गेहूं की खेती में मध्य प्रदेश ने पंजाब को पीछे छोड़ा, सरकार खरीदेगी 135 लाख मीट्रिक टन गेहूं
Bhopal, 14 Apr : यह पहली बार होगा कि हरित क्रांति के पुरोधा रहे पंजाब में इस साल गेहूं की फसल की खरीद मध्य प्रदेश के मुकाबले कम होगी। हालांकि केंद्र सरकार ने किसानों को खुश करने के लिए इस साल खरीद में 9.56 फीसदी बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है लेकिन पंजाब में इसका असर नाममात्र होगा। जबकि असली असर मध्य प्रदेश व अन्य राज्यों पर पड़ेगा। इस बार मध्य प्रदेश से केंद्र सरकार पंजाब के मुकाबले अधिक गेहूं की खरीद करेगी।
केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2021-22 के दौरान गेहूं की खरीद में 9.56 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। इसके बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं खरीद का आंकड़ा बढ़कर 427.36 लाख मीट्रिक टन रहने का अनुमान है। कुल खरीद में से इस बार तकरीबन 130 लाख मीट्रिक टन गेहूं की पंजाब से खरीद की जाएगी। जबकि मध्य प्रदेश से 135 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य केंद्र सरकार ने निर्धारित किया है। पिछली बार (वर्ष 2020-21 में) पंजाब से 127.14 लाख मीट्रिक टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी। किसान आंदोलन को देखते हुए केंद्र सरकार ने फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है और इसका केंद्र बिंदु मध्य प्रदेश रखा गया है, हालांकि इससे पहले पंजाब व हरियाणा पहले नंबर पर होते थे।
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मध्य प्रदेश सरकार ने इस साल रिकॉर्ड 135 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है। इसके लिए मध्य प्रदेश में 4,529 खरीद केंद्र बनाए गए हैं। जबकि पिछली बार 129.42 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था। ऐसे में इस बार गेहूं की खरीद में मध्य प्रदेश पंजाब को पछाड़ने जा रहा है। पंजाब के किसान पिछले कई महीनों से सिंघु व टिकरी बार्डर पर तीन नए कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए आंदोलन पर बैठे हैं। इस आंदोलन को बढ़ाने में पंजाब के किसानों का बड़ा योगदान रहा है, जबकि मध्य प्रदेश के किसान इस आंदोलन में ज्यादा सक्रिय नहीं हैं।
कभी पंजाब को कहा जाता था गेहूं व धान का बादशाह
किसान नेता बलवंत सिंह का कहना है कि पंजाब किसी समय गेहूं व धान उत्पादन का बादशाह कहलाता था लेकिन पिछले कुछ समय में मध्य प्रदेश ने गेहूं के उत्पादन ने बेहतर आयाम स्थापित किए हैं। इसमें कहने से संकोच भी नहीं कि मध्य प्रदेश की गेहूं की गुणवत्ता भी काफी अच्छी है। केंद्र सरकार का रवैया पंजाब के प्रति वैसे ही ठीक नहीं है। उसकी सोच यहां के किसानों के प्रति सकारात्मक भी नहीं है। ऐसे में मध्य प्रदेश में गेहूं की पैदावार पर जोर देकर उस सूबे को अन्नदाता का दर्जा दिया जा रहा है।