली माता की गर्दन हो जाती है सीधी, चमत्कार देखने वालों के बन जाते है बिगड़े काम
रायसेन में दशहरे के दिन मां कंकाली देवी की गर्दन सीधी हो जाती है। इस रहस्य को अभी तक कोई सुलझा नहीं पाया है। यहां वर्ष भर भक्तों का तांता लगा रहता है।
भोपाल,2 अक्टूबर। राजधानी से 25 किलोमीटर दूर स्थित कंकाली धाम मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। बता दे कंकाली मंदिर देश नहीं पूरी दुनिया में अपने चमत्कार के लिए प्रसिद्ध है। दरअसल दशहरे के दिन मां कंकाली देवी की गर्दन सीधी हो जाती है। इस रहस्य को अभी तक कोई सुलझा नहीं पाया है। यहां वर्ष भर भक्तों का तांता लगा रहता है। भक्तों को यहां आने के लिए परेशानी न हो इसलिए मंदिर की वेबसाइट तैयार की गई है। मंदिर के बारे में मान्यता है। कि मां कंकाली देवी की प्रतिमा की टेढ़ी गर्दन दशहरे के दिन सीधी हो जाती है। संतान प्राप्ति की मनोकामना को लेकर हजारों की संख्या में प्रदेश भर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। 5 अक्टूबर को पूरे देश में दशहरा मनाया जाएगा। वहीं इस दिन कंकाली मंदिर में लोग चमत्कार देखने के लिए बड़ी संख्या में उपस्थित होंगे।
45 डिग्री झुकी हुई गर्दन की देवी प्रतिमा
भोपाल से 20 और रायसेन से 30 किमी दूर रुदावल गांव में स्थित है। मंदिर में विराजमान मूर्ति की गर्दन 45 डिग्री झुकी हुई है। मंदिर की स्थापना 1731 के आसपास मानी जाती है। मंदिर के बारे में बताया जाता है कि खुदाई के दौरान यहां मूर्ति मिली थी हालांकि मंदिर कब अस्तित्व में आया सही स्थिति का कोई प्रमाण नहीं मिलता है। वर्तमान में मंदिर का नया भवन बनाया जा रहा है और इसकी खासियत यह है कि मंदिर के हॉल में एक भी फिल्म देखने को नहीं मिलेगा। ये भी अपने आप में एक चमत्कार है। इस मंदिर की वेबसाइट भी तैयार कर ली गई है। इसके अलावा मां कंकाली देवी के चित्र वाले चांदी के सिक्के भी बनवाए गए हैं। मंदिर निर्माण के लिए 11 हजार या इससे अधिक राशि दान करने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह सिक्का उपहार के तौर पर दिया जाएगा।
संतान की होती है प्राप्ति, गोबर से उल्टे हाथ के लगाते हैं निशान
श्रद्धालु गोबर से उल्टे हाथ के निशान लगाते हैं। मां कंकाली मंदिर विकास एवं सेवा सार्वजनिक ट्रस्ट के दुर्गाप्रसाद के मुताबिक संतान प्राप्ति के लिए मंदिर पर श्रद्धालु गोबर से उल्टे हाथ के निशान लगाते हैं।मनोकामना पूरी होने पर हाथों के सीधे निशान बना दिए जाते हैं। यहां हाथों के हजारों निशान बने हुए हैं। नवरात्र में बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
20 हाथों वाली मां कंकाली की मूर्ति
रायसेन स्थित इस मंदिर में कंकाली देवी की प्रतिमा में 20 भुजाएं है। मूर्ति के साथ भगवान ब्रह्मा विष्णु और महेश की प्रतिमाएं विराजमान है। वैसे तो यहां साल भरी भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्रों में यहां खासी भीड़ दिखाई देती है। मान्यता के अनुसार मूर्ति की गर्दन तिरछी है और दशहरे वाले दिन बचाने सीधी हो जाती है इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग दशहरे वाले दिन यहां पहुंचते हैं। मान्यता है कि अगर यह चमत्कार कोई देख लेता है तो उसकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और बिगड़े काम बनने लग जाते हैं।
कार या बाइक से करने जा सकते हैं दर्शन
भोपाल से 25 किलोमीटर दूर इस मंदिर में कंकाली देवी के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु कार और बाइक से जा सकते। कंकाली देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए रायसेन रोड से होते हुए बिलखिरिया थाने के आगे चौराहे से सीधी तरफ मुड़ना पड़ता है। उसके बाद 3 किलोमीटर पहाड़ी चढ़ने के बाद कंकाली धाम मंदिर आ जाता है। प्राकृतिक रूप से कंकाली मंदिर चारों तरफ से हरा भरा है।
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